चरणदास महंत बने नेता प्रतिपक्ष, प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बने रहेंगे दीपक बैज
छत्तीसगढ़ कांग्रेस में लगातार बदलाव का दौर चल रहा है। विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस ने बड़ा फैसला लिया है । कांग्रेस के दिग्गज नेता और सक्ती विधायक डॉ. चरणदास महंत को सीएलपी लीडर यानी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है। इसके अलावा दीपक बैज को एक बार फिर से छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यानी उन्हें कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बरकरार रखा गया है। आपको बता दें कि, हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में कांग्रेस भाजपा से हार गई। कांग्रेस राज्य की 90 में से केवल 35 सीटें जीतने में सफल रही। वहीं, बीजेपी 54 सीटों के साथ सत्ता में आई। कांग्रेस राज्य में लगातार दूसरी बार सत्ता हासिल करने की कोशिश कर रही थी। लेकिन, असफल रही। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने डॉ. चरणदास महंत को छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए नेता प्रतिपक्ष बनाया है. जिसका पत्र संगठन के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने जारी किया है. डॉ. महंत ने नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने पर कांग्रेस के यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी, राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सांसद राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित छग विधानसभा के निर्वाचित कांग्रेस के सदस्यों के प्रति आभार जताया है. साथ ही विपक्ष की सशक्त भूमिका निभाने की बात भी कही है.
नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी मिलने के बाद सक्ती विधायक व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि जो लोग समझते हैं मैं शांत स्वभाव का हूं वो अब तीखापन देखेंगे। महंत ने कहा कि वे केंद्रीय मंत्री रहने के पहले सांसद रह चुके हैं, तब काफी तीखे तेवर दिखाए हैं, अब विपक्ष में रहकर तीखापन और कबीराना तरीके से सरकार को समझाएंगे।
कौन हैं चरण दास ?
अन्य पिछड़ा वर्ग से आने वाले चरण दास महंत को राज्य में पार्टी के भीतर विभिन्न गुटों के बीच व्यापक स्वीकार्यता के साथ एक तटस्थ व्यक्ति के रूप में पहचाना जाता है। राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद, महंत 1988 में अर्जुन सिंह की मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री के पद पर आसीन हुए, जो उनके राजनीतिक पथ को दर्शाता है। वह गृह मंत्री के रूप में महत्वपूर्ण भूमिकाओं में आगे बढ़े और बाद में 1993 में दिग्विजय सिंह की राज्य सरकार में उत्पाद शुल्क और जनसंपर्क मंत्री का पद संभाला। 1998 में, उन्होंने जांजगीर निर्वाचन क्षेत्र से पहला लोकसभा लोकसभा चुनाव जीता और संसद में प्रवेश किया। 2009 में यूपीए के दूसरे कार्यकाल के दौरान, उन्होंने मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया।