बदल रहा बस्तर: अंत की ओर नक्सलवाद, बम और बारूद पर भारी पड़ा विकास - CGKIRAN

बदल रहा बस्तर: अंत की ओर नक्सलवाद, बम और बारूद पर भारी पड़ा विकास


नक्सल प्रभाव वाले गांवों में लगातार हो रहे विकास कार्यों से आ रहा बदलाव

 बस्तर अपनी सुंदरता और विरासत के लिए जाना जाता है. छत्तीसगढ़ का बस्तर, जो कभी नक्सलवाद का गढ़ माना जाता था, अब बदलाव की ओर बढ़ रहा है। केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त रणनीतियों और सुरक्षा बलों की सघन कार्रवाई के चलते नक्सलियों का प्रभाव कमजोर पड़ रहा है। नक्सली या तो सरेंडर कर रहे हैं या मारे जा रहे हैं, जिससे बस्तर की तस्वीर बदल रही है। सरकार द्वारा विकास कार्यों और आर्थिक सुधारों के प्रयास से यहां के लोग मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं। नक्सलवाद का अंत अब सिर्फ एक लक्ष्य नहीं, बल्कि हकीकत बनता जा रहा है। बस्तर की पहचान दशकों तक नक्सलियों के बम और बारूद की धमक से होती रही है. पर अब बस्तर में हालात तेजी से बदल रहे हैं. बस्तर के लोग वोट के जरिए अपने हक और हुकूक की आवाज को बुलंद कर रहे हैं. सरकार भी बस्तर को विकास की लाइन से जोड़ने के लिए जोर शोर से काम कर रही है. बस्तर को सड़कों से जोड़ने का काम जारी है. पुलिस कैंपों के जरिए बस्तर में स्वास्थ्य और शिक्षा का दायरा बढ़ाया जा रहा है. 

बस्तर में नक्सलियों के लिए बंदूक उठा चुके ग्रामीण अब हल-फावड़ा-कुदाल उठाकर अपने गांवों की तस्वीर के साथ तकदीर बदलने जुट गए हैं। प्रदेश सरकार की ‘नियद नेल्ला नार’ योजना में नक्सल प्रभावित गांव के विकास को गति देने बस्तर में कार्य शुरू किए गए हैं। इससे ग्रामीणों का सरकार पर भरोसा बढ़ा है। नियद नेल्ला नार योजना में दंतेवाड़ा जिले का झिरका गांव भी शामिल है। इस गांव में पहुंचने पर यहां किए जा रहे विकास कार्यों से ग्रामीणों की विचारधारा में बदलाव के साथ सहभागिता के दृश्य देखने को मिले।

2024 में राजनीति का केंद्र रहा बस्तर: 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी बस्तर में विजयी हुई. 2019 के चुनाव में जो झटका बीजेपी ने खाया था उसका बदला उसने 24 में लिया. बस्तर शुरु से कांग्रेस और बीजेपी के लिए अहम रहा है. लोकसभा का चुनाव का आगाज भी दोनों ही पार्टियों ने बस्तर की धरती से की थी. बस्तर को दोनों ही पार्टियां चुनाव प्रचार के लिए लॉन्चिंग पैड की तरह इस्तेमाल करती रही हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी और राहुल गांधी दोनों ने यहां से छत्तीसगढ़ में प्रचार का आगाज किया.

आमाबाल में मोदी की रैली से शुरुआत: 8 अप्रैल 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बस्तर के आमाबाल गांव से अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत छत्तीसगढ़ में की. कहते हैं रायपुर की जीत का रास्ता बस्तर से होकर गुजरता है. जो बस्तर जीतता है उसी की सरकार बनती है. विधानसभा और लोकसभा चुनावों में जीत के आंकड़े इस बात को सच साबित करते हैं.

चुनाव आयोग की भी रही बस्तर पर पैनी नजर: छत्तीसगढ़ में 2024 का लोकसभा चुनाव तीन चरणों में हुआ. पहले चरण में सिर्फ एक सीट पर मतदान हुआ वो सीट बस्तर लोकसभा थी. दूसरे चरण में तीन सीटों पर मतदान हुआ. तीसरे चरण में 7 सीटों पर मतदान हुआ. बस्तर में फैले नक्सलवाद के चलते चुनाव आयोग ने भी पहले चरण में यहां भारी सुरक्षा के बीच वोटिंग संपन्न कराई. जिन इलाकों में वोटिंग प्रतिशत कम दर्ज होता था वहां पर भी रिकार्ड मतदान दर्ज हुआ. बीजेपी ने जो सीट 2019 में हारी उसे फिर से जीत कर अपनी झोली में डाला.

पीसीसी चीफ दीपक बैज को मिली हार: वर्तमान में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज 2019 में बस्तर से लोकसभा का चुनाव जीता था. 2024 में कांग्रेस ने वहां से उम्मीदवार बदल दिया. नतीजा ये रहा कि वहां से कांग्रेस हार गई. सियासी गुना गणित फिट करने में कांग्रेस फेल रही. पार्टी में गुटबाजी भी हार की बड़ी वजह बनी. कांग्रेस ने कवासी लखमा को मैदान में उतारा था जिसे बीजेपी के महेश कश्यप ने शिकस्त दी.

देश के लिए बस्तर बना मॉडल: 2024 के लोकसभा चुनाव में पूरे देश के लिए छत्तीसगढ़ एक मॉडल बन गया. भाजपा ने इसे अपना चुनावी मुद्दा बनाया और कांग्रेस के पास इसे रोकने के लिए कोई मजबूत राजनीतिक विकल्प नहीं था. नक्सली संगठन को खत्म करने की तैयारी में जिस तरीके से सुरक्षा एजेंसियां जुटी उसकी सभी ने तारीफ की. बीजेपी ने उस काम का श्रेय लेने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. पार्टी ने बस्तर को विकास का मॉडल बनाने का नारा दिया जो चुनाव में सफल साबित हुआ.

अमित शाह के प्रचार में नक्सलवाद पर फोकस: 24 के लोकसभा चुनाव में अमित शाह की कई रैलियां छत्तीसगढ़ में हुई. अमित शाह की पहली रैली 14 अप्रैल को खैरागढ़ में हुई. दूसरी रैली 22 अप्रैल को कांकेर और तीसरी रैली 26 अप्रैल को बेमेतरा में की. चौथी रैली शाह की मई दिवस के दिन कटघोरा में की. इन सभी रैलियों में एक खास बात रही वो थी नक्सलवाद पर गहरी चोर. सभी रैलियों के जरिए अमित शाह ने नक्सलवाद पर करारा प्रहार किया. बस्तर को नक्सल मुक्त करने की दम भरा, वादा किया.

जेपी नड्डा के भाषण के भी माओवाद पर केंद्रीत रहे: बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी 22 अप्रैल को पहली रैली लोरमी और भिलाई में की. दोनों ही रैलियों के जरिए जेपी नड्डा ने माओवाद पर जोरदार प्रहार किया. जनतो को बताया कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ही इस समस्या से लोगों को निजात दिला सकती है.

योगी की हुंकार: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान नक्सलियों को विकास का विरोधी बताया. योगी ने अपने भाषण में कहा कि बीजेपी की सरकार आएगी तो नक्सलियों को बस्तर और छत्तीसगढ़ छोड़कर भागना होगा. 2024 के चुनाव में बीजेपी ने बस्तर में विकास और नक्सलवाद को बड़ा मुद्दा बनाया.

आय बढ़ने से ग्रामीण खुशहाल- अब गांव में राशन मिल रहा है। सड़कें पक्की की जा रही हैं। यहां से पांच किमी दूर पहाड़ों के पार झारालावा प्रपात पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है। ग्रामीणों की इको विकास समिति गठित की है, जिससे वाहन शुल्क से भी आय हो रही है। दंतेवाड़ा के अनेक गांवों में विकास कार्यों को गति दी जा रही है।

बस्तर ओलंपिक: बस्तर ओलंपिक के जरिए युवाओं में अनुशासन और राष्ट्र प्रेम की भावना भरने में भी सरकार सफल रही. बस्तर ओलंपिक के समापन कार्यक्रम में पहुंचे केंद्रीय गृहमंत्री ने खुद इस आयोजन की तारीफ की. राज्य के गृहमंत्री विजय शर्मा का नाम लेते हुए शाह ने कहा कि ऐसे आयोजन आप भविष्य में भी कराते रहें हम जरुर आएंगे. शाह ने तो यहां तक कहा कि 2026 में जब मैं बस्तर ओलंपिक में शामिल होने आऊंगा तबतक नक्सलवाद खत्म हो चुका होगा. शाह ने कहा कि चित्रकोट में जम्मू कश्मीर से भी ज्यादा पर्यटक आएंगे नक्सलवाद के खत्म होने के बाद.

नक्सलवाद नहीं, अब शिक्षा का पाठ- झिरका में अब नक्सलवाद का पाठ नहीं पढ़ाया जाता, यहां नई पीढ़ी अब स्कूल जाकर ‘अ’ से अनार पढ़ रही है। इस गांव में इसी वर्ष बने आंगनबाड़ी में नन्हें बच्चों को पोषण आहार लेते और प्राथमिक स्कूल में आदिवासियों की नई पीढ़ी को पढ़ाई करते देखना सुखद अहसास रहा। शिक्षक उमेश नेताम ने बताया कि जब वे इस स्कूल में पहली बार पहुंचे थे, तो कई घंटे तक नक्सलियों ने पूछताछ की थी। कभी-कभार जवान गश्त करते दिखते थे। मगर, अब यहां शांति है।

 नक्सलवाद के खात्मे के लिए और नक्सलियों के पुनर्वास के लिए सरकार ने योजनाएं चलाई. नियद नेल्लानार और लोन वर्राटू ऐसी ही दो योजनाएं हैं जिन्होने बस्तर की न सिर्फ तस्वीर बदली बल्कि माओवादियों की कमर भी तोड़ दी. सैकड़ों की संख्या में माओवादियों ने हथियार डालकर समाज की मुख्यधारा में जीवन बिताने का संकल्प लिया.छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी के जरिए धुर नक्सल इलाकों में सोलर लाइटों की व्यवस्था की गई है. गांव में सोलर लाइट और पंखों का वितरण भी किया गया है. पहले जहां रात होते ही गांव वाले अपने अपने घरों में बंद हो जाते थे. अब माहौल बदल चुका है. रात के वक्त लोग बैठकर एक साथ टीवी देखते हैं. बच्चे सौर ऊर्जा की रोशनी में पढ़ाई करते हैं. महिलाएं भी सिलाई कढ़ाई का काम खाली वक्त में करती हैं.

UN के 60 देशों के बेस्ट गांव की लिस्ट में धुड़मारास शामिल: संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन ने बस्तर जिले के धूड़मारास गांव को सांस्कृतिक विरासत प्राकृतिक सुंदरता के रुप में पहचान दी है. पर्यटन विकास की क्षमता को लेकर भी इसे बेस्ट टूरिज्म विलेज का अवार्ड वाली सूची में शामिल किया. 2024 निश्चित तौर पर बस्तर के नई बुनियाद का आधार रख दिया है.

बदल रहा बस्तर: गृहमंत्री विजय शर्मा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा भी है कि नक्सलवाद अब अपने अंतिम चरण में है. सुरक्षा एजेंसियां अपने काम में लगी हैं. पीएम मोदी के नेतृत्व में हम बस्तर तक विकास पहुंचा कर दम लेंगे. विजय शर्मा ने कहा कि जो भटके हुए युवा हिंसा के रास्ते पर चले गए हैं उनको वापस आने का मौका दिया जा रहा है. हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो जाएं. सरकार की नियद नेल्लानार और लोन वर्राटू योजना ऐसे ही भटके लोगों के लिए चलाई गई है.



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