सुहागिनों ने वट सावित्री पूजा कर मांगी पति की लंबी उम्र - CGKIRAN

सुहागिनों ने वट सावित्री पूजा कर मांगी पति की लंबी उम्र


देश में पेड़ों, नदियों और पहाड़ों की पूजा करना प्राचीन परंपरा रही है. वट सावित्री व्रत पूजा भी इसी के अंतर्गत आती है. जहां सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं. इस दिन महिलाएं पति के लिए दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला उपवास रखती है. ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर सोमवार को क्षेत्र में सुहागिनों ने वट सावित्री व्रत की पूजा की.  सुहागिन महिलाओं ने वट वृक्ष की विधिवत पूजा कर अपने पति के दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना की. मान्यता है कि इसी दिन सतयुग में देवी सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस प्राप्त किये थे. तभी से यह व्रत सुहागिनों के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है. व्रती महिलाओं ने प्रातःकाल स्नान कर सोलह शृंगार किया और पूजा सामग्री के साथ वट वृक्ष की पूजा के लिए पहुंचीं. सबसे पहले वट वृक्ष को हल्दी का लेप लगाया गया. फिर पीले धागे से सात परिक्रमा करते हुए जल अर्पण किया. व्रत का विधिपूर्वक पालन करते हुए महिलाओं ने श्रद्धा भाव से पूजन-अर्चना कर दिनभर निराहार रहकर व्रत का पालन किया. वट सावित्री व्रत शक्ति, नारी की आस्था और सतीत्व का प्रतीक है। वट सावित्री व्रत पति की लंबी उम्र और पारिवारिक सुख-शांति के लिए सुहागन महिलाएं व्रत करती हैं। जो लोग करवा चौथ का व्रत नहीं करते हैं, वे वट सावित्री का व्रत जरूत करते हैं। यह व्रत केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं बल्कि नारी-शक्ति और प्रेम का प्रतीक भी है। माना जाा है कि यह व्रत करने से जीवन में चल रहे सभी कष्ट दूर होते हैं और सौभाग्य अखंड बना रहता है। वैवाहिक जीवन में अगर कोई परेशानी है तो वह भी दूर हो जाती है।  व्रती महिलाओं ने वट के नीचे बैठकर विधि विधान ने पूजा अर्चना की। परिवार में सुख, शांति और समृद्धि के लिये कामना की। पति की लंबी उम्र के लिये भगवान से प्रार्थना की।

व्रतियों ने वट वृक्ष में कच्चा सूत लपेटकर सात बार परिक्रमा की। महिलाओं ने हाथ में भीगा चना लेकर सावित्री-सत्यवान की कथा सुनीं। फिर भीगा चना, रुपये-पैसे और वस्त्र अपनी सास को देकर उनका आशीर्वाद लिया। वट वृक्ष की कोपल खाकर उपवास  तोड़ा।

सोमवती अमावस्या का रहा शुभ संयोग

हिंदू पंचांग के मुताबिक, ज्येष्ठ की अमावस्या तिथि को वट सावित्री व्रत किया जाता है। इस व्रत का महत्व करवा चौथ के समान ही होता है। इस बार सोमवार को व्रत पड़ने से सोमवती अमावस्या भी रही। अत्यंत दुर्लभ और सौभाग्यशाली यह संयोग में महिलाओं ने पूजा अर्चना की। 

क्यों की जाती है बरगद की पूजा?

वेद-पुराण के अनुसार, वट वृक्ष (बरगद) एक देव वृक्ष माना जाता है। ब्रह्मा, विष्णु, महेश और ,सावित्री भी वट वृक्ष में रहते निवास करते हैं। प्रलय के अंत में भगवान श्रीकृष्ण इसी वृक्ष के पत्ते पर प्रकट हुए थे। गोस्वामी तुलसीदास ने भी वट वृक्ष को तीर्थराज का छत्र कहा है। ये वृक्ष अत्यंत पवित्र और दीर्घायु वाला माना जाता है। धार्मिक महत्व, लंबी आयु और शक्ति को ध्यान में रखकर इस वृक्ष की पूजा होती है। पर्यावरण की दृष्टि से भी ये पेड़ काफी बेहतर माना जाता है। 

क्या कहती हैं सुहागिन महिलाएं

वट सावित्रि पूजा करने आई सुहागिन महिलाओं का कहना है कि आज के दिन सावित्री ने यमराज से अपने पति के लिए कठिन तपस्या कर अपने पति सत्यवान का प्राण वापस लाई थी. तभी से सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुहाग की रक्षा के लिए वट वृक्ष के नीचे पूजा अर्चना करती हैं. जामताड़ा समेत पूरे जिले एवं आसपास क्षेत्र में वट सावित्री पूजा को लेकर धूम है.


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