छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश में इन दिनों जंगली फल तेंदू की बहार,
बालाघाट के बाजारों में इन फलों को ग्रामीण अंचलों के लोग जंगलों से तोड़ कर लाते हैं. इसके बाद ये व्यापारी शहरों में दुकान लगाकर बेचते हैं. ऐसे में आते-जाते लोगों का ध्यान पड़ते ही दुकान में आ जाते हैं और इसकी खरीदारी करते हैं. ये फल मार्केट में करीब 200 रुपये किलो के हिसाब से बिक रहे हैं. फल के खरीदारों ने बताया कि इन फलों को देखकर बचपन की याद आ गई. बचपन में ये फल काफी देखें जाते थे. अब ये फल अचानक ही दिखने से उत्साहित हो गए. इसका स्वाद भी काफी मीठा है.
बता दें कि तेंदू फल के कम होने की एक बड़ी वजह बीड़ी उद्योग का धीरे-धीरे बंद होना भी है. दरअसल, तेंदू के पत्तों का उपयोग बीड़ी बनाने में होता था, लेकिन स्वास्थ्य पर बुरे असर के कारण बीड़ी का कारोबार सिमटने लगा है. जब तेंदू पत्तों का संग्रहण कम हुआ, तो जंगलों में जाने वाले मजदूर भी घट गए, जिससे तेंदू फल बाजारों में कम दिखाई देने लगे हैं. जानकारों का कहना है कि "तेंदू फल गर्मी में सेहत के लिए बहुत लाभकारी होता है, यह शरीर को ठंडक और ताकत देने वाला फल है."औषधीय गुणों से भरपूर होता है. उन्होंने बताया कि दुनिया की सभी चीजें पांच भौतिक तत्वों से बनी हैं और जितने भी पेड़-पौधे हैं, वे कहीं न कहीं औषधि के रूप में उपयोग किए जाते हैं. तेंदू फल का भी विभिन्न रोगों में उपयोग किया जाता है. यह त्वचा रोगों को ठीक करने और शरीर की दुर्बलता दूर करने में सहायक है.