क्या इस बार छत्तीसगढ़ में भाजपा से सरगुजा छीन पायेगी कांग्रेस...?
छत्तीसगढ़ में इस बार लोकसभा चुनाव बेहद रोचक होने वाला है। इस बार मोदी की गारंटी, महतारी वंदन योजना या कांग्रेस की नारी न्याय गारंटी योजना किस पर भारी होगी यह जनता पर निर्भर है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा से सत्ता छीन ली थी लेकिन इस बार फिर भाजपा विधानसभा चुनाव में जीत का परचम लहरा लिया। यदि हम सरगुजा संभाग की बात करें तो पिछले विधानसभा चुनाव में पूरा 14 की 14 सीट कांग्रेस ने जीत ली थी लेकिन इसके बावजूद भी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। पिछले चार लोकसभा चुनाव में एक बार भी कांग्रेस इस सीट पर जीत का स्वाद नहीं चख सकी है. कभी कांग्रेस का गढ़ रही सरगुजा लोकसभा सीट छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद बीजेपी का गढ़ बन चुकी है. लोकसभा चुनाव 2024 बेहद नज़दीक हैं. नरेंद्र मोदी की अगुआई में बीजेपी लगातार तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने के लिए पूरा ज़ोर लगा रही है. वहीं, विपक्षी दल भी उलटफेर करने की रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं. छत्तीसगढ़ की एसटी आरक्षित लोकसभा सीट है सरगुजा. देश की आजादी के बाद यहां 17 चुनाव हो चुके हैं और 18 वीं लोकसभा के लिए 2024 में चुनाव होने हैं. इस सीट के अस्तित में आने के बाद 1952 और 1957 के चुनाव में दो सांसद चुने जाते थे. के सामान्य वर्ग से और दूसरा एसटी वर्ग से. लेकिन 1962 के चुनाव से पहले परिसीमन हो गये और सीटों का आरक्षण हो गया. दो सांसद बनने की परंपरा पर विराम लग गया.
वैसे चुनाव में हार जीत तो होती ही रहती है पर प्रदेश में सरगुजा लोकसभा क्षेत्र का चुनाव राज्य बनने के बाद से रोचक रहा है. हर बार कड़ी टक्कर के बाद भी कांग्रेस इस सीट को नहीं जीत सकी है. 2018 विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई तो ऐसा लगा कि इसका असर लोकसभा चुनाव में भी होगा. लेकिन ऐसा हो ना सका. और भाजपा ने जीत हासिल कर ली। चाहे प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता रही हो या ना हो फिर भी बीजेपी ने सरगुजा सीट से अपना वर्चस्व खत्म नहीं होने दिया. कई बार कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में सरगुजा की आठ सीटों पर बेहतर प्रदर्शन किया. लेकिन लोकसभा का चुनाव हार गई. सबसे ज्यादा चौंकाने वाला परिणाम 2019 में आया था.
प्रदेश में वर्ष 2018 में कांग्रेस ने सरकार बनाई थी. और भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था सिर्फ 15 सीटों पर सिमट गई थी. सरगुजा संभाग की बात करें तो यहां की 14 की 14 सीटों में बीजेपी का सूपड़ा साफ हो चुका था. इन्हीं 14 में से 8 विधानसभा सीट सरगुजा लोकसभा सीट के अंतर्गत आती हैं. इस जीत के बाद कांग्रेस को लगा था कि इस बात लोकसभा सीट भी उनके पाले में आयेगा पर ऐसा हो न सका फिर एक बार भाजपा ने इस सीट पर जीत हासिल कर ली। उस समय सभी को लगा कि स्थितियां बदलेंगी. लोकसभा में भी कांग्रेस इस बार अपना खाता खोलेगी. लेकिन जब लोकसभा चुनाव हुए तो परिणाम चौंकाने वाले सामने आए. विधानसभा के उलट लोकसभा में सरगुजा सीट बीजेपी ने भारी मतों से लोकसभा चुनाव जीता. विधानसभा चुनाव के महज 6 महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था. मतों का इतना बड़ा अंतर मोदी की गारंटी को माना जा रहा है. हमेशा कंवर समाज से लोकसभा प्रत्याशी बनाने वाली बीजेपी ने गोंड समाज की प्रत्याशी रेणुका सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया था. इस लोकसभा सीट में सर्वाधिक आबादी गोंड समाज की लोगों की मानी जाती है. इस बार सरगुजा की बात करें तो कांग्रेस ने गोंड समाज से अपना प्रत्याशी बनाया है. पूर्व मंत्री की बेटी शशि सिंह मैदान में हैं. जिनके सामने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए चिंतामणि महाराज हैं.
छत्तीसगढ़ की सरगुजा कभी कांग्रेस की पारंपरिक सीट मानी जाती थी. लेकिन बदलते वक्त ने कब वोटर्स का मिजाज बदल दिया, स्वयं कांग्रेस को पता नहीं चला कि वो इस सीट पर धीरे धीरे अपना वर्चस्व खोते जा रहा है. विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस कभी आगे तो कभी पीछे रही हो, लेकिन जब बात लोकसभा की आती है, तो कांग्रेस दूर-दूर तक नहीं दिखती. 2003 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को लोकसभा क्षेत्र में आने वाली 8 में से 7 में जीत मिली थी. सीतापुर सीट ही कांग्रेस के पास गई थी. जब 2004 में लोकसभा चुनाव हुए तो उसमें बीजेपी जीती. फिर 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी को बराबर चार-चार सीटें मिली. 2009 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने कांग्रेस को हराया. इसी तरह 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 6 सीटें मिली और बीजेपी को 2 सीटों में ही संतोष करना पड़ा. फिर भी लोकसभा चुनाव में बीजेपी चुनाव जीत गई. 2018 के विधानसभा चुनाव में तो कांग्रेस ने आठ की आठ सीट जीतीं.आठ सीटों में कांग्रेस की बढ़त दो लाख वोटों से अधिक थी. लेकिन एक बार फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट बैंक बीजेपी में स्वीच कर गया. जिसके कारण कांग्रेस सरगुजा लोकसभा सीट को एक लाख संतावन हजार वोट के बड़े अंतर से हार गई.विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में वोटों का अंतर साढ़े तीन लाख का आ गया.
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस स्थानीय मुद्दों को लेकर चुनाव में उतरी थी. उस वक्त टीएस सिंहदेव को सीएम बनाने की चर्चा जोरों पर थी.सरगुजा के लोगों ने भी दिल खोलकर कांग्रेस के पक्ष में वोटिंग की.लेकिन जब टीएस सिंहदेव सीएम नहीं बन सके तो लोगों की उम्मीदें भी टूटी. शायद यही वजह रही होगी कि जब लोकसभा चुनाव हुए तो लोगों ने स्थानीय मुद्दों से ऊपर उठकर बीजेपी के पक्ष में वोट किया. मौजूदा चुनाव में भी मोदी का बड़ा चेहरा और राम मंदिर का फैक्टर गूंज रहा है.
2004 से बीजेपी का अभेद किला है यह सीट: वर्तमान में यहां से 2019 में रेणुका सिंह सांसद चुनी गई. इन्हें केंद्रीय राज्य मंत्री भी बनाया गया. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में रेणुका सिंह ने एमसीबी जिले की भरतपुर-सोनहत सीट से चुनाव लड़ा. चुनाव में जीतने के बाद उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया था. यहां 9 बार कांग्रेस ने तो 8 बार भाजपा प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है. लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद 2004 से यहां कांग्रेस कभी चुनाव नहीं जीत सकी है. यहां लगातार बीजेपी के प्रत्याशी जीत दर्ज करते आ रहे हैं. 2004 में नंदकुमार साय, 2009 में मुरारीलाल सिंह, 2014 में कमलभान सिंह और 2019 में रेणुका सिंह यहां से सांसद बनी. राज्य निर्माण के पहले और छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आने के बाद 2004 तक कांग्रेस के खेल साय सिंह यहां से 3 बार सांसद रह चुके हैं.
सरगुजा सीट पर जातिगत फैक्टर हमेशा हावी रहा है. यही वजह है कि कांग्रेस ने ज्यादातर मौकों पर गोंड प्रत्याशी ही मैदान में उतारे हैं. खेलसाय सिंह के रूप में कांग्रेस को सफलता भी मिली है, जब बीजेपी ने 2019 में गोंड प्रत्याशी मैदान में उतारा तो जीत का अंतर डेढ़ लाख पार हो गया. इस चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को भी करीब 25 हजार वोट मिले. जो गोंगपा के कैडर वोट थे. 2023 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया. जिसके कारण लोकसभा की सभी आठ सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. कांग्रेस अपने प्रत्याशी के भरोसे है, तो बीजेपी मोदी के साथ राममंदिर फैक्टर को भुना रही है. इस बार फिर मोदी की गारंटी को भाजपा भुनाने के चक्कर में है। पिछले विधासभा चुनाव में महतारी वंदन योजना और मोदी की गारंटी में भाजपा को वापस सत्ता में ला दिया है। अब देखना यह है कि इस बार क्या लोकसभा चुनाव में मोदी की गारंटी जीत दिला पायेगी या कांगे्रस इसे वापस पाने में सफल हो पायेगा...
