रायपुर स्काई वॉक का जल्द निर्माण होगा पूरा, 2019 में भूपेश सरकार ने लगाई थी रोक
अधूरे स्काईवॉक का काम जल्द पूरा किया जाएगा. इसके लिए सरकार ने 37.75 करोड. रुपए स्वीकृत किए हैं. रायपुर के बहुप्रतीक्षित और लंबे समय से विवादों में रहे स्काई वॉक प्रोजेक्ट (फुट ओवर ब्रिज) को अब फिर से पूरा किया जाएगा। लगभग 8 वर्षों तक रुके रहने के बाद, इस प्रोजेक्ट पर दोबारा काम शुरू होने जा रहा है। इसकी निविदा प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. इस निविदा प्रक्रिया में दो कंपनियों ने भाग लिया था. जिसमें से रायपुर की फर्म पीएसए कंस्ट्रक्शन को टेंडर मिला है. यह स्काईवाक पिछले 7 साल से अधूरा है. जिसके पूरे होने की अब उम्मीद जगी है. तत्कालीन रमन सरकार में शुरू हुए स्काईवॉक प्रोजेक्ट पर पूर्ववर्ती कांग्रेस की भूपेश सरकार ने रोक लगा दी थी. जिसके बाद अब साय सरकार इस अधूरे निर्माण कार्य को पूरा करने जा रही है.
बता दें कि करीब 7 सालों से अधूरे खड़े स्काई वॉक के ढांचे को पूरा करने के लिए लोक निर्माण विभाग (PWD) ने टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली है। इसका नोटिफिकेशन भी जारी हो गया है, जिसके अनुसार, पी.एस.ए.ए. कंस्ट्रक्शन प्रा. लि. रायपुर को इस परियोजना का ठेका दिया गया है। बता दें कि पूर्ववर्ती रमन सरकार में तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री राजेश मूणत ने साल 2016-17 में स्काईवॉक का काम शुरू किया था. लेकिन आज तक यह प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सका है. इसकी वजह यह भी रही कि बीच में सत्ता परिवर्तन हो गया. कांग्रेस प्रदेश की सत्ता पर काबिज हो गई. कांग्रेस ने इस स्काईवॉक को भाजपा के भ्रष्टाचार का स्मारक बताकर अधूरा खड़ा रहने दिया और इसके काम पर रोक लगा दी. ना तो इसका काम पूरा होने दिया और ना ही इसे तोड़ा.
सर्वे के बाद शुरू हुआ स्कॉईवॉक का काम
पूर्ववर्ती रमन सरकार ने साल 2016-17 में स्काईवॉक के संबंध में सर्वे कराया था. इसके कंसलटेंट एसएन भावे एसोसिएट मुंबई ने अपनी रिपोर्ट में बताया था, कि शास्त्री चौक से रोजाना 27 हजार और मेकाहारा चौक से लगभग 14 हजार राहगीर पैदल आना जाना करते हैं. इसके आधार पर स्काईवॉक बनाने का निर्णय रमन सरकार ने लिया उसे दौरान पीडब्ल्यूडी मंत्री राजेश मूणत थे.
इस रिपोर्ट के आधार पर स्काईवॉक निर्माण के लिए साल 2017 में निविदा बुलाई गई. निविदा में मेसर्स जीएस एक्सप्रेस लखनऊ को 42.55 करोड़ रुपए स्वीकृत किया गया. इस स्काईवॉक का निर्माण कार्य 8 महीने में पूरा किया जाना था. इसकी कुल लंबाई लगभग 1.470 किलोमीटर थी. वहीं इसमें 10 स्थान पर सीढ़ी, 8 जगहों पर एस्केलेटर और 2 जगह पर लिफ्ट लगाना था. कुछ समय बाद इसकी पुनरीक्षित लागत राशि बढ़कर 77 करोड़ रुपए हो गई थी.
आदेश में स्काई वॉक प्रोजेक्ट को लेकर दिशा-निर्देश
कार्य पूर्व स्वीकृत ड्राइंग-डिजाइन के अनुरूप ही पूरा किया जाएगा।
सभी नॉन एसओआर (Non SOR) मदों की दरों का विश्लेषण कर अनुमोदन सुनिश्चित किया जाएगा।
कार्य की गुणवत्ता पर विशेष निगरानी रखने और कार्य अनुबंधित समय सीमा में पूरा करने के निर्देश हैं।
यह कार्य सबलेट नहीं किया जा सकेगा और पावर ऑफ अटॉर्नी मान्य नहीं होगी।
कार्य अनुबंध के अनुसार और बजट सीमा के भीतर ही किया जाएगा।