महतारी वंदन योजना में भारी गड़बड़ी, शासकीय कर्मचारी भी उठा रहे योजना का लाभ - CGKIRAN

महतारी वंदन योजना में भारी गड़बड़ी, शासकीय कर्मचारी भी उठा रहे योजना का लाभ


17 महीने तक खाते में ट्रांसफर होती रही राशि, 21 लाख की वसूली होगी, 4 लाख की हो चुकी

छत्तीसगढ़ में जरूरतमंद महिलाओं की सहायता के लिए चलाई जा रही महतारी वंदन योजना में फर्जीवाड़ा सामने आया है। इस योजना का लाभ ऐसे भी लोग उठा रहे हैं, जो अपात्र है। प्रदेश भर से ऐसी 40,200 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। रायपुर में सरकारी कर्मचारी, उनकी पत्नियां और बेटियां इस योजना का लाभ उठा रही हैं। जिनके खिलाफ अब कार्रवाई की जाएगी।  प्रदेश में 40,200 से ज्यादा शासकीय कर्मचािरयों द्वारा महतारी वंदन योजना का लाभ लिए जाने की शिकायतें सामने आई हैं, जिनकी समीक्षा की जा रही है। जांच में पता चला कि रायपुर जिले में 128 शासकीय कर्मचारियों और उनके स्वजन ने करीब 17 माह तक इस योजना का लाभ लिया। इनसे वसूली की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

महिला एवं बाल विकास विभाग ने प्रत्येक जिले को निर्देशित किया है कि ऐसे मामलों की सूची बनाकर राशि की वसूली करें। महिला एवं बाल विकास विभाग ने रायपुर जिले में 21 लाख रुपये की वसूली की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

 रायपुर में 21 लाख की वसूली- बता दें कि 128 शासकीय कर्मचारियों ने योजना का लाभ लिया, जिसमें 42 शासकीय महिला कर्मचारी हैं। 78 कर्मचारियों की पत्नियां, 6 बेटियां, दो पेंशनधारी लाभार्थी हैं। अब इनके खिलाफ 21 लाख की वसूली प्रस्तावित है, जिसमें से 4 लाख की हो चुकी है। इसके अलावा रायपुर में 2,000 मृत खातों की पहचान की गई है।

बिना जांच मिली स्वीकृति- योजना में लाभ देने से पूर्व पात्रता की जांच की जानी थी, लेकिन कई मामलों में यह प्रक्रिया नजरअंदाज कर दी गई। आवेदन पास होते गए और एक वर्ष से अधिक समय तक संबंधित खातों में राशि ट्रांसफर होती रही। जिले में ऐसे भी कई मामले सामने आए हैं, जहां हितग्राही की मृत्यु हो चुकी थी, पर परिवारजनों ने विभाग को सूचना नहीं दी। फलस्वरूप मृत व्यक्तियों के खातों में भी योजना की राशि जाती रही।

भौतिक सत्यापन में गड़बड़ी उजागर हुई, जिसके बाद इन खातों पर रोक लगाई गई है। रायपुर में ऐसे करीब 2,000 खाते चिह्नित किए गए हैं। अब इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

विभागीय चूक बनी कारण- जानकारों का मानना है कि विभाग द्वारा स्वीकृति प्रक्रिया में लापरवाही बरतने के कारण ही यह स्थिति उत्पन्न हुई। पात्रता की समुचित जांच होती तो ऐसे मामले सामने नहीं आते।

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