गर्मी के दिनों में लू में कारगर है चुनचुनिया भाजी - CGKIRAN

गर्मी के दिनों में लू में कारगर है चुनचुनिया भाजी


तिनपतिया भाजी (ऑक्सालिस कोर्नीकुलाटा) - तिनपतिया या चुनचुनिया अथवा अम्बोती भाजी भूमि पर रेंग कर (लता) बढने वाला खरपतवार  है, जो कि  गीले और नम छायादार स्थानों पर उगती है। इसकी कुछ प्रजातियों के पत्ते हरे तथा कुछ गुलाबी रंग के होते है जिनमे  छोटे छोटे  सफ़ेद तथा गुलाबी रंग के फूल वाली होती है। यह भाजी  वर्षा एवं शरद ऋतु में उपलब्ध रहता है। इसकी कोमल पत्तियों को भाजी के रूप में पकाया जाता है। इसकी भाजी अगस्त से दिसम्बर तक उपलब्ध होती है। इसकी पत्तियों में औसतन  8.7 प्रतिशत रेशा, 0.8 प्रतिशत  लिपिड, 2.3  प्रतिशत प्रोटीन, 75.69 प्रतिशत कार्बोहायड्रेट, 365  पी.पी.एम. आयरन और 100 ग्राम भाग में 371  किलो कैलोरी उर्जा पाई जाती है। पत्तियों में  खट्टापन ऑक्ज़ेलिक एसिड के कारण होता है। इसका प्रयोग मधु मक्खी और कीड़े मकौड़ों के काटने में कारगर होता  है। काटी  हुई जगह पर इसकी पत्तियों को रगडऩे से दर्द और जलन जाती रहती है. इसका स्वाभाव ठंडा है। प्यास को शांत करती है। लू लगजाने पर इसकी चटनी बनाकर खाने से आराम मिलता है।

1. यह स्वाद में जायकेदार होता है।

2. इसे खाने से लू से आराम मिलता है।

3. गांव एवं शहरी क्षेत्र में यह भाजी अतिप्रिय भाजी है।

4. यह भाजी पानी से भरे हुए खेत में ही उगाया जाता है।

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