चिरौंजी बेचकर मालामाल हो रहे किसान, दूसरे राज्यों में भी मांग
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में चिरौंजी की मांग बढ़ने से किसानों को लाखों की कमाई हो रही है. इसकी मांग दूसरे राज्यों में भी है. यहां के अंदरुनी व पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले गरीब परिवार के लिए यह आय का बेहतर साधन बन गया है और लोगों की आर्थिक स्थिति सुधरने लगी है. यहां के अंदरुनी व पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले गरीब परिवार के लिए यह आय का बेहतर साधन बन गया है और लोगों की आर्थिक स्थिति सुधरने लगी है. दरअसल,जशपुर के जंगलों में बेशकीमती चिरौंजी बाजार में 300 से शुरु होकर 400 रुपए किलो तक बिक रहा है। दाम ज्यादा मिलने से जंगल में चिरौंजी तोड़ने ग्रामीण बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। जशपुर जिले में किसान लोकल व्यापारियों को बेच देते हैं। बता दें कि, जशपुर जिले के चिरौंजी के बीज का दूसरे राज्यों व शहरों में सबसे ज्यादा डिमांड है। इनके बीज उड़ीसा, कानपुर, बैंगलोर, कलकत्ता, नागपुर, दिल्ली, जयपुर जैसे शहरों में अधिक जाता है। इन शहरों में चिरौंजी के बीज 35सौ से 4 हजार रुपए तक बिकता है। इसे मशीन में अच्छी तरह से सफाई कर उत्पाद तैयार किया जाता है। बीज महंगा होने के कारण न केवल जशपुर बल्कि बस्तर से भी इनके बीज का उत्पादन किया जाता है।
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में रहने वाले किसान इन दिनों काफी खुश हैं. यहां के जंगलों में पाए जाने वाले बेशकीमती चिरौंजी बेचकर ग्रामीण लाखों रुपए कमा रहे हैं. क्षेत्र के किसान अब चिरौंजी को आय का अच्छा स्त्रोत बना रहे हैं. महज डेढ़ महीने तक ही पेड़ में रहने वाला चिरौंजी किसानों को मालामाल कर रहा है. मई के अंतिम महीने तक पेड़ में फल लगा रहता है. इसके बाद इसका फल झड़ कर खत्म हो जाता है लेकिन इन डेढ़ महीनों में किसान चिरौंजी को आमदनी में बदल देते हैं.
जशपुर जिले के चिरौंजी का दूसरे राज्यों व शहरों में सबसे ज्यादा डिमांड है. इनके बीज उड़ीसा, कानपुर, बैंगलोर, कलकत्ता, नागपुर, दिल्ली, जयपुर जैसे शहरों में अधिक जाता है. इन शहरों में चिरौंजी के बीज 3500 से 4 हजार रुपए तक बिकता है. इसे मशीन में अच्छी तरह से सफाई कर तैयार किया जाता है.
जशपुर-बस्तर में उत्पादन ज्यादा
बढ़ती कीमतों के कारण पत्थलगांव वन परिक्षेत्र के जंगलों में चिरौंजी तोड़ने वाले ग्रामीणों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. जशपुर और बस्तर जिले में चिरौंजी का उत्पादन प्रचुर मात्रा में होता है. इसके व्यापार के जरिए ग्रामीण क्षेत्र के लोग अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार महसूस कर रहे हैं और चिरौंजी का व्यवसाय उनके लिए आय का महत्वपूर्ण साधन बन चुका है. चिरौंजी स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक है. साथ ही इसके पाउडर से मिठाई बिस्कुट सहित अन्य चीजें बनाई जाती हैं.
‘बिचौलियों के नहीं सरकार को बेचें'
सरगुजा आदिवासी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष गोमती साय ने बताया कि जंगलो में पाए जाने वाले वनोपज को सरकार खरीदने के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन ग्रामीणों को जानकारी नही मिलने के कारण बिचौलियों को बेचने से उनको सही कीमत नही मिल पाती है. इसके लिए किसानों में जागरूकता लाकर इसकी खरीदी की जाएगी. उन्होंने किसानों से इसे बिचौलियों को नहीं बल्कि शासन को बेचने के अपील की है.