औषधीय गुणों से भरपूर हैं यह फल, लेसवा कई बीमारियों में कारगर
साल में केवल गर्मियों के समय तीन महीने मिलने वाला फल लेसवा औषधीय गुणों से भरपूर फल है. राजस्थान के कई जिलों में किसान इसकी खेती भी करते हैं. यह फल न केवल स्वाद में अनूठा है, बल्कि आयुर्वेद और देसी नुस्खों में इसका विशेष स्थान है. मुख्य रूप से इसकी सब्जी और आचार बनाया जाता है. पुराने समय में अब तक दादी-नानी के नुस्खे में भी इसका उपयोग होता आ रहा है प्रकृति में एक ऐसा फल है, जिसके गूदे को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर और शहद मिलाकर पीने से गले की खराश दूर होती है. दादी ने बताया कि पहले जोड़ों के दर्द की दवाइयां नहीं थी. तब इसी फल से जोड़ों के दर्द का इलाज किया जाता है .इस फल के गूदे को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर और शहद मिलाकर पीने से गले की खराश दूर होती है. पहले जोड़ों के दर्द की दवाइयां नहीं थी. तब इसी फल से जोड़ों के दर्द का इलाज किया जाता था. इसके लिए इसकी छाल का लेप बनाकर सूजन वाले स्थान पर बांधा जाता था. पेट के कीड़े और बालों को झड़ने से रोकने में भी यह उपयोगी है.
लेसवा फल मुख्य रूप मई-जून से मानसून की शुरुआत यानी जुलाई तक पककर तैयार होता है. यह फल छोटे आकार का होता है, जो हरे रंग से शुरू होकर पकने पर पीले-नारंगी रंग में बदल जाता है. लेसवा फल की कीमत स्थान और मांग के अनुसार बदलती है. ग्रामीण क्षेत्रों में यह भी 80 से 120 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा है. वहीं, शहरी बाजारों या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर यह 100 से 170 रुपए तक किलो मिल रहा है. यह मौसमी फल होने के कारण सालभर नहीं मिलता, लेकिन कुछ लोग इसे सुखाकर या अचार बनाकर रखा जाता है. लेसवा फल में फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है, जो कब्ज और एसिडिटी दूर करता है. इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन-सी त्वचा की चमक बढ़ाते हैं और दाग-धब्बों को कम करते हैं. इसके अलावा यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है गर्मी के मौसम में लेसवा फल का सेवन शरीर को ठंडक पहुंचाता है. यह पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) दूर करने और लू लगने के खतरे को कम करने में सहायक है. इसके अलावा, गर्मी में होने वाली चक्कर, उल्टी या सिरदर्द की समस्या से भी राहत देता है.