आयरन-विटामिन से भरपूर मुनगा भाजी एनीमिया और कमजोरी को भी करती है दूर - CGKIRAN

आयरन-विटामिन से भरपूर मुनगा भाजी एनीमिया और कमजोरी को भी करती है दूर


छत्तीसगढ़ की पारंपरिक भाजियों में मुनगा भाजी का विशेष स्थान है. जब लोग तेजी से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, तब मुनगा भाजी जैसे देसी और प्राकृतिक आहार को लेकर जागरूकता बढ़ रही है. छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में तो यह सदियों से स्वास्थ्यवर्धक भोजन का हिस्सा रहा है, लेकिन अब शहरी इलाकों में भी इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है.मुनगा भाजी न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि स्वास्थ्यवर्धक भी है.  पाचन सुधारती है, शरीर को ऊर्जा देती है और खून की कमी दूर  करती है मुनगा के फलों के साथ-साथ इसकी पत्तियों का उपयोग भाजी बनाने के लिए किया जाता है. खास बात यह है कि मुनगा के फलों की तुलना में इसकी पत्तियों का सेवन ज्यादा फायदेमंद होता है.मुनगा भाजी में भरपूर मात्रा में आयरन, विटामिन A, C, और कैल्शियम समेत कई प्रकार के मिनरल्स पाए जाते हैं। यह हमारे शरीर की कोशिकाओं यानी सेल्स को मजबूत बनाता है और इम्यून सिस्टम को दुरुस्त करता है. मुनगा भाजी उष्ण प्रकृति की होती है, इसलिए यह पाचन क्रिया को बेहतर बनाती है और शरीर के मेटाबॉलिज्म को तेज करने में मददगार होती है.

आजकल जिस तरह मेटाबॉलिज्म में गड़बड़ी की समस्याएं बढ़ रही हैं, मुनगा भाजी उसके लिए एक नेचुरल समाधान के रूप में उभर रही है. विशेष रूप से एनीमिया यानी खून की कमी से पीड़ित लोगों के लिए मुनगा भाजी बेहद लाभकारी मानी जाती है. यही वजह है कि डिलीवरी के बाद महिलाओं में कमजोरी और खून की कमी दूर करने के लिए पारंपरिक तौर पर मुनगा भाजी का सेवन करवाया जाता है. यह शरीर में हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है. मुनगा भाजी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सिर्फ ग्रामीण इलाकों में नहीं बल्कि शहरों में भी आसानी से उपलब्ध हो जाती है और इससे बनने वाली सब्जी बेहद स्वादिष्ट होती है. गांव – घर में मुनगा भाजी को पारंपरिक साग के रूप में पकाया जाता है, जिसे दाल-चावल के साथ खाया जाता है.

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