जल संरक्षण एक स्थायी समाधान
जल ही जीवन है इस बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं है क्योंकि धरती पर सभी जीवित प्राणियों के लिए जल अमृत के समान है. जल के बिना धरती के किसी भी प्राणी का जीवन संभव नहीं है। मानव जाति की स्थापना के बाद से हीं पानी प्रकृति का एक अनमोल वरदान रहा है। यही वजह है कि मानव जाति चांद और मंगल ग्रह पर पहुंचकर पानी की तलाश में जुटी है ताकि यहां भी जीवन संभव हो सके। लेकिन धरती पर मौजूद पानी का स्तर लगातार कम होना बहुत बड़ी चिंता का विषय है। जिसके बिना जीवन असंभव है। जल कृषि उत्पादन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इसके बिना जीव-जन्तु और वनस्पति में जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। भारतवर्ष में भूमि एवं जल प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, किन्तु बढ़ती हुई जनसंख्या का दबाव और मानव द्वारा अनावश्यक रूप से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने के कारण प्रति व्यक्ति भूमि एवं जल की उपलब्धता घटी है। पानी को कई तरह से बचाया जा सकता है। पानी के संरक्षण के 100 तरीके हैं। जल संरक्षण का सबसे सरल तरीका वर्षा जल संचयन है। हम वर्षा जल को संरक्षित कर सकते हैं और उन पानी का उपयोग हमारी दैनिक गतिविधियों में किया जा सकता है। शुद्धिकरण के बाद पीने के लिए भी वर्षा जल का उपयोग किया जा सकता है। जल संसाधन की समृद्धता और निरंतर उपलब्धता बनाए रखने के लिए जल संरक्षण तकनीक की जानकारी होना अनिवार्य है। हमारे देश की आर्थिक उन्नति में कृषि का बहुमूल्य योगदान है। देश में लगभग 70 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि वर्षा पर निर्भर है। वर्षा पर निर्भर खेती में हमेशा अनिश्चितता बनी रहती है क्योंकि वर्षा की तीव्रता तथा मात्रा पर मनुष्य का कोई वश नहीं चलता है। इसलिए इस प्रकार की खेती में वर्षा ऋ तु के आगमन से पूर्व ही कुछ व्यवस्थाएं करनी पड़ेगी जिससे वर्षा से होने वाले भूक्षरण को कम करके वर्षा जल का अधिकतम उपयोग खेती में किया जा सके। बढ़ती आबादी और पर्यावरण में हो रहे बदलाव के चलते धरती पर पानी की कमी होती जा रही है। और ये कमी भविष्य में बहुत बड़ी समस्या बन सकती है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसका असर फसलों से लेकर सभी जीव जंतुओं तक पर पड़ रहा है। पानी की कमी की वजह से पर्यावरण प्रभावित हो रहा है जिसके चलते मानसून की चाल से लेकर बारिश का पैटर्न तक लगातार बदल रहा है। कई जगह अचानक सूखा और फिर बाढ़ आम होती जा रही है। जब ऐसा होता है तो अधिकांश पानी बह जाता है और जिसकी वजह से जल का संग्रह नहीं हो पाता है। इतना ही नहीं लगातार भूमिगत जल का स्तर भी कम हो रहा है। ऐसा देखा गया है कि कई जगह बारिश जरूरत से ज्यादा हो जाती है तो कई जगह बहुत कम होती है। इस साल भी ऐसा ही देखने को मिला। जिसके चलते अगस्त/सितंबर में फसल का काफी नुकसान हुआ। इसलिए जब तक किसान बारिश के पानी का संरक्षण नहीं करेंगे, तब तक वे इस तरह की समस्या से जूझते रहेंगे। पानी की कमी न केवल जीवन को प्रभावित कर रही है बल्कि पर्यावरण और देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रही है। इसका मतलब साफ है कि अगर धरती पर पानी की कमी होगी तो फसलों से ठीक उत्पादन नहीं लिया जा सकता जिससे हमारे कृषि प्रधान देश की अर्थव्यवस्था सीधे-सीधे प्रभावित होगी। अगर थोड़ी जागरूकता दिखाई जाए तो जल संरक्षण के लिए कई तरीकों को अपनाया जा सकता है। इनमें से कुछ बहुत अहम है। इनमें से ड्रिप सिंचाई एक अच्छा विकल्प है। ड्रिप सिंचाई का रुख करना और आधुनिक उपाय जैसे कि आईओटी सेंसर और कम्प्यूटरीकृत सिस्टम को अपनाकर जल संरक्षण किया जा सकता है। लेकिन ऐसे उत्पादों को अधिक सुलभ और सस्ता बनाने की जरूरत है। चूंकि ग्रामीण भारत फसल की अच्छी पैदावार सुनिश्चित करने के लिए बारिश के पानी पर निर्भर है। ऐसे में जल प्रबंधन सिर्फ लोगों की प्यास बुझाने के लिए नहीं है, बल्कि कृषि, अर्थव्यवस्था और सभी के जीवन के लिए बहुत जरूरी है। यह दुनिया के लिए एक सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने और किसानों को पानी की कमी के विनाशकारी प्रभावों से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है। पानी बचाना जीवन बचाने के बराबर है! तो आइए हम अपनी पृथ्वी को रहने के लिए सुरक्षित और सुंदर जगह बनाने की प्रतिज्ञा करें।