अब सिर्फ धान से नहीं मखाने की खेती से भी हो रही किशानो को अच्छी आमदनी
धमतरी जिला प्रशासन ने मखाना खेती को प्रोत्साहित करते हुए इसे धान की जगह एक टिकाऊ और लाभकारी विकल्प के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है. कुरूद विकासखंड के ग्राम राखी, दरगहन और सरसोंपुरी को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना गया है, जहां लगभग 20 हेक्टेयर क्षेत्र में मखाने की खेती की जा रही है. राखी गांव के तालाबों में फसल अब कटाई के चरण में पहुंच चुकी है.मखाने की खेती तालाबों में केवल 2 से 3 फीट पानी में की जाती है और यह लगभग छह महीने में कटाई योग्य हो जाती है. यह फसल जलवायु अनुकूल है और पारंपरिक सिंचाई पर कम निर्भर रहती है. किसानों के अनुसार, कम मेहनत और कम पानी में बेहतर उत्पादन मिलने से यह फसल ग्रामीणों के लिए एक स्थायी विकल्प बन रही है.
लाभ के लिहाज से मखाना खेती धान से कहीं अधिक फायदेमंद साबित हो रही है, जहां धान की खेती से औसतन 32,698 रुपये का शुद्ध लाभ मिलता है, वहीं मखाना खेती से किसानों को लगभग 64,000 रुपये तक की आमदनी हो रही है. इसी लाभ को देखते हुए जिला प्रशासन ने आगामी रबी सीजन में 200 एकड़ क्षेत्र में मखाने की खेती विस्तार का लक्ष्य रखा है.
महिला स्व-सहायता समूहों की बढ़ी भागीदारी
ग्राम देमार की शैलपुत्री महिला समूह और नई किरण महिला समूह ने मखाने की खेती और प्रसंस्करण का प्रशिक्षण लेकर इसे अपनी आजीविका का प्रमुख साधन बना लिया है. इससे महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रही हैं, बल्कि परिवार की आय और जीवनस्तर में भी सुधार आ रहा है.
सुपरफूड ‘मखाना’ के सेहतमंद फायदे
मखाना पोषण से भरपूर है. इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक, आयरन, फॉस्फोरस और प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. यह डायबिटीज़ और हृदय रोगियों के लिए उपयोगी है, हड्डियों को मजबूत बनाता है और नींद तथा तनाव को नियंत्रित करने में सहायक होता है. इस वजह से इसकी मांग न केवल देश में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी लगातार बढ़ रही है.
