जवानों का हौसला बढ़ाने सीआरपीएफ कैम्प में रुके मुख्यमंत्री, कहा - नक्सल आपरेशन में मिल रही सफलता की पूरे देश में हो रही प्रशंसा
अपने एक दिवसीय प्रवास पर बस्तर आये मुख्यमंत्री साय जवानों का हौसला बढ़ाने के लिए सीआरपीएफ कैम्प सेड़वा कैम्प में रात बिताई। जहां जवानों से उनकी समस्याओं को लेकर लगातार नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए इनामी नक्सलियों को मार गिराने पर बधाई देते हुए उनका मनोबल बढ़ाया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सीआरपीएफ के जवानों से कहा कि पिछले 11 महीनों के दौरान आप लोगों ने जिस तरह नक्सली आतंक को खत्म करने की दिशा में ऐतिहासिक सफलताएं हासिल की है, उसकी पूरे देश में प्रशंसा हो रही है. आप लोग परिवार से दूर रहकर और सुख-सुविधाओं को त्याग कर बस्तर के विकास में जो योगदान दे रहे हैं, उससे आप लोगों ने यहां के जनजातीय समुदायों के हृदय में अपने लिए हमेशा हमेशा के लिए जगह बना ली है. साय बस्तर जिले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के सेडवा कैंप में जवानों को सम्बोधित कर रहे थे.
सीएम ने कहा कि सरकार की नीति गांव-गांव तक विकास पहुंचाना है. नियदनेल्लानार योजना के तहत सरकार कटिबद्ध है. विकास से वंचित कोई गांव नही रहेगा. बस्तर में नियद नेल्लानार के तहत 34 कैंप की स्थापना हो चुकी है. एक कैंप की स्थापना का मतलब है 5 किमी दायरे का विकास होना है. इस राज्य को हमने बनाया है और हम ही सवारेंगें. देश की आजादी को 75 वर्ष हो चुके हैं. भाजपा और कांग्रेस दोनों के कार्यकाल की तुलना कर के देख लो पता चल जाएगा कि कौन बेहतर है? वहीं महिला शक्ति केंद्र बंद होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस तो योजनाओं को बंद करना ही जानती है. जो योजना कांग्रेस लाएगी भी तो वह भी दीर्घकालिक नहीं होगी.
सीएम विष्णुदेव साय ने माओवादियों को खुली चेतावनी के साथ विकल्प भी दिया है. उन्होंने कहा कि समर्पण का द्वार खुला हुआ है. माओवादी समर्पण कर मुख्यधारा से जुड़े. सरकार नई उद्योग नीति लेकर आई है. अभी कुछ दिन पहले ही यह योजना लागू हुई है. इस योजना के तहत हम लोग जो नक्सल पीड़ित महिला और पुरुष है, वे कोई उद्यम करना चाहते हैं, तो उसे 10 प्रतिशत अनुदान की विशेष छूट देने का प्रावधान दिया गया है. यदि इस योजना के तहत नक्सल पीड़ित लगातार जुड़ते हैं तो निश्चत तौर पर माओवाद के खात्मे पर खासा असर दिखाई देगा.
बस्तर में शांति स्थापना की दिशा में लगातार फोर्स प्रयत्नशील है, जवानों के द्वारा लगातार नक्सलियों के खिलाफ चलाये जा रहे हैं। अभियान का ही परिणाम है कि इसके सकारात्मक नतीजे भी दिखाई दे रहे है। बात करें अगर बीते 11 महीने की तो पुलिस और नक्सलियों के बीच हुए 30 मुठभेड़ों में 197 नक्सली ढेर हो चुके हैं। जिसमें लाखों रुपये के नक्सली भी शामिल हैं, पुलिस के ही अभियान का असर है कि झीरम घाटी में शामिल लाखों रुपये की इनामी नक्सली ने पुलिस फोर्स के बढ़ते दबाव और नक्सलियों के ढेर होते देख आत्मसमर्पण कर चुकी है। इन मुठभेड़ों में जहाँ नक्सलियों की एक पूरी बटालियन को फोर्स ने समाप्त कर दिया है, जबकि कुछ जवान घायल भी हुए, लेकिन उन्हें भी बेहतर उपचार मिल सके, इसके लिए दिशा निर्देश भी दिये जा चुके हैं।
