किसान समूह ने तीन माह में केंचुआ खाद से की तीन लाख की कमाई - CGKIRAN

किसान समूह ने तीन माह में केंचुआ खाद से की तीन लाख की कमाई


रायपुर। छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के आदिवासी बहुल गांव जगतपुर के इक्कीस किसानों ने सामूहिक रूप से वर्मीकम्पोस्ट का निर्माण कर मात्र तीन महीने में तीन लाख रूपये की आमदनी प्राप्त की है। कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया के मार्गदर्शन में मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के तहत ग्राम जगतपुर में 100 केंचुआ खाद टांकों से प्रथम चक्र में पांच टन केंचुआ खाद का उत्पादन किया गया। जिला प्रशासन कोरिया के सहयोग से कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया, कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग आदि शासकीय संस्थाओं द्वारा आठ रूपये प्रति किलो की दर पर इस वर्मीकम्पोस्ट की खरीदी की जा रही है। यह कृषक समूह अब तक तीन लाख रूपये की केंचुआ खाद विक्रय कर चुका है। इन टांकों से वर्ष भर में चार चक्रों में लगभग बीस टन केंचुआ खाद का निर्माण होगा जिससे समूह को सोलह लाख रूपये की सालाना आमदनी होगी।

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया द्वारा जिले के दूरस्थ अंचल स्थित आदिवासी बहुल गांव जगतपुर में 21 कृषकों का समूह गठित कर उन्हें मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत वर्मीकम्पोस्ट निर्माण हेतु नब्बे घंटे का प्रशिक्षण दिया गया। माहात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारन्टी योजना के तहत सौ टांके बनाकर वर्मीकम्पोस्ट एवं वर्मीवॉश का निर्माण शुरू किया गया। इन टांकों में साल भर में चार चक्रों में केंचुआ खाद का निर्माण किया जाएगा। प्रति चक्र प्रति टांके में 500 किलोग्राम केंचुआ खाद के हिसाब से एक चक्र में सौ टांकों से पांच टन वर्मीकम्पोस्ट तैयार होगी। इस प्रकार कुल चार चक्रों में बीस टन केंचुआ खाद का निर्माण होगा। जिला प्रशासन द्वारा विभिन्न शासकीय एजेन्सियों के लिए केंचुआ खाद की क्रय दर आठ रूपये प्रति किलो निर्धारित की गई है। इस प्रकार बीस टन केंचुआ खाद के विक्रय से कृषक समूह को सोलह लाख की आय प्राप्त होगी। इससे समूह के सदस्य प्रत्येक किसान को पचहत्तर हजार रूपये से अधिक की आमदनी होगी। इस वर्मीकम्पोस्ट का विक्रय कोरिया एग्रो प्रोड्यूसर कम्पनी के द्वारा किया जा रहा है। कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया के प्रभारी डॉ संदीप शर्मा ने बताया कि किसान समूह द्वारा प्रथम चरण में उत्पादित पांच टन केंचुआ खाद में से लगभग चार टन खाद की खरीदी कृषि विज्ञान केन्द्र एवं अन्य शासकीय एजेन्सियों द्वारा की गई है जिससे समूह को लगभग तीन लाख रूपये की आय प्राप्त हो चुकी है। यह कृषक समूह कामयाबी मिसाल कायम करते हुए जिले के अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बन गया है।


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