रायगढ़ में वापसी की राह तलाश रही भाजपा - CGKIRAN

रायगढ़ में वापसी की राह तलाश रही भाजपा


छत्तीसगढ़ का रायगढ़ जिला राज्य की सांस्कृतिक राजधानी है, यहां के राजनीतिक परिदृश्य की बात करें तो वर्तमान में  कांग्रेस का दबदबा है. बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जिले में अपना गढ़ स्थापित करते हुए सभी सीटों पर जीत हासिल की थी.  रायगढ़ विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा, दोनों ही पार्टियां अपने – अपने संभावित प्रत्याशी को जिताने के उद्देश्य से अभी से उर्जा झोंकने में व्यस्त हो गए हैं। जिले की विधानसभा सीट खरसिया को हॉट सीट माना जाता है। इस सीट के कारण रायगढ़ जिले की पहचान केवल प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश की राजधानी दिल्ली तक कायम है। इसी कारण से दोनों ही राजनीतिक दलों के राष्ट्रीय नेताओं की नज़र जिले की विधानसभा सीटों पर लगातार बनी रहती है। कमोवेश इसी वजह से विधानसभा चुनाव को लेकर अब लगभग हर जगह और स्थलों पर चुनावी चर्चा शुरू हो गई है। रायगढ़ की पहचान छत्तीसगढ़ के प्रमुख औद्योगिक नगरी के रूप में है। विभाजन के बाद रायगढ़ जिले में चार विधानसभा क्षेत्र रायगढ़, खरसिया, लैलूंगा और धरमजयगढ़ है। 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने रायगढ़ की चारों विधानसभा सीट पर कब्जा किया था। भाजपा को यहां पार्टी में अंतरकलह के कारण शून्य का सामना करना पड़ा। अब भाजपा किसी भी तरह बढ़त बनाने राह तलाश रही है।  विधानसभा चुनाव को कुछ दिन शेष है। भाजपा ने रायगढ़ से ओपी चौधरी, खरसिया से महेश साहू, लैलूंगा से सुनीति राठिया और धरमजयगढ़ से हरिश्चंद्र राठिया को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा के लिए वापसी की चुनौती है वहीं कांग्रेस के लिए सीट बचाए रखने का दबाव है। वहीं कांग्रेस पार्टी ने रायगढ़ विधायक प्रकाश नायक को दूसरी बार यहां से प्रत्याशी बनाया है , उनका मुकाबला भाजपा के ओपी चौधरी से होगा।

खरसिया-  खरसिया में 1977 से कांग्रेस लगातार जीत रही है। 1988 के उपचुनाव में यहां से अर्जुन सिंह जीते। 1990, 1993, 1998, 2003 व 2008 नंद कुमार पटेल चुने गए । 2013 व 2018 के चुनाव में उमेश पटेल जीते और मंत्री बने।

धरमजयगढ़-  धरमजयगढ़ में पहली बार चुनाव 1951 में हुआ और दो विधायक राजा चंद्रचुंण व बुधनाथ साय जीते। यहां 16 बार हुए चुनाव में 13 बार कांग्रेस जीती। 1962 में एकल चुनाव हुआ और किशोरी मोहन जीते। 1980 से यानी 23 साल बाद भाजपा ने 2003 व 2008 में ओम प्रकाश राठिया जीतकर मंत्री बने। 1980 से 1998 पांच बार चनेश राम राठिया विधायक और मंत्री बने। वर्तमान में उनके पुत्र लालजीत राठिया विधायक है।

लैलूंगा-  लैलूंगा में 1962 में पहली बार चुनाव हुआ, 1963 में विलुप्त हुआ और 1972 में फिर आस्तित्व में आया। नैऋत्य पाल आरआरपी निर्वाचीत हुई। इसके बाद 1977 से 1985 तक सुरेंद्र सिंह, भाजपा से प्रेम सिंह सिदार, 2003 में सत्यानंद राठिया चुने गए। इसके ब बाद 2008 हृदयराम राठिया, 2013 में सुनीति राठिया फिर कांग्रेस से चक्रधर सिंह सिदार 2018 में निर्वाचित हुए। यहां भाजपा-कांग्रेस 50-50 रहे।

रायगढ़-  1980 से 1998 तक कुष्ण कुमार गुप्ता कांग्रेस की टिकट पर लगातार पांच चुनाव जीते। 2003 में भाजपा के विजय अग्रवाल जीते। 2008 में शक्राजीत नायक, 2013 में रोशन लाल अग्रवाल और अब कांग्रेस के प्रकाश नायक जीते हैं। रायगढ़ में हर बार बदलाव हुआ।

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