आयुर्वेद में गिलोय को एक रामबाण औषधि माना गया है इसके इस्तेमाल, शुगर, सर्दी, खांसी में भी मिलेगा आराम
आयुर्वेद में गिलोय को एक रामबाण औषधि माना गया है. इसकी पत्तियां, जड़ें और तना, तीनों ही भाग सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं. लेकिन, बीमारियों के इलाज में सबसे ज्यादा उपयोग गिलोय के तने या डंठल का किया जाता है. यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है आजकल मौसम तेजी से बदल रहा है. कभी तेज धूप तो कभी हल्के फुल्के बादल का दौर चल रहा है. ऐसे में यह अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है कि मौसम कब कौन सा रूप ले लेगा. इस बदलते मौसम का असर सेहत पर भी पड़ रहा है और सर्दी, खांसी, जुकाम जैसी समस्याएं लोगों को परेशान कर रही हैं. हालांकि, अगर आप कुछ घरेलू नुस्खों को अपनाएं, तो इन समस्याओं से आसानी से बच सकते हैं.
आजकल लोग गिलोय के फायदों से तो परिचित हैं, लेकिन सही तरीके से सेवन करने की जानकारी नहीं होती. गिलोय को विभिन्न रूपों में लिया जा सकता है, जैसे – गिलोय सत्व, गिलोय जूस, गिलोय स्वरस और गिलोय चूर्ण. इन सभी रूपों में यह आसानी से उपलब्ध है और शरीर को कई स्वास्थ्य लाभ पहुंचाता है. गिलोय में अद्भुत औषधीय गुण होते हैं। इसमें मौजूद एंटीपायरेटिक गुण बुखार से निजात दिलाते हैं। एंटीमाइक्रोबियल गुणों के कारण डेंगू और मलेरिया जैसे संक्रमणों में राहत मिलती है। जबकि इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण किसी भी तरह की सूजन में राहत दिलाते हैं।
डायबिटीज के मरीजों के लिए गिलोय का सेवन विशेष रूप से लाभकारी होता है. इसे दो मुख्य रूपों में लिया जा सकता है – गिलोय जूस और गिलोय चूर्ण. इन दोनों के सेवन से शरीर में शुगर लेवल नियंत्रित रहता है और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से भी बचाव होता है गिलोय चूर्ण का सेवन करने के लिए आधा चम्मच गिलोय पाउडर को पानी के साथ दिन में दो बार, भोजन के एक से डेढ़ घंटे बाद लेना चाहिए. यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है और शरीर में ऊर्जा बनाए रखने में सहायक होता है.जो बिना किसी साइड इफेक्ट के शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद