भारतीय महिला क्रिकेट टीम के कोच अमोल मजूमदार का हुआ शानदार स्वागत .महिलाओं ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया
भारतीय महिला क्रिकेट टीम को वर्ल्ड चैंपियन बनाने में उनके कोच अमोल मजूमदार का बहुत बड़ा हाथ रहा है. मुंबई के रहने वाले अमोन टीम इंडिया को वो गुरू साबित हुए, जिन्होंने द्रोण की तरह अपने शिष्यों को जीवन की सबसे बड़ी सौगात दिलाई है. अमोल में घरेलू क्रिकेट में काफी नाम कमाया लेकिन इसके बावजूद वो खुद भारतीय क्रिकेट टीम के लिए कभी नहीं खेल पाए. खिलाड़ी नहीं, कोच बनकर पूरा हुआ सपना अब उन्होंने भारतीय महिला क्रिकेट टीम को अपनी कोचिंग में आईसीसी महिला वनडे विश्व कप 2025 का खिताब पहली बार दिलाया है. अमोल जब अपने घर पहुंचे तो उनका जोरदार तरीके से स्वागत हुआ. उनके स्वागत में फूल बिछाए गए और महिलाओं ने मिलकर उन्हें बल्ले के साथ गार्ड ऑफ ऑनर दिया. उनका अपनी सोसाइटी में इस तरह स्वागत हुआ, जैसा पहले कभी नहीं हुआ. टीम इंडिया के हेड कोच अमोल मजूमदार का रिटायरमेंट के 12 साल बाद उनकी सोसाइटी में ढोल-नगाड़ों के साथ स्वागत हुआ. जब वो विश्व कप जीतने के बाद घर लौटे, तो विले पार्ले सोसाइटी में एक अभूतपूर्व जश्न मनाया गया, जो पिछले कुछ सालों में किसी भी इलाके में नहीं देखा गया था.
विले पार्ले का माहौल ऐसा था मानो परिवार किसी अपने के लौटने से बहुत खुश हो गया हो और उसके स्वागत के लिए इकट्ठा हुआ हो. जैसे ही अमोल मजूमदार अपनी बिल्डिंग की ओर जा रहे थे, प्रवेश द्वार पर बल्ला लहराकर उनका स्वागत किया गया. इस बार खासकर महिलाएं और लड़कियां खुशी और आंसुओं से भरी हुई थीं. उनका स्वागत करने आए लोगों के लिए, यह सिर्फ विश्व कप जीत नहीं थी, बल्कि अपने ही क्षेत्र के एक ऐसे व्यक्ति की सफलता थी, जिसके बिना भारतीय टीम कभी इतिहास नहीं रच पाती. इस भव्य स्वागत के दौरान भी अमोल मजूमदार हमेशा की तरह शांत और संयमित रहे. वह स्वभाव जिसके लिए वे प्रसिद्ध हैं.
भारतीय टीम में मौका न मिलने से निराश अमोल मजूमदार ने 2014 में क्रिकेट से संन्यास ले लिया और कोचिंग का काम संभाला. इसके बाद उन्होंने नीदरलैंड, दक्षिण अफ्रीका और राजस्थान रॉयल्स जैसी टीमों के साथ काम किया. इस दौरान उनकी ख्याति एक ऐसे कोच के रूप में हुई जो कम बोलता था लेकिन हर बात को गहराई से समझता था. अक्टूबर 2023 में उन्हें भारतीय महिला टीम का मुख्य कोच नियुक्त किया गया. उस समय कई लोगों ने सवाल उठाया था कि जो व्यक्ति कभी देश के लिए नहीं खेला वह कोच कैसे बन सकता है. इस विश्व कप में लगातार तीन हार के बाद उनकी कोचिंग पर भी सवाल उठे, लेकिन उन्होंने भारतीय महिला क्रिकेट टीम को विश्व विजेता बनाकर इन सवालों का जवाब दिया.
कठिन समय में संभाली टीम
जब अमोल मजूमदार ने दो साल पहले कोच का पद संभाला, तब भारतीय महिला क्रिकेट टीम मुश्किल दौर से गुजर रही थी। खिलाड़ियों में प्रतिभा तो थी, लेकिन नतीजे नहीं आ रहे थे। टीम के भीतर गुटबाजी, अनुशासनहीनता और भरोसे की कमी जैसी बातें सामने आ रही थीं।इससे पहले रमेश पोवार, डब्ल्यू. वी. रमन और फिर से पोवार ने कोच की भूमिका निभाई थी। रमन के कार्यकाल में भारत 2020 टी20 विश्व कप फाइनल तक पहुंचा था, लेकिन उसके बाद टीम लगातार निराशाजनक प्रदर्शन कर रही थी। मजूमदार ने सबसे पहले खिलाड़ियों का भरोसा जीतने पर ध्यान दिया। उन्होंने सभी से खुलकर बातचीत की, उनके अच्छे प्रदर्शन पर प्रोत्साहन दिया और मुश्किल वक्त में साथ खड़े रहे। आलोचना होने पर उन्होंने अपनी टीम की ढाल बनकर रक्षा की।धीरे-धीरे टीम में एकजुटता और आत्मविश्वास लौटा। खिलाड़ी एक-दूसरे की सफलता का जश्न मनाने लगे और मुश्किल पलों में एक-दूसरे का सहारा बने। यही वह बदलाव था जिसने इस टीम को चैंपियन बनाया।
