छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में सरकार का बड़ा एक्शन, 22 आबकारी अधिकारी एक साथ सस्पेंड - CGKIRAN

छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में सरकार का बड़ा एक्शन, 22 आबकारी अधिकारी एक साथ सस्पेंड


छत्तीसगढ़ से एक बड़ी खबर है.  छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में बड़ी कार्रवाई सामने आई है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने इस मामले में 29 अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश कर दिया है। इसके बाद सरकार ने इनमें से 22 अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। वहीं 7 अधिकारी पहले ही रिटायर हो गए हैं। आबकारी अधिकारी रहते हुए इन अफसरों पर शराब घोटाला में कमीशन खोरी का आरोप है. एसीबी ईओडब्ल्यू की टीम इस मामले की जांच कर रही थी. जांच में इन सभी के नाम सामने आए थे. इसके बाद विभाग ने कड़ा एक्शन लेते हुए 22 अफसरों को सस्पेंड कर दिया है. इस आदेश के जारी होते ही विभाग ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया है. 

आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने 29 आबकारी अधिकारियों के खिलाफ विशेष न्यायालय में करीब 2300 पन्नों का विस्तृत चालान पेश किया था. चालान में जिन अधिकारियों के नाम हैं उन्हें निलंबित किया गया है.  3200 करोड़ रुपए के शराब घोटाला मामले में बड़ी कार्रवाई हुई है. 

सूत्रों के अनुसार, निलंबित अधिकारियों में आबकारी विभाग के जिला अधिकारी, निरीक्षक स्तर के कर्मचारी और मुख्यालय से जुड़े कुछ उच्चाधिकारी भी शामिल हैं। मामले में जांच अभी भी जारी है। संभवतः कुछ अन्य लोगों की गिरफ्तारियां भी संभव है।

ये अफसर हुए सस्पेंड

अनिमेश नेताम, अरविंद कुमार पाटले, नीतू नोतानी, नोहर सिंह, विजय सेन शर्मा,मोहित कुमार जायसवाल, गरीबपाल सिंह, इकबाल अहमद खान, जनार्दन सिंह कौरव, नितिन कुमार खंडूजा को सस्पेंड किया गया है.  

इन अफसरों पर भी हुई कार्रवाई 

जिन अफसरों पर कार्रवाई हुई है उनमें प्रमोद कुमार नेताम, विकास कुमार गोस्वामी, नवीन प्रताप सिंह तोमर, राजेश जायसवाल, मंजू कसेर, दिनकर वासनिक, आशीष कोसम,, सौरभ वख्शी, प्रकाश पाल, रामकृष्ण मिश्रा, अलेख राम सिदार  और सोनल नेताम हैं. 

2100 से 3200 करोड़ तक पहुंचा घोटाला

ईओडब्ल्यू के बयान के बयान में कहा कि पहले यह घोटाला सभी तरह के कमीशन, दुकानों में बिकी अवैध शराब की बिक्री को जोड़कर 2161 करोड़ का घोटाला माना जा रहा था। लेकिन जांच के बाद 3200 करोड़ से अधिक शराब घोटाला होने की संभावना है। यह प्लान घोटाला संगठित सिंडिकेट के जरिए किया गया। इसमें अफसरों, नेताओं और कारोबारियों की मिलीभगत भी सामने आई है।

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