स्व सहायता समूह की महिलाएं फूल और सब्जी से हर्बल गुलाल बना रही
होली के पर्व को धूमधाम से मनाने के लिए प्रदेशभर में स्व सहायता समूह की महिलाएं हर्बल गुलाल के निर्माण में जुटी हुई हैं. दुर्ग की ओम साईं स्वसहायता समूह की महिलाएं भी इस काम में पीछे नहीं है. समूह की महिलाएं प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल कर हर्बल गुलाल बन रही हैं ग्राम पुरई की ओम साईं स्वसहायता समूह में 10 महिलाएं हैं. यह महिलाएं पालक, चुकंदर, पलाश और गेंदे के फूल से हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं. अब तक ये महिलाएं 100 किलो से ज्यादा हर्बल गुलाल बनाकर बेच चुकी हैं.
हर्बल गुलाल बनाने की विधि: महिलाओं ने बताया कि हर्बल गुलाल को बनाने में तीन दिन लगता है. फूलों को पहले सुखाया जाता है. फिर उन्हें मिक्सी में पीसते हैं. उसके बाद उसे काफी मिक्स किया जाता है. इस पाउडर को जितना ज्यादा हाथों से मिलाया जाता है, उतना रंग अच्छा होता है. फिर उसके बाद पैकिंग की जाती है.
फूलों और सब्जियों से प्राकृतिक रंग: ओम सांई स्वसहायता समूह की सदस्य आशा साहू बताती हैं कि घर की पालक, चुकंदर, पलाश और गेंदा से हर्बल गुलाल बनाते हैं. इसमें किसी तरह का कैमिकल यूज नहीं किया जाता है. भिलाई दुर्ग के अलावा कोरबा, धमतरी में भी हर्बल गुलाल भेजा जाता है. गांव में 100 रुपये किलो में बेचा जाता है. दूसरे जिले में भेजने के दौरान इसका रेट 85 से 90 रुपये किलो में बेचा जाता है.
ओम साई स्वसहायता समूह की सदस्य पुनीता साहू बताती है कि समूह से जुड़कर ना सिर्फ गुलाल बना रहे हैं बल्कि दूसरी कई चीजों को बनाकर बेचती है. बड़ी, रुई बत्ती, पापड़ भी बनाकर बेचते हैं. आत्मनिर्भर बनने का मौका मिला.
बिहान की एफएलसीआरपी कविता सोनवानी बताती है कि गांव की 10 महिलाओं को गुलाल बनाया सिखाया गया है. गुलाल के अलावा कई और चीजें भी महिलाएं बनाती है. इस बार 10 हजार रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है. समूह में जुड़ने के बाद ना सिर्फ महिलाओं को फायदा हुआ है बल्कि इसके जरिए लोगों को शुद्ध सामान भी मिल रहा है. इससे महिलाओं की कमाई भी हो रही है.
