मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने गर्मी में करे अकरस जुताई
ग्रीष्मकालीन जुताई का अर्थ है कि गर्मियों के दौरान भू-परिष्करण यंत्र के जैसे जुताई करने वाले यंत्रों की मदद से जुताई करना। इसका मुख्य उद्देश्य मिट्टी की उपरी परत की पपड़ी को गहरी जुताई के साथ खोलना है, जबकि साथ ही साथ एक ही समय में मिट्टी को पीड़को से बचाने के लिए सूर्य के प्रकाश की ओर मिट्टी को पलटना है। किसान मिट्टी की उर्वराशक्ति को बढ़ाने गर्मी के दिनों में अकरस जुताई करें ताकी मिट्टी उलट-पलट हो जाये और अंदर के कीड़े बाहर आकर मर जाये। अकरस जुताई से यह भी फायदा होता है कि जो जमीन में ठूंठ रहते है वह जुताई करने से अंदर चले जाते है जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति में सुधार होता है। अकरस जुताई से खेत की एक ही गहराई पर बार-बार जुताई करने अथवा धान की रोपाई हेतु मिट्टी की मचाई से कठोर परत बन जाती है, जिसे ग्रीष्म कालीन जुताई से तोड़ा जा सकता है। फसलों में लगने वाली कीड़े, जैसे धान का तना छेदक, कटुआ, सैनिक कीट, उड़द-मूंग की फल भेदक, अरहर की फली भेदक, चना की इल्ली, बिहार रोमल इल्ली इत्यादि कीट गर्मी के मौसम के दौरान जीवन चक्र की शंखी अवस्था में फसल अवशेष, ठूंठ व जड़ों के पास अथवा मिट्टी में छुपे रहते हैं। गर्मी के मौसम में अकरस जुताई करने से कीट की संखी अवस्था अथवा कीट के अंडे धूप के सीधे संपर्क में आने से गर्मी केकारण मर जाते हैं अथवा चिडियों द्वारा चुग लिए जाते हैं, जिससे कीटनाशियों के प्रयोग करना नहीं पड़ता है अथवा कम होता है।
ग्रीष्मकालीन जुताई अच्छे फसल उत्पादन लेने के लिए अत्यधिक आवश्यक है। ऐसे में अगर खाली खेतो की गर्मियों में जुताई कर दी जाये तो यह मृदा उर्वरकता सुधार के साथ-साथ खेतो में फसलों को नुकसान पहुचाने वाले कीड़े मकोड़ो को भी नष्ट कर देती है। गहरी जुताई और मिट्टी पलटने से खरपतवार नियंत्रण कर पौधे के पोषक-तत्वों के बीच प्रतिस्पर्धा कम हो जाती है, जिससे फसल उत्पादकता में वृद्धि होती है। गर्मी की जुताई रबी की फसल कटाई के तुरंत बाद आरम्भ कर देनी चाहिए क्योकि फसल कटने के बाद भूमि में नमी रहने के कारण जुताई आसानी से हो जाती है। प्रात: काल का समय जुताई के लिए सबसे अच्छा रहता हैं क्योंकि कीटों के प्राकृतिक शत्रु परभक्षी पक्षियों की सक्रियता इस समय अधिक रहती हैं।
फसल की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए रबी की फसल की कटाई के तुरन्त बाद गहरी जुताई कर ग्रीष्म ऋतु में खेत को खाली रखना बहुत ही लाभदायक रहता है। ग्रीष्मकालीन जुताई रबी मौसम की फसलें कटने के बाद शुरू होती हैं जो बरसात शुरू होने पर समाप्त होती है। अर्थात् अप्रैल से जून माह तक ग्रीष्मकालीन जुताई की जाती है जिससे ऊर्जा की खपत कम होती है। जहां तक हो सके किसान भाईयो को गर्मी की जुताई रबी की फसल कटने के तुरन्त बाद मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई कर देनी चाहिए क्योंकि खेत की मिट्टी में नमी संरक्षित होने के कारण बैलों व ट्रैक्टर को कम मेहनत करनी पड़ती है।
फसलों में रोग फैलाने वाले रोगाणु जैसे बैक्टीरिया, फफूंद आदि फसल अवशेष अथवा मिट्टी में जीवित बने रहते हैं और अनुकूल मौसम मिलने पर फिर से प्रकोप शुरू कर देते हैं। ग्रीष्म कालीन जुताई करने से ये रोगाणु सूर्य की रोशनी के सीधे संपर्क में आने से अधिक ताप के कारण नष्ट हो जाते हैं। ग्रीष्म कालीन जुताई से मिट्टी वर्षा जल को ज्यादा सोखती है और प्रतिकूल परिस्थिति अथवा अवर्षा की स्थिति में मिट्टी में संग्रहित वर्षा जल का उपयोग पौधा द्वारा किया जाता है। फसलों की जड़ को अच्छा बढऩे के लिए भुरभुरा व हवा युक्त मिट्टी की जरूरत होती है, ताकि जड़ ज्यादा से ज्यादा मिट्टी में फैल सके। मृदा वायुसंचार को बढ़ाता है जो लाभदायक सूक्ष्मजीवों को बढऩे में मद्द करते है, अत: जब हम खेत में खाद डालते है तो यही सूक्ष्मजीव बेहतर तरीके से मृदा में इसे अपघटित कर, भूमि को उपजाऊ बनाते है। जो पौधों को पर्याप्त उर्वरक उपलब्ध करातें हैें।
अकरस जुताई के परिणामस्वरूप मिट्टी भुरभुरा व पोला होता है, जिससे पौधे के जड़ की वृद्घि अच्छी होती है। मिट्टी में जैविक व कार्बनिक पदार्थ के अपघटन के लिए सूक्ष्म जीव आवश्यक होते हैं। अकरस जुताई से मिट्टी में हवा का संचार अच्छा होता है, जिससे सूक्ष्म जीवों की बढ़वार एवं गुणन तीव्रगति से होता है, फलस्वरूप पोषक तत्व की उपलब्धता बढ़ जाती है। मिट्टी का कटाव व वर्षा जल केबहाव की तीव्रता मिट्टी केभौतिक व रसायनिक दशा पर निर्भर करती है। ग्रीष्मकालीन जुताई करने से मिट्टी की जल अवशोषण क्षमता बढ़ जाती है व जल बहाव की अवस्था निर्मित नहीं होती। परिणामस्वरूप मिट्टी का कटाव नहीं हो पाता है व खेत का पानी खेत की मिट्टी में ही संग्रहित हो जाता है। किसान अकरस जुताई केफायदे को ध्यान रखते हुए ज्यादा से ज्यादा ग्रीष्म कालीन जुताई करें, ताकि मिट्टी के जैविक व रासायनिक दशा में सुधार हो तथा अच्छा से अच्छा फसल उत्पादन कर सकें।