श्रावण मास शुरू, क्यों भगवान शिव को प्रिय है सावन का महीना...! - CGKIRAN

श्रावण मास शुरू, क्यों भगवान शिव को प्रिय है सावन का महीना...!


भारती देवांगन, चंगोराभाठा रायपुर छत्तीसगढ़ 

भगवान शिव का प्रिय महीना सावन आज 11 जुलाई, शुक्रवार के दिन से शुरू हो चुका है और सावन माह की समाप्ति 09 अगस्त 2025 को शनिवार के दिन होगी। श्रावण माह की शुरुआत होते ही शिवालयों में ओम नम: शिवाय, हर हर महादेव, बम बम भोले की गूंज सुनाई देने लगी है. भक्त सुबह से शिव मंदिर पहुंचकर भोले की भक्ति में डूब गए हैं. दूध, दही, शहद, घी, जल, बेलपत्र, फूल अर्पित कर भगवान भोले को हर कोई प्रसन्न करने में लगा है. सावन माह के सोमवार का समय भगवान शिव के पूजन का विशेष होता है। सोमवार को भगवान शिव का अभिषेक करना अत्यंत फलदाई होता है। रुद्राष्टकम, शिव पुराण एवं अन्य धार्मिक ग्रंथों का पठन पाठन करना विशेष फलदाई होता है।

भगवान भोलेनाथ प्रकृति के देवता माने जाते हैं. इसलिए सावन माह में प्रकृति की पूजा के रूप में महादेव की पूजा की जाती है. पुराणों ने ये भी बताया गया है कि सावन महीने में ही भगवान भोलेनाथ ने विषपान किया था. इसके बाद उन्हें शांत करने के लिए बारिश के देवता इंद्र ने उनपर वर्षा की. यहीं वजह है कि कांवड़िए नदियों का जल लेकर शिवलिंग पर अर्पित करते हैं. ये भी कहा जाता है कि घोर तपस्या के बाद श्रावण मास में ही माता पार्वती ने भगवान शिव को पाया. कहा जाता है कि भगवान शिव को प्रसन्न करना बहुत आसान है. वे बहुत ही आसान पूजा से अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं. सावन माह में भगवान भोले को प्रसन्न करने के लिए सुबह सबसे पहले स्नान ध्यान करें. साफ कपड़े पहने. भगवान शिव को समर्पित वैदिक मंत्रों का जाप कर शिव आराधना करें. देसी घी का दीया जलाए और ओम नम: शिवाय का जाप करे. इस दिन कई लोग शिव चालीसा का पाठ भी करते हैं. मंदिर में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए जल, दूध, दही ,घी, शक्कर, धतूरा और कनेर के फूल चढ़ाए जाते हैं. भगवान शिव की कृपा पाने के लिए इस दिन कई लोग रुद्राभिषेक भी कराते हैं. जिससे भगवान भोलेनाथ भक्तों की मनोकामना पूरी करने के साथ ही मनवांछित फल भी देते हैं. श्रावण मास भगवान शिव को विशेष प्रिय है अतएव शिव जी की प्रसन्नता हेतु प्रसिद्ध तीर्थों से जल भरकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थित भगवान शिवस्वरूप ज्योतिर्लिंग को जलार्पण किया जाता है। इसी को कांवड़ यात्रा भी कहा जाता है। इसी महीने में शिव जी की पूजा एवं अभिषेक भी किया जाता है। सोमवार को अधिकतर शिवभक्त व्रत रखते हैं।

पहला सावन सोमवार कब: सावन महीने में इस बार चार सोमवार पड़ रहे हैं. सावन माह शुरू होने के बाद पहला सोमवार 14 जुलाई को पड़ रहा है. दूसरा सोमवार 21 जुलाई को, तीसरा सोमवार 28 जुलाई और चौथा और आखिरी सोमवार 4 अगस्त को पड़ रहा है. 9 अगस्त को श्रावण मास खत्म हो जाएगा.

प्रथम श्रावण सोमवार व्रत 14 जुलाई 2025

सावन माह के पहले सोमवार के दिन 14 जुलाई को धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र रहेगा, आयुष्मान और सौभाग्य योग रहेगा। इस दिन गजानन संकष्टी चतुर्थी रहेगी इस समय भगवान शिव का पूजन भक्तों को शुभता देने वाला होगा।

 द्वितीय श्रावण सोमवार व्रत 21 जुलाई 2025

सावन माह के दूसरे सोमवार के दिन 21 जुलाई 2025 को रोहिणी नक्षत्र का योग मिलेगा और चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में गोचर करेगा। दूसरे सावन सोमवार के दिन वृद्धि योग की शुभता मिलने वाली है। द्वितीय श्रावण सोमवार के दिन कामिका एकादशी का शुभ समय भी होगा। सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग प्राप्त होगा।

तृतीय श्रावण सोमवार व्रत 28 जुलाई 2025

सावन माह के तीसरे सोमवार के दिन 28 जुलाई 2025 को पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र मिलेगा इसके बाद उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र भी प्राप्त होगा। रवि योग की शुभता रहेगी।श्रावण तृतीय सोमवार के दिन विनायक चतुर्थी का पर्व भी मनाया जाएगा।

चतुर्थ श्रावण सोमवार व्रत 04 अगस्त 2025

सावन माह के चतुर्थ सोमवार के दिन 04 अगस्त 2025 को होगा। इस दिन अनुराधा नक्षत्र के साथ  ज्येष्ठा नक्षत्र की प्राप्ति होगी। चतुर्थ श्रावण सोमवार व्रत के दिन ब्रह्म और इंद्र योग नामक शुभता होगी। सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग की प्राप्ति होगी। चंद्रमा इस दिन वृश्चिक राशि में गोचर करेगा ऐसे में इस दिन किया गया शिव अनुष्ठान भक्तों को मानसिक शांति देने वाला होगा। चंद्र दोष की शांति होगी, ग्रहण योग पितृ दोष की शांति होगी।

छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध शिव मंदिर 

छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध शिव मंदिर: छत्तीसगढ़ में कई प्रसिद्ध शिव मंदिर है. इनमे से कई ऐसे मंदिर भी है जो 6वीं-7वीं शताब्दी से लेकर 12वीं से 13वीं शताब्दी में बने हैं. भिलाई से करीब 4 किलोमीटर दूर देवबलोदा चरोदा में यह मंदिर है. जो कल्चुरी कालीन (12वीं से 13वीं शताब्दी ) में बनाया गया है. शिवरात्रि पर यहां मेला लगता है. वहीं महासमुंद जिले के सिरपुर में सुरंग टीला मंदिर है. यह 7वीं शताब्दी का प्राचीन शिव मंदिर है. गरियाबंद का भूतेश्वरदेव महादेव मंदिर काफी प्रसिद्ध है. यहां हर साल शिवलिंग की ऊंचाई बढ़ रही है. जांजगीर चांपा जिले में लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर है. ह 6 वीं शताब्दी में बना था. यहां स्थित शिवलिंग में एक लाख छिद्र हैं, इसीलिये इसका नाम लक्षलिंग भी है.राजिम में 9वीं शताब्दी का शिव मंदिर कुलेश्वर महादेव का मंदिर है. बिलासपुर जिले के मल्हार में पातालेश्वर/केदारेश्वर महादेव का मंदिर है. कल्चुरी काल में 10वीं से 13वीं सदी में इस मंदिर का निर्माण हुआ था.

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