राजिम कुंभ कल्प: राजिम कहलाता है छत्तीसगढ़ का प्रयाग, आस्था, संस्कृति व आध्यात्म का त्रिवेणी संगम
राजिम कुंभ कल्प का आज 12 फरवरी से शुभारंभ हो गया है। इस अवसर पर सुबह से ही हजारों श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाकर अपनी आस्था प्रकट की। यह महापर्व माघ पूर्णिमा से शुरू होकर महाशिवरात्रि तक चलेगा। श्रद्धालुओं ने नदी तट पर बालू से शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा-अर्चना की। राजिम को'छत्तीसगढ़ का प्रयाग' कहा जाता है, सदियों से श्रद्धालुओं और संत समाज के लिए आस्था का केंद्र रहा है। राज्य सरकार ने राजिम माघी पुन्नी मेले को उसके मूल स्वरूप में प्रतिष्ठित करते हुए राजिम कुंभ कल्प का नाम दिया है। सीएम ने कहा- छत्तीसगढ़ का प्रयाग राजिम कुंभ कल्प के स्वागत के लिए तैयार है। राजिम कुंभ कल्प में संत-समागम, धार्मिक प्रवचन, लोक संस्कृति के विविध रंग और आध्यात्मिक चेतना की अनूठी झलक देखने को मिलेगी। इस आयोजन में छत्तीसगढ़ के साथ-साथ आसपास के राज्यों के श्रद्धालु बड़ी संख्या में सम्मिलित होकर पुण्य लाभ अर्जित करेंगे।
छत्तीसगढ़ के राजिम कुंभ कल्प को देश के पांचवे कुंभ के नाम से जाना जाता है। प्रसिद्ध राजिम कुंभ कल्प मेले की शुरूआत 12 फरवरी से हो रही है। राजिम कुंभ त्रिवेणी संगम में आयोजित होने होने वाला मेला है। इस मेले की देश और दुनिया में अलग ही पहचान है। 12 फरवरी माघ पूर्णिमा से प्रारंभ होने वाले राजिम कुंभ कल्प मेला का समापन 26 फरवरी महाशिवरात्रि को होगा। इसके साथ ही 21 फरवरी से 26 फरवरी तक संत समागम होगा।
कुलेश्वरनाथ मंदिर में दर्शन के लिए उमड़ी भीड़
कुंभ कल्प के पहले दिन ही कुलेश्वरनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। भक्तों ने भगवान शिव के दर्शन कर अपने जीवन में सुख और शांति की कामना की।
तीन नदियों के संगम में लगता है यहा मेला
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि माघ पूर्णिमा के अवसर पर शिवरीनारायण में महानदी, शिवनाथ और जोंक नदी के पावन संगम पर मेले का आयोजन होता है, जो श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि राजिम कुंभ कल्प और शिवरीनारायण मेला केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं हैं, बल्कि ये आयोजन प्रदेश की समृद्ध परंपराओं और आध्यात्मिक चेतना को सशक्त करने में भी अहम भूमिका निभाते हैं।
क्या है इस कुंभ का महत्व?
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित महानदी, पैरी और सोंधूर नदियों के त्रिवेणी संगम पर स्थित राजिम को छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाता है. विभिन्न पुराणों में इसे पद्मक्षेत्र या कमलक्षेत्र के रूप में उल्लेखित किया गया है. यहाँ के प्रमुख मंदिर-राजीवलोचन (विष्णु) और कुलेश्वर (शिव) का धाम हरिहर क्षेत्र के रूप में जाना जाता है. मान्यता है कि जगन्नाथपुरी की यात्रा, राजिम के साक्षी गोपाल के दर्शन से ही पूर्ण मानी जाती है. यहां प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक विशाल धार्मिक मेला आयोजित किया जाता है. प्राचीन काल से चली आ रही इस परंपरा को ही राजिम कुंभ (कल्प) के रूप में मान्यता दी गई. इस दौरान कल्पवास, पर्व स्नान, धर्म प्रवचन, संत समागम और धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन होता है, जिसमें देशभर से तीर्थयात्री, नागा साधु, संन्यासी, विभिन्न पंथों-अखाड़ों के संत, महंत, मंडलेश्वर और जगद्गुरु शंकराचार्य पधारते हैं.
राजिम कुंभ में प्रमुख स्नान
बता दें कि माघी पुन्नी स्नान (12 फरवरी), जानकी जयंती (21 फरवरी) पर संत समागम (CG Rajim Kumbh Mela 2025) और शाही स्नान (26 फरवरी) के आयोजन की तैयारियां की गई है। कुंभ की शुरुआत आज 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा के दिन से हो रही है। इसका समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन होगा। यह आयोजन पैरी, महानदी और सोंढूर नदी के संगम स्थल पर होगा, जहां श्रद्धालु इन पवित्र नदियों में स्नान कर पुण्य प्राप्त करेंगे।