फिर से अनिश्चितकालीन धरने पर बर्खास्त बीएड शिक्षक, नवा रायपुर में बोरिया-बिस्तर लेकर प्रदर्शन - CGKIRAN

फिर से अनिश्चितकालीन धरने पर बर्खास्त बीएड शिक्षक, नवा रायपुर में बोरिया-बिस्तर लेकर प्रदर्शन


छत्तीसगढ़ में बर्खास्त बीएड शिक्षक एक बार फिर से धरने पर पर बैठ गए हैं। अनिश्चितकालीन हड़ताल में बैठे शिक्षकों की मांग है कि जो कमेटी बनाई गई है उस कमेटी का फैसला तुरंत होना चाहिए। इससे पहले भी बीएड शिक्षक धरने पर बैठे थे लेकिन आचार संहिता लगने के कारण उन्होंने हड़ताल वापस वे ली थी। छत्तीसगढ़ के 2,897 बर्खास्त बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों ने एक बार फिर से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं। 

शिक्षकों का कहना है कि नौकरी जाने के कारण आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. शिक्षक बेरोजगार हो गए हैं और उनके परिवारों के लिए गुजर-बसर करना मुश्किल हो गया है. प्रदर्शनकारी शिक्षक ने कहा कि हमने पूरी ईमानदारी से अपनी सेवाएं दीं. डेढ़ साल तक बच्चों को पढ़ाया लेकिन अचानक हमें नौकरी से निकाल दिया गया. हम सरकार से मांग करते हैं कि हमारी बहाली की जाए. हमारा परिवार अब भुखमरी के कगार पर है.

नौकरी से निकाले गए यह शिक्षक अपना बोरिया-बिस्तर लेकर नवा रायपुर के तूता धरना स्थल पर जमा हो गए हैं। सरकार के खिलाफ इन्होंने नारेबाजी की है। शिक्षकों का कहना है सरकार ने कमेटी बना दी है लेकिन फैसला करने में सुस्ती दिखा रही है। उनका कहना है कि हमारी मांग है कि कि इस मामले में जल्दी फैसला हो। बता दें कि इससे पहले भी 45 से ज्यादा दिनों तक शिक्षक प्रदर्शन में बैठे थे। लेकिन नगरीय निकाय की आचार संहिता लगने के कारण उन्होंने अपना आंदोलन स्थगित कर दिया था। अब फिर से प्रदर्शन करने का मतलब है कि सरकार ने जो कमेटी बनाई है उसका फैसला तुरंत होना चाहिए। शिक्षकों का कहना है कि अगर सरकार हमें फिर से नियुक्त नहीं किया तो घर के बाहर निकलने से पहले उसकी सुरक्षा की भी जिम्मेदारी लेनी होगी।  धरना स्थल पर बैठे शिक्षक धरने पर बैठे शिक्षकों का कहना है कि सरकार ने हमें खुद भर्ती किया, अब कोर्ट के फैसले की आड़ में बाहर कर रही है। यह किसकी गलती है। हाईपावर कमेटी बनाई गई तो फैसला भी जल्दी आना था लेकिन हम अब भी इंतजार ही कर रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि हमारा परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। अगर हमारी ही नौकरी छीननी थी, तो पहले क्यों दी थी? 

 क्या है शिक्षकों की मांगें? 

बीएड शिक्षकों का कहना है कि हमारा समायोजन किया जाए ताकि वे नौकरी से बाहर नहीं हो सकें। 

बिना समाधान नौकरी से निकाले जाने का आदेश पर रोक लगाई जानी चाहिए। जो कमेटी बनाई गई है उसे समय सीमा की जाए ताकि फैसला आने में देरी नहीं हो। हमें न्याय और सम्मान मिले। 

 क्या है मामला बीएड शिक्षकों का 

पूरा मसला 2018 में नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर एजुकेशन की ओर से जारी एक गाइडलाइन के बाद सामने आया है। गाइडलाइन में बीएड वालों को प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने के योग्य माना था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर छत्तीसगढ़ के 2897 शिक्षकों पर भी पड़ा। जिस कारण से उनको नौकरी से निकाल दिया गया था।सरकार ने शिक्षकों को यह कहकर आश्वासन दिया था कि इस मुद्दे पर विचार करने के लिए एक कमेटी गठित की गई है और जल्द ही निर्णय लिया जाएगा. लेकिन डेढ़ महीने बीत जाने के बाद भी कोई ठोस समाधान नहीं निकला, जिससे शिक्षकों में आक्रोश है.

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