बीजापुर के वर्षों से सुनसान पड़े स्कूलों में फिर से गूंजेंगी बच्चों की आवाज
शिक्षा के क्षेत्र में बीजापुर जिला एक ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ा है. दो दशक बाद बीजापुर जिले के दुर्गम और अतिसंवेदनशील इलाकों के स्कूल में बच्चों की आवाज गूंजेंगी. इन गांवों में अब शिक्षकों की नियमित आवाजाही शुरू होगी, जिससे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकेगी. राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के अंतर्गत जिले के शिक्षक विहीन स्कूलों में अब नियमित शिक्षकों की तैनाती कर दी गई है. इससे न केवल शिक्षा व्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि वर्षों से बंद पड़े स्कूलों में फिर से पढ़ाई होगी. उल्लेखनीय है सरकार की इस पहल से शिक्षा व्यवस्था को मिली मजबूती एक बड़ा बदलाव लेकर आई है. युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया से यह साफ है कि सरकार बीजापुर जैसे दूरस्थ और संवेदनशील जिलों में भी शिक्षा को प्राथमिकता दे रही है. वर्षों से सुनसान पड़े स्कूलों में अब फिर से बच्चों की आवाजें गूंजेंगी.
जिला शिक्षा कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार शासन के निर्देशों के अनुरूप युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. बीजापुर जिले के गुंडापुर, मुदवेंडी, हिरमगुंडा, बोटेतोंग, गुंजेपरती, जीड़पल्ली और मुरकीपाड़ जैसे दुर्गम और अतिसंवेदनशील इलाकों के स्कूल में ककहरा गूंजेगा. इन गांवों में अब शिक्षकों की नियमित आवाजाही शुरू होगी, जिससे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकेगी.
गौरतलब है नई पदस्थापना के तहत 82 शिक्षक पूरी तरह शिक्षकविहीन स्कूलों में, 44 शिक्षक एकल शिक्षक वाले स्कूलों में और 63 शिक्षक सामान्य जरूरत वाले स्कूलों में भेजे गए हैं. विशेष बात यह है कि जिले के 76 ऐसे स्कूल जो दो दशकों से बंद पड़े थे, वहां अब पहली बार नियमित शिक्षक तैनात किए गए हैं.