छत्तीसगढ़ सरकार की नई पुनर्वास नीति का बड़ा असर- माओवादी कर रहे आत्मसमर्पण
बस्तर में तेजी से नक्सलवाद का सफाया होता जा रहा है. बड़ी संख्या में माओवादी हर दिन हथियार डालकर समाज की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं. एसटीपी से मिले आंकड़ों पर गौर करें तो 6 मार्च, 2000 से 7 अप्रैल, 2024 तक 16,780 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं. केंद्र और राज्य सरकार की योजना है कि जल्द से जल्द माओवादी हिंसा को खत्म कर बस्तर में विकास कार्यों को तेजी दी जाए. राज्य में आत्मसमर्पण नीति को बढ़ावा देने के लिए सरेंडर करने वाले माओवादियों को छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास योजना के तहत आर्थिक सहायता और अन्य सुविधाएं दे रही है. राज्य सरकार की नई पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को 50,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि के साथ-साथ स्किल डेवलपमेंट का कोर्स भी कराया जा रहा है.अधिकारियों ने बताया कि नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सलवादी आत्मसमर्पण पुनर्वास नीति, ‘नियद नेल्ला नार’ (आपका अच्छा गांव) योजना से प्रभावित होकर और अंदरूनी क्षेत्रों में लगातार पुलिस के बढ़ते प्रभाव से आत्मसमर्पण करने का फैसला किया।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सोमवार को नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनके निवास पर मुलाकात की थी. इस बैठक में नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करने, बस्तर के विकास को तेज करने और पर्यटन व आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने पर विस्तार से चर्चा हुई. मुख्यमंत्री साय ने अमित शाह को अवगत कराया कि नक्सलवाद अब अपने आखिरी पड़ाव पर है और सरकार इसे पूरी तरह खत्म करने के लिए निर्णायक कदम उठा रही है. राज्य और केंद्र के संयुक्त प्रयासों से नक्सली संगठनों की पकड़ कमजोर हो चुकी है. अब अंतिम चरण की रणनीति तैयार कर बस्तर को स्थायी शांति की ओर ले जाने पर जोर दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार की नई आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति-2025 का असर दिखने लगा है. हाल ही में बीजापुर जिले में इनामी नक्सलियों आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया.
नक्सलवाद के खात्मे की तय की डेडलाइन: नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने साफ किया है कि तय समय सीमा के भीतर माओवाद का खात्मा कर दिया जाएगा. सीएम विष्णु देव साय ने भी कहा है कि 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद का सफाया हो जाएगा. नक्सलवाद के खात्मे के लिए एंटी नक्सल ऑपरेशन को और तेज कर दिया गया है. बढ़ते नक्सल ऑपरेशन के चलते माओवादी लगातार सिमटते जा रहे हैं. 11 जुलाई को अबूझमाड़ में 22 माओवादियों ने हथियार डाले तो 23 माओवादियों ने सुकमा में 12 जुलाई को सरेंडर किया. शासन की ओर से भी साफ कर दिया गया है कि मानसून में भी एंटी नक्सल ऑपरेशन जारी रहेगा.