नाबालिग बच्चों को बाल श्रम से कराया गया मुक्त
छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में बाल श्रम का मामला सामने आया है। जिले के रामानुजनगर ब्लॉक में खेत में धान की रोपाई करने के लिए नाबालिग बच्चियों को लेकर एक वाहन जा रहा था। जिसमें कई बच्चियां महज आठ से दस साल की थीं। बाल संरक्षण टीम जब मामले की जानकारी हुई तो उन्होंने मौके पर पहुंचकर बच्चियों का रेस्क्यू कर बाल कल्याण समिति में भेज दिया।बाल संरक्षण अधिकारी ने बताया कि कलेक्टर एस जयवर्धन के निर्देश पर लगातार बाल श्रम रोकने की कार्रवाई हो रही। इसी अभियान के तहत रविवार को महिला बाल विकास विभाग, श्रम विभाग व पुलिस के साथ संयुक्त टीम बनाकर रामेश्वरम गांव का दौरा किया। यहां बच्चियों को स्कूल नहीं भेजकर उनसे मजदूरी करवाई जा रही थी। जिन 30 बच्चियां को रेस्क्यू कर बचाया गया है उनमें ज्यादातर बच्चियां स्कूल नहीं जा रही थीं।जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल को ग्रामीणों ने सूचना दी थी यहां बच्चों को स्कूल नहीं भेजा जा रहा है। उसने मजदूरी करवाई जाती है। जिसके बाद उन्होंने टीम गठित कर कार्रवाई की। ग्रामीणों ने अधिकारियों को बताया कि स्कूल में बहुत कम बच्चे आते हैं। जिन बच्चों का स्कूल में एडमिशन है वह रोपा लगाने के लिए दूसरे गांव जाते हैं।
अधिकारियों ने बताया कि हमें जानकारी मिली थी कि हर दिन गांव में गाड़ी आती है और बच्चियों को रोपा लगवाने के लिए लेकर जाती है। अधिकारियों के अनुसार, पूछताछ में पता चला कि छोटे बच्चों को रोपा लगाने में कम मजदूरी दी जाती है। बच्चों को मजदूरी के रूप में 300 रुपये दिए जाते हैं। वहीं, गाड़ी वाले 500 रुपये लेकर मजदूरों को किसानों के खेत में छोड़ देते हैं। उसके बाद शाम को गाड़ी वाले बच्चों को फिर से ले जाकर उनके गांव में छोड़ आते हैं। जिसके बाद बच्चे अपने घर चले जाते हैं। दिनभर बच्चों से खेतों में काम लिया जाता है। दोपहर एक बजे बच्चों को खाने के लिए बिस्किट दी जाती है उसके बाद वह शाम पांच बजे तक रोपा लगाते हैं। जिन 30 बच्चों का रेस्क्यू किया गया है उन्हें पढ़ाई को लेकर जागरुक किया गया है। अधिकारियों ने उन्हें पढ़ाई के महत्व के बारे में जानकरी दी है इसके साथ ही स्कूल जाने के लिए प्रेरित किया है।