छत्तीसगढ़ में बीजेपी का बड़ा दांव: भाजपा ने आम आदमी पर खेला नया चुनावी खेल, - CGKIRAN

छत्तीसगढ़ में बीजेपी का बड़ा दांव: भाजपा ने आम आदमी पर खेला नया चुनावी खेल,

साजा में 'ईश्वर' भरोसे बीजेपी, बिरनपुर हिंसा में मृतक के पिता को बनाया उम्मीदवार

 


छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की। राज्य में आचार संहिता लगने के करीब 4 घंटे बाद बीजेपी ने अपने 64 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने अपने 85 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर चुकी है, केवल 5 नामों की घोषणा बाकी है। भाजपा ने 85 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित करने के साथ इस बार आम आदमी से लेकर अफसर और अभिनेता को भी टिकट दिया है। पार्टी ने साजा विधानसभा सीट से आम आदमी पर दांव खेला है। इस लिस्ट में सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नाम साजा विधानसभा सीट से हैं। ईश्वर साहू बिरनपुर हिंसा के पीड़ित हैं। बेमेतरा जिले के बिरनपुर गांव में छत्तीसगढ़ में इसी साल हिंसा हुई थी। इस हिंसा के में मारे गए युवक भुवनेश्वर साहू के पिता को बीजेपी ने टिकट देकर बड़ा दांव खेला है। 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और भूपेश बघेल सरकार के मंत्री रविंद्र चौबे साजा विधानसभा से विधायक हैं। चौबे की पहचान कांग्रेस सरकार के सबसे ताक़तवर मंत्रियों में होती है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी उनकी सलाह के बिना कोई फैसले नहीं लेते हैं। भाजपा किसी भी हाल में सजा की सीट जितना चाहती है, इलसिए उसने बिरनपुर हिंसा पीड़ित परिवार के सदस्य को चुनाव में उतरा है। बता दें कि 6 अप्रैल, 2023 में बेमेतरा जिले के बिरनपुर गांव में दो गुटों की झड़प के बाद भुनेश्वर साहू की हत्या कर दी गई थी। जिसके बाद गांव में हिंसा भड़क गई थी। गांव में कुछ घरों में आगजनी की गई थी। इसके बाद प्रशासन ने इस गांव में धारा 144 लागू कर दी थी।

सरकारी मुआवजा और नौकरी ठुकरा चुके हैं साहू

छत्तीसगढ़ सरकार ने भुवनेश्वर साहू के परिवार के लिए 10 लाख रुपये के मुआवजे और सरकारी नौकरी का ऐलान किया था, लेकिन पीड़ित परिवार ने यह लेने से इनकार कर दिया. पीड़ित परिवार ने कहा था कि उन्हें पैसा और सरकारी नौकरी नहीं, न्याय चाहिए. उस वक्त भुवनेश्वर साहू के भाई कृष्ण साहू ने एबीपी न्यूज के साथ बातचीत में कहा था, 'हमें इंसाफ चाहिए. जान के बदले पैसे लेने के लिए हम राजी नहीं हैं. मैं अपने परिवार को रोजी मजदूरी कर पाल लूंगा.' इसके अलावा, कृष्ण साहू की बड़ी बहन ने भी सरकार की घोषणा को कोई तवज्जों नहीं दिया. उन्होंने कहा कि हम सरकार के पैसे से सहमत नहीं हैं. पहले उनको सजा दीजिए. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार हमारा मुंह बंद करने की कोशिश कर रही है. हमारे भाई की कीमत दे रहे हैं. जान के बदले फांसी देनी चाहिए.'

कौन हैं ईश्वर साहू ?

"ईश्वर साहू" पूरी तरह गैरराजनीतिक व्यक्ति हैं, उनकी पहचान केवल उतनी है कि यह बेहद ही चर्चित बिरनपुर हिंसा के पीड़ित हैं। पुलिस के मुताबिक, एक बच्चे से मारपीट के बाद दो समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया था. झगड़ा बच्चों की लड़ाई से शुरू हुआ था और बाद में बड़े भी इस मामले में कूद पड़े. बवाल इतना बढ़ गया कि आगजनी जैसी घटनाएं भी देखने को मिलीं. कई जानकारों का मानना है कि बिरनपुर में ईश्वर साहू को टिकट देना भाजपा का स्मार्ट मूव जरूर हो सकता है, मगर जीत की गारंटी नहीं। क्योंकि ईश्वर का कोई राजनीति अनुभव नहीं है।

कौन हैं रविंद्र चौबे?

रविंद्र चौबे कांग्रेस के कद्दावर नेता हैं. वह लंबे समय से राज्य की राजनीति में सक्रिय हैं. साल 1982 में वह युवा कांग्रेस दुर्ग में महामंत्री और अध्यक्ष बने. 1990,1993,1998,2003 और 2008 में रविंद्र चौबे मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य चुने गए. वह इस वक्त राज्य के बेमेतरा जिले के साजा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं, वह 2009 से 2013 के दौरान नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं.

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