छत्तीसगढ़
प्राप्त जानकारी के अनुसार कवर्धा जिला के पंडरिया ब्लॉक के ग्राम पंचायत परसवारा में सचिव की बड़ी लापरवाही सामने आई है, जहां नवनिर्वाचित सरपंच और पंच के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में 6 महिला पंचों के स्थान पर उनके पतियों को शपथ दिलाई गई. यह घटना महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ी चूक को दर्शाती है, क्योंकि जिन महिला पंचों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में चयनित किया गया था, वे अपने अधिकारों से वंचित रह गईं और उनके स्थान पर उनके पति शपथ ग्रहण करने के लिए उपस्थित थे. महिला पंचों का यह अधिकार था कि वे खुद शपथ लें और अपने पंचायत के विकास में सक्रिय भागीदार बनें, लेकिन उन्हें यह अवसर नहीं दिया गया. स्थानीय लोगों और महिला पंचायत प्रतिनिधियों ने इस घटना की कड़ी आलोचना की है. महिला पंचों का कहना है कि यह न केवल उनके अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि इससे समाज में महिला की भूमिका को भी कमजोर करने की कोशिश की गई है. इस प्रकार की घटनाएं लोकतंत्र की साख को ठेस पहुंचाती है और महिला सशक्तिकरण की दिशा में अड़चन डालती है.
पंचायत सचिव की बड़ी लापरवाही, महिला पंचों की जगह पतियों को दिलाई शपथ
Tuesday, March 4, 2025
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प्राप्त जानकारी के अनुसार कवर्धा जिला के पंडरिया ब्लॉक के ग्राम पंचायत परसवारा में सचिव की बड़ी लापरवाही सामने आई है, जहां नवनिर्वाचित सरपंच और पंच के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में 6 महिला पंचों के स्थान पर उनके पतियों को शपथ दिलाई गई. यह घटना महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ी चूक को दर्शाती है, क्योंकि जिन महिला पंचों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में चयनित किया गया था, वे अपने अधिकारों से वंचित रह गईं और उनके स्थान पर उनके पति शपथ ग्रहण करने के लिए उपस्थित थे. महिला पंचों का यह अधिकार था कि वे खुद शपथ लें और अपने पंचायत के विकास में सक्रिय भागीदार बनें, लेकिन उन्हें यह अवसर नहीं दिया गया. स्थानीय लोगों और महिला पंचायत प्रतिनिधियों ने इस घटना की कड़ी आलोचना की है. महिला पंचों का कहना है कि यह न केवल उनके अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि इससे समाज में महिला की भूमिका को भी कमजोर करने की कोशिश की गई है. इस प्रकार की घटनाएं लोकतंत्र की साख को ठेस पहुंचाती है और महिला सशक्तिकरण की दिशा में अड़चन डालती है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, ग्राम पंचायत परसवारा में रविवार को शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया था. समारोह में नवनिर्वाचित सरपंच और पंचों को शपथ दिलाई जानी थी, लेकिन सचिव की लापरवाही के कारण महिला पंचों को मंच पर बुलाया ही नहीं गया. उनकी जगह उनके पतियों को शपथ दिलवा दी गई. यह घटना महिला पंचों और उनके समर्थकों के लिए बेहद निराशाजनक और शर्मनाक रही. अब सवाल यह उठ रहा कि इस लापरवाही को लेकर क्या कार्रवाई की जाएगी. क्या महिला पंचों को उनका हक मिलेगा? इस घटना ने यह भी साफ कर दिया है कि पंचायतों में महिला प्रतिनिधियों के अधिकारों की रक्षा के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि इस तरह की घटनाओं को भविष्य में रोका जा सके.
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