ये है छत्तीसगढ़ की 'काशी', जहां भगवान राम ने की थी लक्ष्मणेश्वर शिवलिंग की स्थापना - CGKIRAN

ये है छत्तीसगढ़ की 'काशी', जहां भगवान राम ने की थी लक्ष्मणेश्वर शिवलिंग की स्थापना

 


हिन्दू पौराणिक और स्थानीय कथाओं के अनुसार यहॉ भगवान राम के अनुज लक्ष्मण जी ने भगवान शिव का मंदिर बनवाया था। इसलिये इस मंदिर को लक्ष्मणेश्वर मंदिर के रूप में जाना जाता है। यह हिन्दू तीर्थ यात्रियों के लिये यह एक पवित्र स्थान है।

बताया जाता है कि यहां रामायण कालीन शबरी उद्धार और लंका विजय के लिए लक्ष्मण की विनती पर भगवान श्रीराम ने खर और दूषण की मुक्ति के पश्चात श्लक्ष्मणेश्वर महादेवश् की स्थापना की थी। रतनपुर के राजा खड्गदेव ने छठी शताब्दी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था।

छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा में अद्भुत रहस्यों और आश्चर्यों से भरा एक ऐसा शिवलिंग है जिसमें एक लाख छिद्र हैं. जिसमें से एक छिद्र पाताल लोक से जुड़ा हुआ है. लोगों में ऐसी मान्यता है कि इस छिद्र में जितना भी जल डालो वह पाताल लोक में चला जाता है.

जांजगीर-चांपा जिले के शिवरीनारायण से 3 किलोमीटर और छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 120 किलोमीटर दूर खरौद नगर में स्थित है लक्ष्मणेश्वर महादेव. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम ने यहां पर खर व दूषण का वध किया था. इसलिए इस जगह का नाम खरौद पड़ा. खरौद नगर में प्राचीन कालीन अनेक मंदिरों की उपस्थिति के कारण इसे छत्तीसगढ़ का काशी भी कहा जाता है. लक्ष्मणेश्वर महादेव के इस मंदिर में सावन मास में श्रावणी और महाशिवरात्रि में मेला लगता है.

लक्ष्मण ने की थी स्थापना

लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर के गर्भगृह में एक शिवलिंग है जिसके बारे में मान्यता है कि इसकी स्थापना स्वयं लक्ष्मण ने की थी. इसलिए लक्ष्मणेश्वर महादेव कहते हैं. इस शिवलिंग में एक लाख छिद्र है. इसलिए इसे लक्षलिंग कहा जाता है. मंदिर के पुजारी के अनुसार एक लाख छिद्रों वाला यह दुनिया का एकलौता शिवलिंग है. अभी तक इस तरह के दूसरे शिवलिंग के बारे में जानकारी सामने नहीं आई है.

इस शिवलिंग में है एक लाख छिद्र

यह लक्ष्मणेश्वर मंदिर अपने आप में बेहद अद्भुत और आश्चर्यों से भरा है. लक्ष्मणेश्वर शिवलिंग में एक लाख छिद्र हैं जो पातालगामी है, क्योंकि उसमे कितना भी जल डालो वो सब उसमें समा जाता है. वहीं एक छिद्र अक्षय कुण्ड है इसमें जल हमेशा भरा ही रहता है. एक लाख छिद्र होने के कारण इसे लखेश्वर महादेव भी कहा जाता है. लक्षलिंग जमीन से करीब 30 फीट ऊपर है और इसे स्वयंभू भी कहा जाता है.

पाताल में समा जाता है जल
लक्ष्मणेश्वर मंदिर अपने आप में बेहद अद्भुत और आश्चर्यों से भरा है. कहते हैं कि इस शिवलिंग में एक लाख छिद्र है. इसलिए इसे लक्षलिंग या लखेश्वर कहा जाता है. धार्मिक मान्यता अनुसार इन एक लाख छेदों में से एक छेद ऐसा है जो पाताल से जुड़ा है. इसमें जितना भी जल डाला जाता है. वह सब पाताल में समा जाता है. जबकि एक छेद ऐसा भी है जो हमेशा जल से भरा रहता है, जिसे अक्षय कुण्ड कहा जाता है.

छत्तीसगढ़ की काशी के नाम से विख्यात है यह मंदिर
लक्षलिंग जमीन से करीब 30 फीट ऊपर है और इसे स्वयंभू शिवलिंग भी कहा जाता है. खरौद छत्तीसगढ़ के काशी के नाम से विख्यात है. इसे राम वन गमन परिपथ में स्थान दिया गया है. ऐसी मान्यता है कि रामायण कालीन शबरी उद्घार और लंका विजय के पहले लक्ष्मण ने यहां खर और दूषण के वध के बाद ब्रह्म हत्या के पाप से छुटकारा पाने महादेव की स्थापना की थी. जिसे लक्ष्मणेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है.

ब्रह्महत्या दोष का होता है निवारण
मान्यता अनुसार श्रीराम ने खर और दूषण का यहीं पर वध किया था. इसीलिए इस जगह का नाम खरौद है. कहा जाता हैं कि यहां पूजा करने से ब्रह्महत्या के दोष का भी निवारण हो जाता है. कहते हैं कि रावण का वध करने के बाद लक्ष्मणजी ने भगवान राम से ही इस मंदिर की स्थापना करवाई थी. यह भी कहते हैं कि लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर के गर्भगृह में मौजूद शिवलिंग की स्थापना स्वयं लक्ष्मण ने की थी.

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