छत्तीसगढ़ की बाल वैज्ञानिकों ने तैयार किया अनोखा मॉडल, अनाज में कीट लगने से पहले देगा अलर्ट - CGKIRAN

छत्तीसगढ़ की बाल वैज्ञानिकों ने तैयार किया अनोखा मॉडल, अनाज में कीट लगने से पहले देगा अलर्ट


छत्तीसगढ़ के बालोद जिले से एक और प्रेरक उदाहरण सामने आया है. शासकीय कन्या आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की कक्षा दसवीं की छात्रा संगीता यादव ने अपने साथियों रोशनी चतुर्वेदी और हेमलता राजपूत के साथ मिलकर एक खास प्रोजेक्ट तैयार किया है, जो किसानों और गोदाम संचालकों के लिए वरदान साबित हो सकता है. इस मॉडल का नाम ‘इलेक्ट्रॉनिक ग्रेन इन्सेक्ट डिटेक्शन सिस्टम’ है. इसका मुख्य उद्देश्य है अनाजों में कीट लगने से पहले ही चेतावनी देना है ताकि खराबी और नुकसान से बचा जा सके.संगीता को  यह विचार तब आया जब देखा कि घरों और गोदामों में रखा अनाज अक्सर खराब हो जाता है या उसमें कीट लग जाता है. अगर कीट लगने से पहले ही पता चल जाए, तो अनाज को बचाया जा सकता है और लोगों को नुकसानदेह भोजन खाने से रोका जा सकता है. यह मॉडल अनाज में कीट लगने से पहले गैस, तापमान और वाइब्रेशन के आधार पर संकेत देता है. इसमें गैस सेंसर, DHT-1 सेंसर, वाइब्रेशन सेंसर, ब्रेड बोर्ड, Arduino UNO और LED डिस्प्ले का उपयोग किया गया है. DHT-1 सेंसर तापमान और नमी को मापता है. यदि नमी 66 प्रतिशत से अधिक और तापमान 29 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाता है, तो सिस्टम इफेक्टेड का अलर्ट दिखाता है. संगीता ने आगे कहा कि गैस सेंसर कार्बन डाइऑक्साइड और अमोनिया गैस को मापता है. जब कीट अनाज में सक्रिय होते हैं, तो वे इन गैसों का उत्सर्जन करते हैं, जिसे सेंसर पहचान कर रेड एलईडी लाइट जला देता है और बीप की आवाज सुनाई देती है. इसी तरह वाइब्रेशन सेंसर भी कीटों की हलचल को सेंस कर चेतावनी देता है. इस अलर्ट के दौरान घरेलू उपाय जैसे- नीम की पत्तियां, लहसुन, तेजपत्ता या मालाथियॉन दवा का प्रयोग कर अनाज को सुरक्षित किया जा सकता है.

संगीता ने कहा कि इस मॉडल को तैयार करने में उन्हें लगभग तीन दिन का समय लगा और इसमें उनके भौतिक विज्ञान शिक्षक भूपेंद्र नाथ योगी का विशेष मार्गदर्शन रहा. शिक्षक ने आवश्यक उपकरण और तकनीकी जानकारी प्रदान कर इस प्रोजेक्ट को साकार करने में सहयोग दिया.

कृषि क्षेत्र में उपयोगी

संगीता और उनकी टीम का यह मॉडल न केवल विज्ञान के क्षेत्र में उनकी प्रतिभा को दर्शाता है बल्कि यह कृषि क्षेत्र में भी उपयोगी साबित हो सकता है. इस तकनीक के जरिये गोदामों में रखे अनाज को समय रहते बचाया जा सकेगा और किसानों की मेहनत व्यर्थ नहीं जाएगी. यह प्रयास आने वाले दिनों में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में अनाज सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है.


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