खेल/सेहत
छत्तीसगढ़ को भाजियों का प्रदेश कहें तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी । क्योंकि राज्य में अलग-अलग मौसमों में 100 से अधिक प्रकार की भाजियाँ उपलब्ध रहती है, जिनमे से 50 से अधिक भाजियां बिना पैसे के यानि निःशुल्क घर की बाड़ी, घास भूमि,खेतों से, सड़क किनारे अथवा जंगल से प्राप्त हो जाती है । छत्तीसगढ़ में यह कलमी साग अथवा करमत्ता भाजी के रूप में लोकप्रिय है। करमत्ता भाजी नालों या नालियों के आसपास उगने वाली । इस भाजी को अनेक देशों में खाया जाता है। यह पौधा धान के खेत अथवा जल भराव वाले क्षेत्रों में उगता है। वर्षा ऋतु में जब अन्य पत्ती वाली सब्जियां अधिक वर्षा के कारण खराब हो जाती है, उस समय करमत्ता भाजी उपलब्ध रहती है। ग्रामीण क्षेत्रों में इसे गरीब की भाजी कहा जाता है। यह भाजी अमूमन वर्ष पर्यंत उपलब्ध उपलब्ध रहती है। भाजी है। यह शरीर को ठंडा रखती है। यह मधुमेह में कारगर है तथा लू लगने पर शरीर के टेम्प्रेचर को कंट्रोल कर सकेंगे। इसकी पत्तियों में खनिज तत्व एवं विटामिन्स की प्रचुरता और उत्तम पचनीयता का गुण होने के कारण इसकी भाजी महिलाओं और बच्चों के लिए विशेषरूप से लाभकारी मानी जाती है। इसमें पाए जाने वाले कैरोटीन में मुख्य रूप से बीटा कैरोटीन, जैन्थोफिल तथा अल्प मात्रा में टेराजैन्थिन होता है। इसकी 100 ग्राम पत्तियों में 90.3 ग्राम जल, प्रोटीन 2.9 ग्राम, वसा 0.4 ग्राम, रेशा 1.2 ग्राम, कार्बोहाड्रेट 3.1 ग्राम, ऊर्जा 28 कि. कैलोरी,कैल्शियम 110 मि.ग्रा., फॉस्फोरस 46 मि.ग्रा., आयरन 3.9 मि.ग्रा.,के अलावा पर्याप्त मात्रा में कैरोटिन 1980 माइक्रोग्राम, विटामिन 'सी' 37 मि.ग्रा। एवं राइबोफ्लेविन 0.13 मी.ग्रा. पाया जाता है। करमत्ता भाजी में अनेक औषधीय गुण पाए जाते है जो प्रमुख रूप से रक्त चाप को नियंत्रित करने में लाभदायक होते है। इसकी भाजी कुष्ठ रोग, पीलिया,आँख के रोगों एवं कब्ज रोग के निदान में उपयोगी पाई गई है। यह भाजी दांतों-हड्डियों को मजबूत करती है। शरीर में खून की मात्रा बढाती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होती है।
प्रकृति का उपहार करमत्ता भाजी -करमत्ता भाजी से कर सकेंगे शुगर को कंट्रोल
Wednesday, April 12, 2023
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छत्तीसगढ़ को भाजियों का प्रदेश कहें तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी । क्योंकि राज्य में अलग-अलग मौसमों में 100 से अधिक प्रकार की भाजियाँ उपलब्ध रहती है, जिनमे से 50 से अधिक भाजियां बिना पैसे के यानि निःशुल्क घर की बाड़ी, घास भूमि,खेतों से, सड़क किनारे अथवा जंगल से प्राप्त हो जाती है । छत्तीसगढ़ में यह कलमी साग अथवा करमत्ता भाजी के रूप में लोकप्रिय है। करमत्ता भाजी नालों या नालियों के आसपास उगने वाली । इस भाजी को अनेक देशों में खाया जाता है। यह पौधा धान के खेत अथवा जल भराव वाले क्षेत्रों में उगता है। वर्षा ऋतु में जब अन्य पत्ती वाली सब्जियां अधिक वर्षा के कारण खराब हो जाती है, उस समय करमत्ता भाजी उपलब्ध रहती है। ग्रामीण क्षेत्रों में इसे गरीब की भाजी कहा जाता है। यह भाजी अमूमन वर्ष पर्यंत उपलब्ध उपलब्ध रहती है। भाजी है। यह शरीर को ठंडा रखती है। यह मधुमेह में कारगर है तथा लू लगने पर शरीर के टेम्प्रेचर को कंट्रोल कर सकेंगे। इसकी पत्तियों में खनिज तत्व एवं विटामिन्स की प्रचुरता और उत्तम पचनीयता का गुण होने के कारण इसकी भाजी महिलाओं और बच्चों के लिए विशेषरूप से लाभकारी मानी जाती है। इसमें पाए जाने वाले कैरोटीन में मुख्य रूप से बीटा कैरोटीन, जैन्थोफिल तथा अल्प मात्रा में टेराजैन्थिन होता है। इसकी 100 ग्राम पत्तियों में 90.3 ग्राम जल, प्रोटीन 2.9 ग्राम, वसा 0.4 ग्राम, रेशा 1.2 ग्राम, कार्बोहाड्रेट 3.1 ग्राम, ऊर्जा 28 कि. कैलोरी,कैल्शियम 110 मि.ग्रा., फॉस्फोरस 46 मि.ग्रा., आयरन 3.9 मि.ग्रा.,के अलावा पर्याप्त मात्रा में कैरोटिन 1980 माइक्रोग्राम, विटामिन 'सी' 37 मि.ग्रा। एवं राइबोफ्लेविन 0.13 मी.ग्रा. पाया जाता है। करमत्ता भाजी में अनेक औषधीय गुण पाए जाते है जो प्रमुख रूप से रक्त चाप को नियंत्रित करने में लाभदायक होते है। इसकी भाजी कुष्ठ रोग, पीलिया,आँख के रोगों एवं कब्ज रोग के निदान में उपयोगी पाई गई है। यह भाजी दांतों-हड्डियों को मजबूत करती है। शरीर में खून की मात्रा बढाती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होती है।
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