सर्दियों में ज्वार, बाजरा और रागी की रोटियां खाना होता है काफी फायदेमंद
गेहूं का आटा भारत में सबसे ज्यादा खाया जाता है. इसमें कार्बोहाइड्रेट्स भरपूर होते हैं, जो बच्चों को तुरंत एनर्जी देते हैं. यह आसानी से पच भी जाता है, इसलिए छोटे बच्चों के लिए शुरुआती डाइट के रूप में ठीक है. लेकिन ध्यान दें: इसमें प्रोटीन, फाइबर और विटामिन्स की मात्रा अन्य आटे की तुलना में कम होती है. इसलिए इसे रोजाना देने से बच्चों को सभी जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते. सर्दियों के मौसम ने दस्तक दे दी है. इस मौसम में लोगों की डाइट बदल जाती है. रोजाना खाने वाली गेंहू की रोटी को भी कुछ लोग रिप्लेस कर देते हैं. मौसम बदलने के साथ ही हमारी लाइफस्टाइल में भी कई बदलाव आने लगते है. कपड़े पहनने से लेकर खाने की थाली तक. जहां गर्मियों में हल्के और ठंडक देने वाले फूड्स खाए जाते हैं. तो वहीं, सर्दियों के मौसम में शरीर को गर्म रखने वाली चीजें खाना फायदेमंद होता है. बाजार में भी हरी पत्तेदार सब्जियां बिकने लगती हैं, जो आयरन से भरपूर होती है. वहीं, सब्जी दाल के अलावा कुछ लोग सर्दी के इस मौसम में रोटी को भी बदलते हैं. जी हां, ज्वार, बाजरा और रागी जैसी रोटियां सर्दियों में खाना काफी फायदेमंद होता है.
हालांकि, कुछ लोग इस बात को लेकर कंफ्यूज रहते हैं. इन सब में से किस आटे की रोटी खानी चाहिए? वैसे तो आमतौर पर गेंहू की ही रोटी खाई जाती है. तीनों ही अनाज भारतीय रसोई के पारंपरिक हिस्से हैं और अपने-अपने पौष्टिक गुणों के लिए जाने जाते हैं. मगर ठंड के मौसम में कौन-सा आटा शरीर को ज्यादा फायदा पहुंचाता है, यह जानना बेहद जरूरी है.
कैल्शियम का बेहतरीन सोर्स रागी
रागी के न्यूट्रिशन से भरपूर अनाज है. इसमें कैल्शियम, आयरन, फाइबर, अमीनो एसिड, प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है. रागी की तासीर गर्म होती है, जिसकी वजह से ये सर्दियों के लिए किसी सुपरफूड से कम नहीं है. ये शरीर को गर्म रखने के साथ ही ताकत देता है और कई तरह से फायदे पहुंचाता है. कैल्शियम होने की वजह से हड्डियों को मजबूत बनाता है और बच्चों से लेकर बुजुर्गों दोनों के लिए लाभकारी माना जाता है. डायबिटीज के मरीजों के लिए भी रागी काफी बेनिफिशियल है, क्योंकि इसमें पाया जाने वाला नेचुरल फाइबर ब्लड शुगर लेवल को बढ़ने नहीं देता है. साथ ही पेट को लंबे समय तक भरा रखने की वजह से वेट कंट्रोल करने में भी मददगार है.
ज्वार का आटा - फाइबर से भरपूर, पाचन के लिए बेहतर
जिनको पाचन की समस्या होती है या जिन्हें ग्लूटेन से एलर्जी है, उनके लिए ज्वार की रोटी एक बेहतरीन विकल्प है. इसमें फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स की मात्रा जयादा होती है, जो आंतों को मज़बूत बनाते हैं.
ज्वारा का आटा ग्लूटेन फ्री होता है, ऐसे में ये एलर्जी और गैस्ट्रिक प्रॉब्लम लोगों के लिए सबसे बेस्ट माना जाता है. इसमें कई पोषक तत्व भी पाए जाते हैं, जिसमें प्रोटीन, फाइबर, फॉस्फोरस, आयरन, पोटैशियम और एंटीऑक्सीडेंट शामिल है. इन न्यूट्रिशन की वजह से ये दिल की लिए फायदेमंद होता है और ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल रखने में मदद करता है. इसमें अच्छी मात्रा में फाइबर भी पाया जाता है, जो वजन घटाने में हेल्प करता है. जिन लोगों को दिनभर एनर्जेटिक रहना है वो ज्वार के आटे के रोटी खा सकते हैं.
फाइबर से भरपूर बाजरा
बाजरे का आटा - खून की कमी और इम्यूनिटी के लिए फायदेमंद
बाजरे में आयरन, मैग्नीशियम, जिंक और फाइबर भरपूर होता है. यह बच्चों में खून की कमी (एनीमिया) को दूर करने, इम्यूनिटी बढ़ाने और शरीर के ग्रोथ में मदद करता है. हालांकि, यह थोड़ा भारी होता है, इसलिए छोटे बच्चों को सीमित मात्रा में ही देना चाहिए.बाजरे का आटा भी न्यूट्रिशन का भंडार है. इसमें आयरन, मैग्नीशियम, प्रोटीन, फाइबर और विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स पाया जाता है. ये सर्दियों में शरीर की गर्माहट को बढ़ाता है, जिससे ये सर्दियों में सर्दी-खांसी और जुकाम से बचाव करता है. बाजरे में आयरन की मात्रा भी काफी अच्छी होती है, जिससे इसे खाने से हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद मिलती है. ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल रखने के लिए आप बाजरे की आटे की रोटी खा सकते हैं, क्योंकि इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है.
आयुर्वेद एक्सपर्ट गुप्ता बताती हैं कि, वैसे तो तीनों ही अनाज पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं. लेकिन ज्वार की तासीर ठंडी होती है. ऐसे में ये सर्दियों में शरीर को फायदे तो पहुंचाएगा. लेकिन शरीर को गर्म रखने के लिए फायदेमंद नहीं है. वहीं, बाजरा और रागी दोनों गर्म तासीर के होते हैं. ऐसे में ये सर्दियों में होने वाली मौसमी बीमारियों से बचाव में मदद कर सकते हैं. आप अपनी जरूरत के मुताबिक, तीनों में से किसी भी आटे की रोटी सर्दियों में खा सकते हैं.
हर आटे की अपनी खासियत होती है, लेकिन बच्चों की उम्र, पाचन क्षमता और पोषण की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए रागी सबसे बेहतर विकल्प है. साथ ही, आटे को बदल-बदल कर देना भी एक स्मार्ट तरीका है ताकि बच्चों को हर पोषक तत्व मिल सके.
