चिरचिटा के पत्ते के फायदे
चिरचिटा का आयुर्वेद में काफी महत्व है। इसका इस्तेमाल कई तरह की औषधी निर्माण के लिए किया जाता है। खासतौर पर पाचनतंत्र की मजबूती के लिए आयुर्वेद में चिरचिटा का इस्तेमाल होता है। इसे चिरचिरा, चिचड़ा और अपामार्ग के नाम से भी जाना है। वहीं, चिरचिटा की जड़ का इस्तेमाल कई तरह की परेशानियों जैसे - दांतों की समस्या, घाव, पेट में परेशानी इत्यादि को दूर करने के लिए प्रयोग कर सकते हैं। गाजियाबाद स्वर्ण जयंती के आयुर्वेदाचार्य डॉक्टर राहुल चतुर्वेदी का कहना है कि चिरचिटा की जड़ से आयुर्वेद में कई तरह की दवाईओं का निर्माण होता है। खासतौर पर दांतों में दर्द, मुंह के छाले, पेट की परेशानियों को दूर करने के लिए इसका काफी ज्यादा इस्तेमाल होता है। आइए विस्तार से जानते हैं चिरचिटा की जड़ से सेहत को होने वाले फायदे क्या हैं? चिरचिटा एक गुणकारी पौधा है चिरचिटा पौधे को लटजीरा, चिचींडा और चिरचिटा पौधे के नाम से भी जाना जाता है। लटजीरा और चिरचिटा इस पौधे के हिंदी नाम है। इसे गांव और शहरों के अधिकतर इलाकों में इसी नाम से जाना जाता है। यह पौधा बरसात के समय स्वयं उग जाता है। यह जंगली झाड़ी के समान उग जाता है। यह पौधा खाली जमीन में कहीं पर भी उग जाता है। यह पौधा आपने अपने घर के आस-पास मैदान में या रास्ते में जरूर देखा होगा।
चिरचिटा के पत्ते को तोड़कर इसका रस निकाल लीजिए और इसके रस को आप अगर दांतों में लगाते हैं, तो आपको दांत संबंधी समस्या में फायदा पहुंचता है। इससे दांत का दर्द ठीक हो जाता है।
चिरचिटा के तने से दातुन बना सकते हैं और इस दातुन को रोजाना इस्तेमाल कर सकते हैं। इस दातुन से दांत हमेशा मजबूत रहेंगे और टूटते नहीं है। चिरचिटा के पौधे की दातुन करने से दांतों का हिलना, मुंह से बदबू आना, मसूड़ों की कमजोरी ठीक हो जाती है और दांत साफ रहते हैं।
चिरचिटा चर्म रोग में बहुत लाभ देता है। इसके पत्तों को पीसकर फोड़े फुंसी में लगाना चाहिए। जिससे फायदा मिलता है।
मुंह के छालों में चिरचिटा का उपयोग किया जा सकता है। चिरचिटा के पत्ते का काढ़ा बनाकर पिया जा सकता है, जिससे मुंह के छालों की परेशानी ठीक हो जाती है।
चिरचिटा की पत्ती को पीसकर और गर्म करके संधि शोथ ग्रस्त भाग में लगाने से लाभ मिलता है।
चिरचिटा का उपयोग चोट में किया जा सकता है। इसके प्रयोग से चिरचिटा के पत्तों से रस निकालकर चोट लगे स्थान पर लगाना चाहिए, जिससे खून बहना बंद हो जाता है।
पुराने घाव को चिरचिटा के पत्तों के रस से ठीक किया जा सकता है और घाव भर जाता है।