घोर नक्सल गाँव कुतुल तक पहली बार आरंभ हुई बस सेवा, अब विकास की दिखने लगी रोशनी
दशकों तक नक्सलवाद और पिछड़ेपन के अंधेरे में डूबे अबूझमाड़ को अब विकास की रोशनी दिखने लगी है. नारायणपुर से कुतुल तक पहली बार आरंभ हुई बस सेवा ने जहां क्षेत्र के लोगों को राहत दी है, वहीं इसे लेकर स्थानीय ग्रामीणों में खुशी और उम्मीदों की नई लहर देखी जा रही है.अबूझमाड़ के सुदूर गांव कुतुल तक बस सेवा का पहुंचना सिर्फ एक परिवहन व्यवस्था की शुरुआत नहीं, बल्कि यह उस बदलाव का संकेत है जो वर्षों के संघर्ष और सुरक्षा प्रयासों के बाद संभव हुआ है. यह सेवा ग्रामीणों के जीवन में नया भरोसा, सुविधा और विकास की उम्मीद लेकर आई है. हालांकि किराया और बस के आकार को लेकर उठी आवाजों पर भी प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है, ताकि यह सेवा सभी के लिए सुलभ और लाभकारी बन सके.
नारायणपुर जिला प्रशासन और पुलिस विभाग की संयुक्त पहल से पहले क्षेत्र में पुलिस कैंप का विस्तार किया गया, जिसके बाद अब विकास की प्राथमिक बुनियादी जरूरतों को पूरा करने की दिशा में लगातार काम हो रहा है. इसी क्रम में नेशनल हाईवे NH-130D के निर्माण कार्य को प्राथमिकता दी गई, जिससे नक्सलियों का गढ़ माने जाने वाली ग्राम पंचायत कुतुल तक पक्की सड़क बनाई गई.
आजादी के बाद पहली बार कुतुल पहुंची बस: पक्की सड़क निर्माण के बाद अब उसी मार्ग पर आजादी के बाद पहली बार नारायणपुर से कुतुल तक बस सेवा शुरू की गई है. स्थानीय परिवहन कंपनी बस्तर ट्रेवल्स द्वारा चलाई जा रही यह बस कुंदला, कोहकामेटा, इरकभट्टी, कच्चा पाल, कस्तूरमेटा और मोहंदी होते हुए कुतुल तक जाती है.. बस सेवा शुरु होने से गांव गांव तक शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं पहुंच पाएंगी स्वास्थ्य, शिक्षा और दैनिक जरूरतों के लिए राहत: इस बस सेवा के शुरू होने से इन रास्तों के दर्जनों गांवों के लोगों को जिला मुख्यालय तक आने-जाने में राहत मिली है. अब ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाएं, शैक्षणिक संस्थानों और बाजार तक आसानी से पहुंच पा रहे हैं.
बस सेवा शुरू होने से लोगों को आने जाने में सहूलियत होगी. समय पर लोगों को इलाज मिल पाएगा. समय पर लोग अस्पताल पहुंच पाएंगे. स्कूल कॉलेज पढ़ने जाने वाले बच्चों को काफी फायदा मिलेगा. मैं पढ़ती हूं और पढ़ाई के लिए कॉलेज गई थी. जैसे ही मुझे पता चला कि बस सेवा शुरु हुई है मैं कॉलेज जाने के लिए निकली हूं और कॉलेज पूरा कर वापस लौट रही हूं यात्रा शुल्क को लेकर ग्रामीणों की चिंता: जहां एक ओर ग्रामीणों में इस सेवा को लेकर उत्साह है, वहीं यात्रा शुल्क को लेकर उन्होंने असंतोष जताया है. कुतुल से नारायणपुर तक प्रति व्यक्ति 80 रुपये किराया वसूला जा रहा है, जिसे ग्रामीण ज्यादा बता रहे हैं. बड़ी बस की भी मांग: ग्रामीणों ने सुझाव दिया कि छोटी बस के बजाय बड़ी बस का संचालन किया जाए ताकि ज्यादा लोग आराम से सफर कर सकें.
तीन दिन में ही बढ़ी सवारियों की संख्या: बस कंडक्टर उत्तम मानिकपुरी बताते हैं कि बस सेवा शुरू होने के पहले दो दिनों में यात्रियों की संख्या कम रही, लेकिन तीसरे दिन बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने बस का उपयोग किया, जिससे उनकी जरूरत और उत्साह स्पष्ट झलक रहा है. अभी तो लोगों को पता ही नहीं है कि बस सेवा शुरु हुई है जैसे ही लोगों को पता चलेगा भीड़ बढ़ जाएगी. सड़क आने जाने के लिए ठीक है. ग्रामीणों ने माना कि जब क्षेत्र में पुलिस कैंप बना और सड़कें पहुंचीं, तभी से अबूझमाड़ में बदलाव की शुरुआत हुई है.