नशे में स्कूल आने शिक्षकों की अब खैर नहीं, होगी कड़ी कार्रवाई- वर्णिका शर्मा - CGKIRAN

नशे में स्कूल आने शिक्षकों की अब खैर नहीं, होगी कड़ी कार्रवाई- वर्णिका शर्मा


 छत्तीसगढ़ बाल संरक्षण आयोग बच्चों की सुरक्षा को लेकर सख्ती करने की तैयारी में है. आयोग की अध्यक्ष वर्णिका शर्मा इसको लेकर लगातार अलग अलग जिलों निरीक्षण कर रही हैं. जहां भी गड़बड़ियां मिल रही हैं, तुरंत कार्रवाई की जा रही है. छत्तीसगढ़ बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ने कहा, बच्चों के खिलाफ किसी भी प्रकार की क्रूरता बर्दाश्त नहीं की जाएगी, चाहे वह बाहरी व्यक्ति हो या बच्चे का पालक ही क्यों न हो. साथ ही नशे की हालत में स्कूल पहुंचने वाले शिक्षकों को लेकर भी उन्होंने कड़े निर्देश देते हुए सख्त दंड की चेतावनी दी. हाल के महीनों में आयोग द्वारा की जा रही कई जांचों और दर्ज हुए प्रकरणों से अधिकारियों में हलचल बढ़ गई है. आयोग साफ संदेश दे रहा है कि बच्चों से जुड़ी किसी भी संस्था, स्कूल या व्यक्ति की लापरवाही अब बिना कार्रवाई नहीं बचेगी.

छत्तीसगढ़ बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष वर्णिका शर्मा ने कहा, हाल ही में महिला बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े के साथ कोरबा संप्रेक्षण गृह का औचक निरीक्षण किया गया. निरीक्षण के दौरान कई अव्यवस्थाएं देखने को मिली हैं. बच्चों से बातचीत में कुछ गंभीर बातें उजागर हुईं हैं. जिसके बाद आयोग ने तत्काल संज्ञान लेते हुए प्रकरण दर्ज किया है. संबंधित अधिकारियों को सुधार और कार्रवाई के निर्देश भी आयोग की तरफ से दिए गए हैं.

अध्यक्ष शर्मा ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है. उन्होंने दोहराया कि बच्चों के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार या क्रूरता बिल्कुल शून्य सहनशीलता की नीति के तहत देखा जाएगा. अध्यक्ष ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि हर बच्चा सुरक्षित रहे, और संस्थाओं में चल रही सभी गतिविधियां बच्चों के हित में हों.

शिक्षकों को चेतावनी, लगेगी धारा 75

अध्यक्ष वर्णिका शर्मा ने नशे में स्कूल पहुंचने वाले शिक्षकों को लेकर बेहद सख्त रुख अपनाया है. उन्होंने कहा कि शिक्षक, पालक या कोई भी व्यक्ति यदि बच्चों के प्रति लापरवाही या क्रूरता करता है, तो उस पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 75 लगाई जाएगी. इस धारा के तहत दोषियों को 3 से 5 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है. वर्णिका शर्मा ने कहा कि बच्चों की जिम्मेदारी जिस किसी को भी सौंपी गई है,चाहे वह टीचर, पालक या संस्थान का कर्मचारी हो, उन्हे स्वयं अनुशासित और संवेदनशील होना होगा. बच्चों के हितों की अनदेखी या उन पर क्रूरता किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं की जाएगी.


Previous article
Next article

Articles Ads

Articles Ads 1

Articles Ads 2

Advertisement Ads