राजनांदगांव का चुनावी दंगल...भाजपा को अपना गढ़ बचाने की चुनौती तो वहीं कांग्रेस की अग्रि परीक्षा
लोकसभा चुनाव का सियासी पारा अब प्रदेश में बढ़ते जा रहा है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहा है प्रत्याशियों का चुनाव प्रचार के साथ-साथ स्टार प्रचारकों का दौरा भी शुरू हो गया हेै। पिछले दिनों बस्तर में प्रधानमंत्री मोदी चुनावी शंखनाद करके चले गये है। अब राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, राजनाथ सिंह और अमित शाह चुनाव प्रचार के लिए छत्तीसगढ़ आने वाले है। उनका कार्यक्रम भी निश्चित हो गया है। वहीं छत्तीसगढ़ की राजनांदगांव लोकसभा सीट पर इस बार रोचक मुकाबला होने वाला है। इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता भूपेश बघेल स्वयं चुनावी मैदान में हैं। जबकि भाजपा की ओर से मौजूदा सांसद संतोष पांडेय दोबारा जोर आजमाइश कर रहे हैं। भूपेश विधानसभा चुनाव में पाटन विधानसभा सीट से अपनी विधायकी बचाने में तो कामयाब रहे हैं पर अपनी सरकार नहीं बचा पाए हैं। अब एक बार फिर उनकी साख दांव पर लगी हुई है। भूपेश बघेल की छवि पाटन की जनता के बीच लोकप्रिय नेता और सीएम की रही है. पाटन में जितने भी विकास के काम हुए उन सबका श्रेय भूपेश बघेल को जनता देती है. पाटन सीट से भूपेश बघेल अब तक पांच बार चुनाव जीत चुके हैं. भूपेश बघेल पर कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व पूरी तरह से भरोसा करता है. 2023 के विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल ने बीजेपी प्रत्याशी विजय बघेल को शिकस्त दी है.भूपेश बघेल को इस बार पार्टी ने राजनांदगांव सीट से संतोष पाण्डेय के खिलाफ उतारा है. कांगे्रस को पूरा भरोसा है कि इस बार राजनांदगांव में जीत हासिल करके ही छोड़ेगे। कांग्रेस ने भूपेश को मैदान में इसलिए उतारा है कि प्रदेश में कांग्रेस की सीट का ग्राफ बढ़ाया जा सके। यह सीट भाजपा के लिए भी अहम है क्योंकि भाजपा नेता व छत्तीसगढ़ में तीन बार मुख्यमंत्री रहे डा. रमन सिंह भी इसी क्षेत्र से विधायक हैं। हालांकि रमन वर्तमान में विधानसभा अध्यक्ष होने के नाते सक्रिय राजनीति में प्रत्यक्ष सहभागी नहीं बन रहे हैं मगर उनकी भी साख लगी हुई है। राजनांदगांव को भाजपा की सीट मानी जाती है और इस सीट पर लगातार भाजपा ही चुनाव जीतते आई है।
राजनांदगांव में लगातार चुनाव जीतते आ रही भाजपा
राजनांदगांव की राह कांग्रेस के लिए अधिक मुश्किल रहने वाली है क्योंकि 1999 से अब तक हुए चुनावों में एक उप चुनाव के अलावा कांग्रेस अन्य चुनाव नहीं जीत पाई है। 1999 के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह चुनाव जीते थे। इसके बाद 2004 में भी भाजपा के प्रदीप गांधी चुनाव जीते थे, हालांकि 2007 के उप चुनाव में कांग्रेस के देवव्रत सिंह ने भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने में सफलता हासिल की थी। इसके बाद 2009 में भाजपा के मधुसूदन यादव, 2014 में भाजपा के अभिषेक सिंह और 2019 में भाजपा के संतोष पांडेय सांसद निर्वाचित हुए थे।
छत्तीसगढ़ में राजनांदगांव जिला की अलग ही पहचान है इसे संस्कारधानी के नाम से जाना जाता है। एशिया का पहला और एकमात्र संगीत विश्वविद्यालय इंदिरा कला एवं संगीत विवि के नाम से खैरागढ़ की पूरी दुनिया में विशेष पहचान है। अविभाजित मध्य प्रदेश के समय मुख्यमंत्री और उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रहे मोतीलाल वोरा भी इस क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं। स्वतंत्रता संग्राम में राजनांदगांव जिले के सेनानियों का बड़ा योगदान रहा है। जिले के छुईखदान को बलिदानी नगरी भी पुकारा जाता है। राजनांदगांव में गणेश झांकी उत्सव भी बड़े धुमधाम से मनाया जाता है। इसकी झांकी प्रदेश में प्रसिद्ध है।
प्रदेश में राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र को अगर विधानसभा के नजरिए से देखें तो यहां कुल आठ विधानसभा क्षेत्र है जिसमें से पांच सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं। इनमें खैरागढ़, डोंगरगांव, खुज्जी, डोंगरगढ़, मोहला-मानपुर शामिल हैं जबकि केवल तीन सीटों में पंडरिया, कवर्धा और राजनांदगांव में भाजपा के विधायक हैं। यानी कांग्रेस के विधायकों की संख्या अधिक है। मतलब कांग्रेस वोटरों की संख्या ज्यदा है ऐसे में यह सीट जीतना कांग्रेस के लिए मुश्किल नहीं होगा। बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के संतोष पांडे ने कांग्रेस के भोला राम साहू को हराया था. इस बार भाजपा ने वर्तमान सांसद को टिकट देकर अपना भरोसा जताया है वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और जनता के प्रिय नेता भूपेश बघेल पर कांग्रेस को जीत का विश्वास है।