मुख्यमंत्री वन धन विकास योजना तहत स्व-सहायता समूह की महिलाएं बनी आत्मनिर्भर
छत्तीसगढ़ के महिलाओं के जीवन में मुख्यमंत्री वन धन विकास योजना किसी बदलाव की लहर से कम नहीं साबित हो रही है. इस योजना के अंतर्गत बालोद जिले के बड़भूम और मंगचुवा में स्थापित विकास केंद्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बना रहे हैं. खास बात यह है कि मंगचुवा विकास केंद्र में स्व-सहायता समूह की महिलाएं अब नेचुरल और कैमिकल-फ्री साबुन बनाकर आत्मनिर्भर बन रही हैं. इन महिलाओं की मेहनत और हुनर अब एक नए रोजगार मॉडल के रूप में उभर रहा है. जिला यूनियन की असिस्टेंट मैनेजर वर्षा यादव ने बताया कि मंगचुवा विकास केंद्र में महिलाओं द्वारा आठ तरह के सुगंधित और प्राकृतिक साबुन तैयार किए जा रहे हैं. इनमें हनी, लेमन, सिन्थॉल, लेवेंडर, टोमैटो, नीम, तुलसी और चारकोल जैसी सुगंधें शामिल हैं. ये सभी साबुन पूरी तरह केमिकल-फ्री हैं और त्वचा के लिए सुरक्षित माने जा रहे हैं. महिलाएं ‘शुद्धता अनमोल है’ के नारे के साथ इस कार्य को पूरी ईमानदारी और सफाई के साथ अंजाम दे रही हैं.
कितनी होती है साबुन की कीमत?
महिला समूह की सदस्य पहले घरों तक सीमित थीं और किसी भी आय के स्रोत से जुड़ी नहीं थीं, लेकिन विकास केंद्र की स्थापना के बाद अब उन्हें न केवल रोजगार मिला है बल्कि आत्मविश्वास और नई पहचान भी मिली है. समूह में करीब 20 से 22 महिलाएं कार्यरत हैं, जो दिनभर में औसतन 200 साबुन तैयार कर लेती हैं. इन साबुनों की बाजार कीमत लगभग 40 रुपए प्रति पीस रखी गई है, और ये ऑर्डर के आधार पर तैयार किए जाते हैं. महिलाओं ने इस कार्य की शुरुआत से पहले प्रशिक्षण प्राप्त किया, जिसमें उन्हें प्राकृतिक सामग्री से साबुन तैयार करने की पूरी प्रक्रिया सिखाई गई. अब वे खुद अपने उत्पाद तैयार कर बाजार में बेच रही हैं. इस पहल से न केवल उनकी आय में वृद्धि हुई है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा मिल रही है. स्थानीय स्तर पर बने इन नेचुरल साबुनों की मांग अब धीरे-धीरे बढ़ने लगी है. ग्राहक इनकी खुशबू और शुद्धता की सराहना कर रहे हैं. खास बात यह है कि ये साबुन किसी भी प्रकार की त्वचा संबंधी समस्या नहीं उत्पन्न करते, बल्कि स्किन को मुलायम और चमकदार बनाते हैं.
