छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष बदलने की सुगबुगाहट तेज
बीते दिनों में छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की थी. जिसके बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष को बदलने को लेकर चर्चा तेज हो गई है. वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम का कार्यकाल भी खत्म हो गया है. ऐसे में और ज्यादा संभावनांए बढ़ गई हैं.
वर्तमान में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सामने दो विकल्प हैं। इनमें आदिवासी बाहुल्य बस्तर को प्राथमिकता में रखें या फिर सरगुजा को। पार्टी की वर्तमान गुटीय राजनीति को ध्यान में रखते हुए अमरजीत भगत पहली पसंद के तौर पर सामने आए हैं। वहीं, दूसरी ओर मरकाम के बदले बस्तर का ही प्रतिनिधित्व बनाए रखने के लिए दीपक बैज के नाम पर सहमति भी बन सकती है.
हाल में ही प्रदेश में कांग्रेस का महाधिवेशन हुआ था. जिसके बाद कांग्रेस ने कई फैसले लिए थे. जिसमें कहा गया था कि सीडब्ल्यूसी से लेकर कांग्रेस के सभी संगठनों में एससी एसटी ओबीसी महिला और युवाओं की हिस्सेदारी भी बढ़ेगी. इसी साल छत्तीसगढ़ में विधानसभा का चुनाव भी होना है जिसको देखते हुए कांग्रेस का ये फैसला आगामी चुनाव पर भी असर डाल सकता है.
प्रदेश के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए आदिवासी को ही प्राथमिकता देने की प्रमुख वजह है। क्योंकि प्रदेश में 29 सीटें आदिवासी बहुल्य हैं। आदिवासी चेहरे को सामने कर जातीय संतुलन बनाया जा सकता है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ओबीसी वर्ग से आते हैं। वे प्रदेश की लगभग 48 फीसदी आबादी का वे प्रतिनिधित्व करते हैं। आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पार्टी ओबीसी के साथ साथ आदिवासी वोट बैंक पर भी अपना पैठ बना सकेगी।
भगत की गिनती सीएम बघेल के करीबी नेताओं में होती हैं। पार्टी, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर सरगुजा संभाग और आदिवासी दोनों को साध सकती है। खाद्य मंत्री होने की वजह से भगत की प्रदेश में कार्यकर्ताओं के बीच अच्छी पैठ है। इसके अलावा उन्हें सत्ता में रहने का भी अनुभव है। 2018 में कांग्रेस सरकार बनने के बाद से ही प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर भगत का नाम भी तेजी से चला था, लेकिन किन्हीं कारणों से उन्हें पद नहीं मिल पाया।
कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन हाल ही में रायपुर में हुआ था। इसमें तय किया गया कि कांग्रेस अपने संगठन में 50 फीसदी हिस्सेदारी महिलाओं दलितों आदिवासी और युवाओं को देगी। अब प्रदेश संगठन में आगामी होने वाले बदलावों में इन नियमों का ध्यान रखा जाएगा।