छत्तीसगढ़ में बढ़ी बिजली की खपत
छत्तीसगढ़ में में जैसे जैसे गर्मी बढ़ती जा रही है बिजली की खपत बढ़ती जा रही है. सूर्य की किरणें आग बरसा रही हैं. ज्यादातर जिलों में तापमान तेजी से बढ़ रहा है. इसका असर अब बिजली की खपत पर भी दिखने लगा है. इस वर्ष अप्रैल में ही प्रदेश में बिजली की जरूरत रिकॉर्ड 6800 मेगावॉट के पार पहुंच गई है. जबकि पिछले वर्ष इसी समय बिजली की खपत 6300 मेगावॉट के आस पास बनी हुई थी.
अप्रैल के महीने में तापमान 42 डिग्री के पार पहुंच चुका है. कहीं कहीं पर पारा 43 डिग्री के पार हो गया है. लोग घर से निकल नहीं रहे है. इन परिस्थितियों में बिजली की खपत भी बढ़ गई है. अप्रैल के महीने में बिजली की अधिकतम मांग 6800 मेगावॉट के पार पहुंच गई है. यह स्थिति तब है जब मई का महीना बाकी है और जेठ की गर्मी आने वाली है. प्रदेश में बिजली की मांग बढ़ने का बड़ा कारण औद्योगीकरण के साथ-साथ रबी फसल में धान की बोआई प्रमुख है. छत्तीसगढ़ के लगभग सभी जिलों में किसानों ने गर्मी में धान की फसल लगाई है. किसान बिजली के पंप से सिंचाई कर रहे हैं. इसका असर भी बिजली की मांग परदेखा जा रहा है. केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण का अनुमान है कि वर्ष 2026-27 तक राज्य सरकार को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए रोजाना 7661 मेगावॉट बिजली की जरूरत होगी. लेकिन इसी वर्ष पीकऑवर में बिजली की खपत जब 6800 मेगावॉट के पार पहुंच गई है. तब अगले साल के लिए अभी से बिजली विभाग यह आंकलन कर रहा है कि 2025-26 तक प्रदेश सरकार की जरूरत कितनी होगी और इसकी पूर्ति कैसे की जाएगी.
अधिकारियों का मानना है कि प्रदेश में बिजली की खपत अप्रैल में अधिकतम 6800 मेगावॉट तक पहुंच गई है. वर्ष 2016-17 में छत्तीसगढ़ को अपनी बिजली जरूरतों को पूरा करने के लिए 3875 मेगावॉट बिजली की आवश्यकता पड़ती थी. जो पांच साल बाद 2021-22 तक बढ़कर 5019 मेगावॉट हो गई. पांच वर्षों में बिजली की खपत में 1144 मेगावॉट की बढ़ोतरी हुई है. जबकि 2021 से 2026 तक, पांच वर्षों के लिए केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने जो पूर्वानुमान छत्तीसगढ़ के लिए लगाया है, उसके अनुसार छत्तीसगढ़ को 7661 मेगावॉट की जरूरत होगी. जिसका मतलब यह हुआ कि 2022 से 2027 तक 2642 मेगावॉट की खपत बढ़ जाएगी.