हार की समीक्षा करती रहीं सैलजा, इधर खिसक गईं जमीन
क्या छत्तीसगढ़ में दोबारा खड़ी हो पाएगी कांग्रेस....!
छत्तीसगढ़ में दो दिन पहले राजीव भवन में पूर्व प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा हार के कारणों की समीक्षा कर रही थी,वहीं दूसरी तरफ हाइकमान की ओर से उन्हें हटाने की तैयारी हो चुकी थी। उन्हें क्या पता था कि हार के कारणों के साथ ही छत्तीसगढ़ से जमीन खिसक रही है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के करारी हार के पार्टी हाईकमान ने ये फैसला लिया है। कांग्रेस के इस फैसले को चौंकाने वाले फैसले के तौर पर भी देखा जा रहा है. दरअसल, राजस्थान विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. राजनीतिक विश्लेषकों की मानों तो ऐसे में पार्टी को एकजुट और मजबूत करने के समय सचिन पायलट को राज्य से बाहर भेजने का फैसला करना हैरान करने वाला है. यूपीए सरकार में मंत्री रही कुमारी सैलजा को 6 दिसंबर 2022 को छत्तीसगढ़ का प्रदेश प्रभारी बनाया गया था। विधानसभा चुनाव के एक साल पहले उन्हें छत्तीसगढ़ की कमान मिली। इससे पहले पीएल पुनिया प्रभारी रहे। युवा नेता होने के नाते सैलजा को छत्तीसगढ़ का प्रभार दिया गया,लेकिन एक साल के कार्यकाल के भीतर विधानसभा चुनाव में कई आरोप लगे। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले सचिन पायलट को बड़ी जिम्मेदारी दी है. सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया गया है. अभी तक कुमारी शैलजा छत्तीसगढ़ की प्रभारी थीं. राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया गया है. वो कुमारी शैलजा की जगह लेंगे. कुमारी शैलजा को उत्तराखंड भेजा गया है. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी के स्थानीय नेताओं और पूर्व विधायकों ने शैलजा के खिलाफ दिल्ली में पार्टी हाईकमान से शिकायत की थी। उन पर चुनाव में पैसे लेकर टिकट देने के आरोप लगाए थे। इतना ही नहीं इस संबंध में पार्टी को जरूरत पड़ने पर सबूत भी देने की बात कही थी।
चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस के पूर्व विधायक बृहस्पत सिंह ने सैलजा पर गंभीर आरोप लगाएं थे। उन्होंने कहा कि वे प्रभावशाली नेता के हाथों बिक गईं। वे हीरोइनों की तरह फोटो खिंचवातीं रही। सिर्फ सैलजा ही नहीं कांग्रेस नेताओं ने कई बड़े पदाधिकारियों पर भी आरोप लगाएं कि सीटिंग विधायकों की टिकट जानबूझकर काटी गई।
हार के बाद दोबारा खड़ा करने की चुनौती
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक विधानसभा में करारी हार के बाद प्रदेश कांग्रेस को छत्तीसगढ़ में दोबारा खड़े करने की चुनौती सचिन पायलट के सामने होगी। राजस्थान के टोंक सीट से विधायक सचिन पायलट राजस्थान के उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं। प्रदेश की 11 लोकसभा सीटों में ही कांग्रेस के खाते में सिर्फ दो सीटें हैं।
आक्रामक राजनीति के लिए जाने जाते हैं पायलट
सियासी गलियारे में इस बात की चर्चा थी कि विधानसभा चुनाव के बाद सचिन पायलट को राजस्थान कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है, लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने इन सारी अटकलों पर विराम लगाते हुए उन्हें छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी है। सचिन पायलट आक्रामक राजनीति के लिए जाने जाते हैं। ऐसे में कांग्रेस चाहती है कि लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ से अधिक से अधिक सीटे जीती जा सके। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर पार्टी ने सचिन पायलट को यह कमान सौंपी है।