चिरचिटा के अद्भुत फायदे, पाचन तंत्र के लिए भी है फायदेमंद - CGKIRAN

चिरचिटा के अद्भुत फायदे, पाचन तंत्र के लिए भी है फायदेमंद


प्राकृतिक जड़ी-बूटियों की दुनिया में कई ऐसे पौधे होते हैं जो सामान्य दिखते हैं, लेकिन उनमें काफी फायदेमंद औषधीय गुण होते हैं। चिरचिटा  भी ऐसा ही एक पौधा है, जो सदियों से आयुर्वेद में उपयोग किया जा रहा है। यह दिखने में भले ही एक साधारण पौधा लगे, लेकिन इसके औषधीय गुण इस पौधा को बहुत खास बनाते हैं। चिरचिटा एक आयुर्वेदिक औषधीय पौधा है जिसे संस्कृत में "अपामार्ग" और इंग्लिश में Prickly Chaff Flower कहा जाता है। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अक्सर घरों के आसपास एक पौधा बड़ी तेजी से उगता है, जिसे आमतौर पर लोग खरपतवार मानकर जड़ से उखाड़ फेंकते हैं. इस पौधे को स्थानीय भाषा में चिरचिटा या संस्कृत में अपामार्ग कहा जाता है. चौंकाने वाली बात यह है कि जिसे हम जंगली पौधा मानते हैं, वह आयुर्वेद की दृष्टि से एक महाशक्तिशाली जड़ी-बूटी है. इस पौधे के गुणों के बारे में बताते हुए कहा कि चिरचिटा अपने आप में एक संपूर्ण आयुर्वेदिक फार्मेसी है. यह अपने सूजन-रोधी, मूत्रवर्धक और तेजी से घाव भरने वाले गुणों के लिए जाना जाता है, जिसका उपयोग सदियों से लोक चिकित्सा में किया जा रहा है  चिरचिटा पाचन तंत्र के लिए अद्भुत काम करता है. यह पाचन में सुधार करता है, शरीर से विषाक्त पदार्थों को साफ करता है. कब्ज, पेट दर्द और गैस्ट्रिक विकारों में तुरंत राहत देने की क्षमता रखता है  

चिरचिटा दो प्रकार में पाए जाते हैं: 

1. सफेद चिरचिटा (White Variety)

2. कृष्ण चिरचिटा (Black Variety)

दोनों ही प्रकार उपयोगी हैं, लेकिन आयुर्वेदिक ग्रंथों में कृष्ण चिरचिटा को प्राथमिकता दी जाती है।.

गुर्दे और मूत्राशय की पथरी में सहायक

गुर्दे की समस्याओं से जूझ रहे मरीजों के लिए इसकी जड़ संजीवनी बूटी से कम नहीं है. इसकी जड़ का काढ़ा गुर्दे के दर्द में बहुत फायदेमंद होता है और मूत्राशय की पथरी को तोड़ने और उसे शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है.

दांतों और मसूड़ों का रक्षक

दांतों और मसूड़ों के रोगों में भी चिरचिटा अत्यंत उपयोगी है. इसके पत्तों का रस या काढ़ा मुंह के छालों और दांतों के दर्द में आराम देता है. पारंपरिक रूप से इसकी टहनी का उपयोग दातुन के रूप में भी किया जाता है, जो दांतों के आसपास मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करने में सहायक है.

त्वचा रोगों का उपचार

बाहरी उपयोग के लिए, इसके पत्तों को पीसकर फोड़े-फुंसी, एक्जिमा और अन्य त्वचा संक्रमणों पर लेप लगाया जाता है. यह न केवल संक्रमण को ठीक करता है बल्कि घाव भरने की गति को भी तेज करता है. डॉ शर्मा जोर देकर कहते हैं कि हमें प्रकृति द्वारा दिए गए इन औषधीय उपहारों के मूल्य को समझना चाहिए और उन्हें केवल जंगली पौधा मानकर नष्ट करने से बचना चाहिए. इन सब का प्रयोग करने से पहले एक बार आयुर्वेद एक्सपर्ट से सलाह जरूर लेनी चाहिए. 

 पाचन तंत्र को मजबूत करता है

चिरचिटा पाचन अग्नि को बढ़ाता है, जिससे खाना अच्छी तरह पचता है। यह गैस, अपच और पेट फूलने जैसी समस्याओं में राहत देता है। इसका सेवन भूख को बढ़ाता है और कब्ज से छुटकारा दिलाता है। यह उन लोगों के लिए लाभकारी है जो बार-बार पेट की गड़बड़ियों से परेशान रहते हैं।

 जोड़ों और गठिया के दर्द में फायदेमंद

चिरचिटा की जड़ या पत्तियों का पेस्ट बनाकर दर्द वाले हिस्सों पर लगाया जाता है। यह सूजन को कम करता है और गर्मी पैदा करके रक्तसंचार को बेहतर बनाता है। गठिया, साइटिका और पुराने जोड़ों के दर्द में यह बहुत उपयोगी है।

 खांसी और कफ में राहत

चिरचिटा का काढ़ा पुराने खांसी, गले की खराश और बलगम की समस्या में बहुत फायदेमंद होता है। यह बलगम को ढीला करता है और गले से बाहर निकालता है। कफज बुखार, अस्थमा या ब्रोंकाइटिस में भी राहत मिलती है।

 बवासीर में आरामदायक

चिरचिटा के बीज या जड़ का पाउडर खूनी और बादी दोनों प्रकार की बवासीर में लाभ पहुंचाता है। यह सूजन को कम करता है और मल त्याग को आसान बनाता है।

 मासिक धर्म की अनियमितता में सहायक

महिलाओं में पीरियड्स अनियमित या दर्दनाक हों, तो इसकी जड़ से बना काढ़ा उपयोगी होता है। यह गर्भाशय को साफ करता है और मासिक धर्म चक्र को नियमित करने में मदद करता है। गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

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