सरेंडर करने वाले नक्सलियों को शिक्षा, नौकरी और वित्तीय सहायता देगी छत्तीसगढ़ सरकार - CGKIRAN

सरेंडर करने वाले नक्सलियों को शिक्षा, नौकरी और वित्तीय सहायता देगी छत्तीसगढ़ सरकार


गृहमंत्री विजय शर्मा एक दिवसीय दौरे पर सुकमा पहुंचे। इस दौरान उन्होंने नक्सल पुनर्वास केंद्र का निरीक्षण किया तथा आत्मसमर्पित नक्सलियों से मुलाकात कर उनकी वर्तमान स्थिति, सरकार की पुनर्वास नीति तथा उनके अनुभवों के बारे में जानकारी ली मंत्री शर्मा ने स्पष्ट किया कि छत्तीसगढ़ सरकार राज्य में शांति एवं सामाजिक समावेशन स्थापित करने की दिशा में गंभीरता से काम कर रही है। उन्होंने आत्मसमर्पित नक्सलियों से बातचीत की तथा उनके पुनर्वास, शिक्षा, रोजगार एवं समावेशन योजनाओं की समीक्षा की। उन्होंने सभी को आश्वस्त किया कि सरकार उनके समुचित पुनर्वास के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार द्वारा सभी आवश्यक दस्तावेज-राशन कार्ड, आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, बैंक पासबुक, मतदाता पहचान पत्र एवं राजस्व संबंधी प्रमाण पत्र बनवाए जाएंगे

छत्तीसगढ़ सरकार नक्सलियों को मुख्यधारा में शामिल कराने के लिये उनके पुनर्वास नीति को लेकर हर तरह के कदम उठा रही है। राज्य सरकार ने नक्सल क्षेत्रों में शांति स्थापित करने के उद्देश्य से नक्सलवादी आत्मसमर्पण पीड़ित राहत एवं पुनर्वास नीति 2025 लागू की है। इसके तहत सरेंडर करने वाले सक्रिय इनामी नक्सलियों और उनके परिवारजनों को सरकार शिक्षा, नौकरी और वित्तीय सहायता जैसी कई महत्वपूर्ण सुविधाएं मुहैया करायेगी।यदि किसी आत्मसमर्पित नक्सली ने नक्सलियों के विरुद्ध अभियान में पुलिस को विशेष सहयोग दिया है और इसके कारण उसकी जान व संपत्ति को खतरा है, तो ऐसे प्रकरणों में उसे पुलिस विभाग के आरक्षक या समकक्ष पद पर नियुक्त करेगी। अन्य विभागों में नियुक्ति के लिये जिला स्तरीय समिति की अनुशंसा आवश्यक होगी। वहीं पांच लाख रुपए या उससे अधिक के ईनामी नक्सली के आत्मसमर्पण की स्थिति में पात्रता रखने पर नक्सली अथवा उसके परिवार के किसी एक सदस्य को शासकीय सेवा में नियुक्ति देगी। यदि किसी कारणवश सेवा नहीं दी जा सकती, तो ऐसे आत्मसमर्पित को एकमुश्त 10 लाख की राशि सावधि जमा के रूप में दी जाएगी। यह राशि 3 वर्षों के अच्छे आचरण के बाद एकमुश्त हस्तांतरित की जाएगी। 

छत्तीसगढ़ सरकार ने आत्मसमर्पित नक्सलियों एवं उनके बच्चों की शिक्षा के लिए भी जरूरी कदम उठाये हैं। बच्चों को 18 वर्ष की आयु तक निःशुल्क एवं प्राथमिकता आधारित शिक्षा शासकीय एवं आवासीय विद्यालयों में दी जाएगी। छात्रावास की सुविधा आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग की ओर से प्रदान की जाएगी। यदि आत्मसमर्पित नक्सली या उनके बच्चे निजी शिक्षण संस्थानों में पढ़ना चाहें, तो उन्हें शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत आरक्षित सीट में प्रवेश एवं अनुदान राशि प्रदान की जाएगी। यादि इच्छुक आत्मसमर्पित नक्सली खुद भी शिक्षा पाना चाहता है तो  संबंधित विभागों की योजनाओं के अंतर्गत सहायता दी जाएगी। यह नई नीति राज्य में शांति एवं विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे न केवल आत्मसमर्पित नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ने में मदद मिलेगी, बल्कि उनके परिवारजनों का भविष्य भी सुरक्षित होगा। 

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