अब जनता चुनेगी महापौर, साय कैबिनेट ने पलटा भूपेश सरकार का बनाया नियम
महापौर का चुनाव जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाएगा
छत्तीसगढ़ में साय कैबिनेट की बैठक में आज बड़ा फैसला लिया गया. अब छत्तीसगढ़ में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव में जनता महापौर और अध्यक्षों का चुनाव करेगी. डिप्टी सीएम अरुण साव ने कैबिनेट बैठक की जानकारी देते हुए बताया, छत्तीसगढ़ में महापौर एवं सभी अध्यक्षों का चुनाव प्रत्यक्ष होगा. छत्तीसगढ़ में आगामी नगरीय निकाय चुनावों से पहले राज्य की भाजपा सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब जनता खुद नगर पंचायत, नगरपालिका अध्यक्ष और नगर निगमों में महापौर का चुनाव करेगी। इसके साथ ही मतदाता दो वोट डालेंगे, एक पार्षद और दूसरा महापौर के लिए। इसके लिए छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम, 1956 (संशोधन) अध्यादेश 2024 और छत्तीसगढ़ नगर पालिका अधिनियम 1961 (संशोधन) अध्यादेश 2024 में आवश्यक संशोधन किए जाएंगे। इन संशोधनों में प्रत्यक्ष निर्वाचन और आरक्षण से संबंधित प्रावधानों का समावेश किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ सरकार ने नगरीय निकायों के चुनावों में बड़ा बदलाव करने का निर्णय लिया है। कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि प्रदेश के नगर पालिक निगमों के महापौर और नगर पालिकाओं के अध्यक्ष का निर्वाचन अब प्रत्यक्ष रूप से कराया जाएगा।। भूपेश बघेल सरकार ने 2019 में महापौर और नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव पार्षदों के माध्यम से कराने का नियम लागू किया था, जिससे विपक्षी भाजपा ने तीव्र विरोध किया था।
2019 में भूपेश सरकार ने बदला था नियम
यह कदम राज्य में पिछले कुछ वर्षों से चल रहे अप्रत्यक्ष निर्वाचन के मुकाबले एक बड़ा बदलाव होगा। दरअसल, अविभाजित मध्य प्रदेश में 1999 तक नगर निगमों के महापौर और नगर पालिकाओं के अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से होता था। लेकिन उसके बाद, तत्कालीन सरकार ने महापौर और अध्यक्ष के चुनाव को अप्रत्यक्ष रूप से कराने का निर्णय लिया था। इसे 12 दिसंबर 2019 को राजपत्र में अधिसूचित किया गया था।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि आगामी नगरीय निकाय चुनाव में मतदाता दो वोट देंगे, एक पार्षद और दूसरा नगर अध्यक्ष या महापौर के लिए। इसके साथ ही, महापौर के चुनाव को प्रत्यक्ष रूप से कराने के लिए नए नियम बनाए जाएंगे हैं। इस फैसले से जनता को अपने महापौर के चयन में पुनः अधिकार मिलेगा।
स्थानीय निकायों में आरक्षण
इसके अलावा, राज्य सरकार ने पिछड़ा वर्ग और अल्संख्यक समुदाय के लिए स्थानीय निकायों में आरक्षण के नियमों में भी बदलाव किया है। त्रिस्तरीय पंचायतों और नगरीय निकायों के चुनावों में अब अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की सीमा 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक की जाएगी।