कौशल विकास प्रशिक्षण से महिलाएं बनीं लखपति - CGKIRAN

कौशल विकास प्रशिक्षण से महिलाएं बनीं लखपति


ग्रामीण क्षेत्र में महिला स्व सहायता समूह से जुडी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शासन द्वारा कई योजनाएं क्रियांवित की जा रही हैं। इन योजनाओं में से एक है कौशल विकास कार्यक्रम के माध्यम से स्वसहायता समूह की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना।  राष्ट्रीय अजीविका मिशन के तहत बिहान और ग्रामीण रोजगार प्रशिक्षण संस्थान में कौशल विकास प्रशिक्षण प्राप्त कर महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। वे सिलाई-कढ़ाई, ज्वेलरी निर्माण, पारंपरिक और चाइनीज व्यंजन बनाने के साथ ही मुर्गी और पशुपालन का प्रशिक्षण प्राप्त कर आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं।महिलाओं का कहना है कि पहले वे घरेलू कार्यों तक सीमित रहती थीं। समूह से जब वे जुडीं तो शासन की योजना का पता चला। उनमें प्रशिक्षण प्राप्त कर वे खुद का छोटा कारोबार संचालित कर सकती थीं। महिलाओं ने प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षण प्राप्त कर लोन लेकर अपना काम शुरू किया।

एनआरएलएम के माध्मय से महिलाओं को स्वसहायता समूह से जोड़कर स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। उसके बाद इन महिलाओं को ग्रामीण रोजगार प्रशिक्षण संस्थान के माध्यम से किसी न किसी कोर्स के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाता है।

महिलाओं का प्रशिक्षण पूरा होने के बाद भारतीय स्टेट बैंक से इन महिलाओं को दो लाख तक का लोन संस्थान से दिलाया जाता है। इससे वह प्राप्त प्रशिक्षण के जरिये अपना स्वयं का रोजगार स्थापित कर सकें। तीन साल में स्वसहायता समूह की लगभग दो हजार से अधिक महिलाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने छोटे व्यापार शुरू कर चुकी हैं। कई महिलाओं का अब अपना बुटीक है, तो कुछ ने जनरल स्टोर, ज्वेलरी सेंटर और फूड स्टॉल शुरू कर लिया है। कुछ महिलाएं डेयरी और मुर्गीपालन से भी अच्छा मुनाफा कमा रही हैं।

 सुलोचना खांडे का कहना है उनके पति किसान हैं और परिवार के भरण-पोषण के लिए काफी परेशानी होती थी। स्वसहायता समूह के माध्यम से ग्रामीण रोजगार प्रशिक्षण संस्थान सेंदरी कोनी में टेलरिंग का प्रशिक्षण प्राप्त कर अपनी स्वयं की दुकान घर में चलाती हूं, अब महीने के 25 से 30 हजार हर महीने कमाकर लखपति दीदी बना चुकी है।

अंजली बंजारे ने बताया कि वह एक गरीब किसान परिवार से आती हैं। घर में आय का साधन खेती-किसानी और मजदूरी ही था। आर्थिक तंगी से जूझ रही थी। इस दौरान स्व-सहायता समूह की दीदिओं से मुलाकात हुई और बिहान के तहत ग्रामीण रोजगार प्रशिक्षण संस्थान सेंदरी से प्रशिक्षण प्राप्त कर ज्वेलरी बनाने की दुकान खोली। आज घर बैठे ही 25 से 30 हजार कमा रही हूं।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत जुडी स्वसहायता समूह की महिलाओं का कहना है कि बिहान न सिर्फ महिलाओं को स्वावलंबी बनाया है, बल्कि समाज में उन्हें लखपति दीदी के रूप में नई पहचान भी दिलाई है। महिलाएं अब छोटी-छोटी जरूरतों के लिए अपने परिवार पर निर्भर नहीं हैं। ये महिलाएं अब खुद कमाकर परिवार को आर्थिक सहयोग दे रही हैं।


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