छत्तीसगढ़ विधानसभा में खाद संकट पर भारी हंगामा, कृषि मंत्री ने दिया जवाब
छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज से मानसून सत्र शुरू हो गया है. आज का सत्र काफी हंगामेदार रहा. प्रश्नकाल के दौरान विभागीय परीक्षा में अनियमितता का मुद्दा तो शून्यकाल के दौरान नेता-प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने राज्य में खाद-बीज संकट का मुद्दा उठाया. कांग्रेस ने राज्य में बीजों और खाद की कमी को लेकर जमकर हंगामा किया और इस विषय पर काम रोककर चर्चा कराने की मांग की। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्ष के स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा की मांग को अस्वीकार कर दिया तब कांग्रेस विधायक सदन के बीचों-बीच अध्यक्ष के आसन के समीप आ गए। कांग्रेस नेताओं ने कहा, ‘‘राज्य में डीएपी और यूरिया उर्वरकों की भारी कमी है। खरीफ 2025 सीजन के लिए डीएपी वितरण का लक्ष्य 3.10 लाख टन रखा गया था, जो पिछले खरीफ 2024 सीजन से 30,000 टन कम है। चालू सीजन में अब तक केवल 1.01 लाख मीट्रिक टन की आपूर्ति हो पाई है।’’
धान की पैदावार कम करना चाहती है सरकार
उन्होंने कहा कि यूरिया वितरण का लक्ष्य 7.12 लाख टन था, लेकिन केवल 3.59 लाख टन की आपूर्ति हुई है। इन दोनों उर्वरकों की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में नहीं की गई। कांग्रेस का आरोप है कि किसानों के विरोध के बीच, राज्य सरकार ने छलपूर्वक डीएपी का लक्ष्य तीन लाख दस हजार मीट्रिक टन से संशोधित कर केवल एक लाख तीन हजार टन कर दिया। राज्य सरकार उर्वरक का कृत्रिम संकट पैदा करके धान की पैदावार कम करना चाहती है, इसलिए उर्वरक और बीज कम मात्रा में दिए जा रहे हैं।
कृषि मंत्री ने कहा
कांग्रेस नेताओं के आरोपों का जवाब देते हुए राज्य के कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने कहा कि इसपर कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने कहा कि किसानों को उर्वरकों के संतुलित उपयोग के लिए जागरूक कर रहे हैं और वैकल्पिक खाद के उपयोग की भी जानकारी प्रशिक्षण के जरिए दी गई है. चूंकि फॉस्फेटिक उर्वरकों की उपलब्धता मुख्य रूप से आयात पर आधारित है और मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए आयातित फॉस्फेटिक उर्वरकों की आपूर्ति प्रभावित होने की संभावना है। नेताम ने बताया कि इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने वैकल्पिक उर्वरकों की व्यवस्था और किसानों को उनके उपयोग के प्रति जागरूक करने की प्रक्रिया बहुत पहले ही शुरू कर दी थी।