बिलासपुर लोकसभा- क्या कांग्रेस अबकी बार भेद पाएगी भाजपा का किला? - CGKIRAN

बिलासपुर लोकसभा- क्या कांग्रेस अबकी बार भेद पाएगी भाजपा का किला?

 काम नहीं आ रही रणनीति, हर बार बदला चेहरा लेकिन नहीं मिली जीत,


छत्‍तीसगढ़ के बिलासपुर लोकसभा एकमात्र ऐसी संसदीय सीट है, जहां वर्ष 1996 से आज तक हुए चुनाव में भाजपा व कांग्रेस चेहरा बदलते रही है। राजनीतिक रूप से लिए जाने वाले निर्णय में कांग्रेस हर बार असफल साबित हो रही है। राष्ट्रीय राजनीति में बनने वाले माहौल और मुद्दों का असर, ऐसा कि मतदाताओं का रुझान भाजपा के पक्ष में ही आ रहा है। बिलासपुर लोकसभा सीट पर हर लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बदलने के बावजूद कांग्रेस को सफलता नहीं मिल रही है। उधर भाजपा हर चुनाव में चेहरा बदलकर मैदान फतेह कर लेती है। अबकी बार भी भाजपा ने नए प्रत्याशी पर दांव खेला है। ऐसे में सबकी नजरें चुनाव परिणाम पर हैं। पिछले कई चुनाव से भाजपा इस सीट पर ओबीसी उम्मीदवार को उतार रही है। कुछ ही दिनों में लोकसभा चुनाव 2024 होने वाले हैं. इसलिए सभी राजनीतिक दल इसकी तैयारी में जुटे हैं. छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच है. पिछले चुनाव में बीजेपी ने यहां शानदार प्रदर्शन किया था. छत्तीसगढ़ की बिलासपुर सीट की बात करें तो यहां पिछले कई चुनावों से बीजेपी जीतती आ रही है. 2019 की बात करें तो यहां अरुण साव ने सांसद का चुनाव जीता था.  छत्तीसगढ़ की बिलासपुर लोकसभा सीट की कहानी भी अलग है। कांग्रेस और भाजपा पिछले कई चुनाव से इस सीट पर हर बार अपना प्रत्याशी बदल रहे हैं। मगर कांग्रेस को अभी तक इस रणनीति पर सफलता नहीं मिली है। यह सीट भाजपा की अभेद दुर्ग की तरह है। भाजपा यहां से लगातार चुनाव जीत रही है। खास बात यह है कि इस सीट पर पार्टी को ओबीसी उम्मीदवार पर खासा भरोसा है। वर्तमान में, बिलासपुर लोकसभा सीट में 8 विधानसभा सीटें शामिल हैं: कोटा, लोरमी, मुंगेली, तखतपुर, बिल्हा, बिलासपुर, बेलतरा और मस्तूरी. बता दें कि इस सीट पर कोई भी आरक्षण नहीं है. 

 भाजपा भी बदल रही प्रत्याशी

कांग्रेस को लगता है कि वह चेहरा बदल कर भाजपा को मात दे देगी। मगर हार बार उसके मंसूबों पर पानी फिर जाता है। इस सीट पर भाजपा भी पिछले तीन लोकसभा चुनाव से चेहरा बदल रही है। पार्टी ने 2009, 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में बिलासपुर सीट पर नए प्रत्याशियों को उतारा था।

दिलीप जूदेव ने रेनू जोगी को दी मात

2009 के चुनाव में यहां प्रत्याशी बदला, लेकिन इस बार फिर भी जीत बीजेपी की हुई. दिलीप सिंह जूदेव ने कांग्रेस की रेनू जोगी को चुनाव हराया था. बता दें कि रेनू जोगी पूर्व सीएम अजीत जोगी की पत्नी हैं. इसके बाद 2014 के चुनाव में बिलासपुर में लखन लाल बाहुबली विजयी रहे, जबकि 2019 में अरुण साव ने जीत हासिल की थी.

चेहरा बदलने पर भी कांग्रेस को नहीं मिल रही सफलता

छत्तीसगढ़ गठन के बाद पहली बार 2004 में लोकसभा चुनाव आयोजित हुए थे। बिलासपुर सीट से भाजपा ने मोहले को अपना प्रत्याशी बनाया। वे चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। 2009 के बाद से भाजपा ने इस सीट पर हर बार अपना चेहरा बदला और उसे इस रणनीति में सफलता भी मिली। कांग्रेस ने भी इसी रणनीति के सहारे भाजपा को मात देने की कोशिश की। यह अलग बात है कि उसे इसमें सफलता नहीं मिली।

भाजपा ने 2009 के बाद इन चेहरों को उतारा

2009 में भाजपा ने दिलीप सिंह जूदेव, 2014 में लखनलाल साहू और 2019 में अरुण साव को प्रत्याशी बनाया था। अब 2024 लोकसभा चुनाव में लोरमी के पूर्व विधायक तोखन साहू को उम्मीदवार बनाया है। वहीं राज्य गठन के बाद कांग्रेस डॉ. बसंत पहारे, डॉ. रेणु जोगी, करुणा शुक्ला और कोटा के विधायक अटल श्रीवास्तव पर दांव लगा चुकी है।

ओबीसी उम्मीदवार पर भाजपा को भरोसा

बिलासपुर सीट पर भाजपा लगातार ओबीसी उम्मीदवारों पर भरोसा जता रही है। लखनलाल साहू, अरुण साव के बाद अब पार्टी ने तोखन साहू को मैदान में उतारा है। यहीं से पार्टी प्रदेश में पिछड़ा वर्ग को साधने की कोशिश भी करती है। उधर, कांग्रेस ने अनुसूचित जाति से तीन, एक बार अल्पसंख्यक और दो बार सामान्य वर्ग के चेहरों को इस सीट पर उतार चुकी है।

 इन चेहरों को अब तक उतार चुकी कांग्रेस

1998 कन्या कुमारी उर्फ तान्या अनुरागी

1999 रामेश्वर कोसरिया

2004 डॉ. बसंत पहारे

2009 डॉ. रेणु जोगी

2014 करुणा शुक्ला

2019 अटल श्रीवास्तव

Previous article
Next article

Articles Ads

Articles Ads 1

Articles Ads 2

Advertisement Ads