छत्तीसगढ़ में सत्ता की चाबी हैं बस्तर संभाग, कांग्रेस-बीजेपी में कांटे की टक्कर
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में प्रथम चरण में बस्तर संभाग के 12 और दुर्ग संभाग के 8 सीटों पर 7 नवंबर को मतदान होना है. बस्तर संभाग के 12 विधानसभा सीटों में शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव संपन्न कराना चुनाव आयोग के लिए काफी बड़ी चुनौती है. इनमें सबसे महत्वपूर्ण संभाग बस्तर है, जहां से कुल 90 सीटों में से 12 सीटें आती हैं। आदिवासी बहुल बस्तर संभाग में कुल 7 जिले आते हैं। सभी 12 विधानसभा सीट नक्सल प्रभावित होने की वजह से यहां चुनाव आयोग ने बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया है. दूसरी तरफ बीजेपी और कांग्रेस के नेता भी यहां चुनौती का सामना कर रहे हैं. 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने बस्तर की 12 की 12 सीटों पर जीत हासिल की थी लेकिन अब ऐसा कहा जा रहा है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में स्थिति बदली है और अब इन 12 विधानसभा सीटों में बीजेपी, कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है. बस्तर संभाग की 12 विधानसभा सीटों में 11 विधानसभा सीटें अनुसूचित जनजाति (एसटी) और एक सीट सामान्य है। इनमें बस्तर, कांकेर, चित्रकोट, दंतेवाड़ा, बीजापुर, कोंटा, केशकाल, कोंडागांव, नारायणपुर, अंतागढ़, भानुप्रतापपुर की सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं। वहीं जगदलपुर विधानसभा सीट सामान्य है।
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को यहीं से करारी हार का सामना करना पड़ा था और सत्ता गंवानी पड़ी थी। राजनीतिक दृष्टिकोण से बस्तर संभाग काफी अहम माना जाता है। कहा जाता है कि छत्तीसगढ़ में सत्ता की चाबी बस्तर संभाग से खुलती है। इसलिए माना जाता है कि अगर छत्तीसगढ़ में सरकार बनानी है, तो बस्तर किला पर फतह हासिल करना बहुत जरूरी है। इस बार कांग्रेस और बीजेपी से नाराज होकर हमर राज पार्टी ने भी अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं. ऐसे में इस पार्टी के प्रत्याशी भी बीजेपी और कांग्रेस का वोट काट सकते हैं, साथ ही आप पार्टी भी इस बार चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक रही है. 2013 के विधानसभा चुनाव में बस्तर की 12 विधानसभा सीटों में 8 सीट बीजेपी के पाले में और चार सीट कांग्रेस के पाले में गई थी,
इधर, कांग्रेस का कहना है कि पिछले 5 साल के कांग्रेस सरकार के कार्यकाल गांव-गांव में विकास कार्य हुए हैं, बीजेपी के समय में 15 साल में ग्रामीण क्षेत्रों का जो विकास नहीं हो पाया, वह कांग्रेस सरकार ने 5 साल में कर दिखाया, किसानों का कर्ज माफ, 2500 समर्थन मूल्य में धान खरीदी ,और बिजली बिल हाफ ऐसे कई योजनाएं सरकार ने चलाई जिससे कांग्रेस के प्रति बस्तर की जनता का विश्वास बढ़ा है. वहीं बीजेपी का कहना है कि बस्तर संभाग के पूरे 12 विधानसभा सीटों में कांग्रेस के प्रति लोगों में काफी नाराजगी है. 15 साल के शासनकाल में जो विकास कार्य बीजेपी ने किया, वो सभी विकास कार्य बीते 5 साल में ढप पड़ गया. बस्तर में केवल कांग्रेस के कार्यकाल में धर्मांतरण को बढ़ावा मिला ,कमीशन खोरी को बढ़ावा मिला है.यही नहीं सभी सरकारी योजनाओं में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है.