ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहा है मनरेगा
छत्तीसगढ़ में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत कई नए नवाचार किए जा रहे हैं. ये पहल न केवल गांवों में बेरोजगारी को कम कर रही है, बल्कि स्थानीय संसाधनों का समुचित उपयोग कर ग्रामीणों की आय में भी वृद्धि कर रही है.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था देश की आर्थिक रीढ़ है. ग्रामीणों की आजीविका मुख्य रूप से कृषि और इससे जुड़े कार्यों पर ही निर्भर करती है. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), ग्रामीण भारत में आजीविका को सुनिश्चित करने और बेरोजगारी को कम करने का एक महत्वपूर्ण साधन है.
छत्तीसगढ़ के देव साय की पहल के तहत मनरेगा को राज्य में और प्रभावी बनाया जा रहा है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है.मनरेगा आयुक्त रजत बंसल ने जानकारी दी कि प्रदेश में कुल 38.52 लाख पंजीकृत परिवारों में से 24.89 लाख परिवारों को रोजगार प्रदान किया गया है.अमृत सरोवर योजना के तहत 2,902 जलाशयों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है, जिनमें से 1,095 स्वीकृत हो चुके हैं, 299 पूर्ण हो चुके हैं, और 472 पर कार्य प्रगति पर है.
मनरेगा बना ग्रामीण विकास का मजबूत आधार
छत्तीसगढ़ में मनरेगा को पारंपरिक स्वरूप से आगे बढ़ाते हुए इसे ग्रामीण अवसंरचना (इंफ्रास्ट्रक्चर), जल संरक्षण, कृषि सुधार और ग्रामीण उद्यमिता से जोड़ने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं. के निर्देश पर मनरेगा के तहत अब तक लाखों लोगों को रोजगार मिला है, जिससे गांवों में आर्थिक स्थिरता बनी हुई है.
मनरेगा भारत सरकार द्वारा संचालित एक प्रमुख योजना है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में न्यूनतम 100 दिनों का रोजगार उपलब्ध कराना है. यह योजना गरीबी उन्मूलन, सतत विकास और ग्रामीण बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने में सहायक सिद्ध हो रही है. छत्तीसगढ़ में भी इस योजना के माध्यम से लाखों लोगों की बेरोजगारी दूर की जा रही है. साय के नेतृत्व में मनरेगा को केवल एक रोजगार योजना तक सीमित न रखते हुए इसे उत्पादक गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है.अब गांवों में रोजगार कार्यों के तहत सड़कों, पुलों, नहरों, तालाबों, चेक डैम, सामुदायिक भवनों और गौठानों का निर्माण हो रहा है.
मनरेगा का प्रभाव अब केवल रोजगार सृजन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी आर्थिक ढांचा तैयार करने का जरिया बन रहा है. साय ने हाल ही में कहा, “हमारा लक्ष्य सिर्फ अस्थायी रोजगार देना नहीं है, बल्कि दीर्घकालिक आजीविका के अवसर पैदा करना है.मनरेगा के तहत जल संरक्षण, भूमि सुधार और कृषि कार्यों को बढ़ावा देकर हम ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बना रहे हैं
छत्तीसगढ़ की साय सरकार मनरेगा के प्रभाव को बढ़ाने के लिए कई रणनीतियों पर काम कर रही है. राज्य की साय सरकार मनरेगा को सिर्फ रोजगार देने वाली योजना तक सीमित नहीं रखा बल्कि इसे ग्रामीण विकास के व्यापक लक्ष्य से जोड़ रही है. उन्होंने विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के साथ मनरेगा का समन्वय कर इसे अधिक प्रभावी बनाया है.
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि राज्य में मनरेगा कार्यों को सर्वोच्च गुणवत्ता और निर्धारित समय-सीमा के भीतर पूरा किया जाए, ताकि अधिकतम ग्रामीण परिवारों को इस योजना का लाभ मिल सके. विशेष रूप से गांवों में धरसा पहुंच मार्ग निर्माण और अमृत सरोवर परियोजनाओं को प्राथमिकता देने की बात की, जिससे जल संरक्षण को बढ़ावा मिले और ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूती मिले “छत्तीसगढ़ सरकार का लक्ष्य केवल रोजगार देना नहीं, बल्कि ग्रामीण इलाकों को आत्मनिर्भर बनाना है. मनरेगा के तहत चल रही योजनाओं को दीर्घकालिक दृष्टिकोण से लागू किया जा रहा है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वांगीण विकास सुनिश्चित किया जा सके.
राज्य सरकार द्वारा मनरेगा को अन्य योजनाओं से जोड़कर ग्रामीण विकास की गति तेज करने पर जोर दिया जा रहा है.मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाए, ताकि यह योजना गरीबों के सशक्तिकरण में एक मजबूत आधार बने. छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को कई तरह से मजबूत कर रही है. मनरेगा के तहत स्थायी आधारभूत संरचना का निर्माण किया जा रहा है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं. मनरेगा से जल संरक्षण, तालाब निर्माण और सिंचाई सुविधाओं में सुधार के कारण कृषि उत्पादन में वृद्धि हो रही है. इस योजना के तहत महिलाओं को रोजगार के समान अवसर मिल रहे हैं, जिससे उनके सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है.