बिलासपुर की सियासत...! शुरू से रहा है भाजपा का दबदबा
बिलासपुर जिले में कुल विधानसभा सीट- बिलासपुर, कोटा , मस्तूरी , बेलतरा, बिल्हा , तखतपुर
बिलासपुर संभाग प्रदेश की राजनीति के लिहाज से हमेशा से मजबूत मानी मानी जाती है। यहां समय-समय पर भाजपा और कांग्रेस दोनों बड़ी पार्टियों ने अपना वर्चस्व दिखाया है। बिलासपुर विधानसभा सीटों पर शुरू से ही भाजपा का दबदबा रहा है. आजादी के बाद से अब तक अधिकतर भाजपा ही यहां जीत दर्ज करती आई है । छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की कुल 6 में से तीन सीटों पर बीजेपी काबिज है जबकि दो कांग्रेस के पास है. दोनों ही यहां ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने में जोर लगा रही हैं. मसलन बिलासपुर के पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल, बिल्हा के वर्तमान बीजेपी विधायक-पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक और बिलासपुर के सांसद (वर्तमान में बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष) के व्यापक प्रभाव के कारण बिलासपुर जिला मुख्य विपक्षी दल बीजेपी के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है।
बिलासपुर जिले के 6 सीट के समीकरण को की बात करें तो 2018 में जहां कांग्रेस ,बीजेपी और जोगी कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला था, वहीं इस बार बिलासपुर में आम आदमी पार्टी (AAP) भी पूरी ताकत से चुनावी मैदान में उतरने जा रही है. जहाँ पिछले बार बिलासपुर विधानसभा में कांग्रेस की जीत हुई. इसी तरह तखतपुर-कांग्रेस, बिल्हा,मस्तूरी और बेलतरा विधानसभा में बीजेपी की जीत हुई. इसके अलावा कोटा विधानसभा पूर्व सीएम अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी का पारंपरिक सीट है.जहां रेणु जोगी की जीत हुई. लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में चारों पार्टियों के बीच कड़ी टक्कर नजर आ रही है. बिलासपुर जिले में 6 विधानसभा सीट है और ये बीजेपी का गढ़ रहा है. 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने बिलासपुर जिले में बीजेपी को कड़ी चुनौती दी है. इसके बाद रिजल्ट में बीजेपी आगे रही है. 3 सीट बीजेपी, 2 कांग्रेस, 1 जोगी कांग्रेस के पास है.
बिलासपुर ज़िले में 2018 के पहले बीजेपी का लंबे समय से गढ़ रहा है. बिलासपुर जिले में कैबिनेट मंत्री अमर अग्रवाल चार बार से विधानसभा चुनाव जीते. लेकिन 2018 में कांग्रेस से हार का सामना करना पड़ा. इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी, कांग्रेस, जोगी कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी चुनाव में सक्रिय है.
बात मस्तूरी और बेलतरा की करें तो यहां फिलहाल बीजेपी का जलवा बरकरार है । बेलतरा के बीजेपी विधायक रजनीश सिंह का रिपोर्ट कार्ड ठीक ठाक बताया जा रहा है। वहीं मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र में फिलहाल बीजेपी के विधायक कृष्णमूर्ति बांधी के मुकाबले कांग्रेस की ओर से कोई सशक्त चेहरा सामने नहीं दिख रहा है।
वहीं कोटा और तखतपुर विधानसभा क्षेत्रों की बात करें तो यह दोनों विधानसभा जिले के महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्रों में से माना जाता है। तखतपुर विधानसभा में लंबे अरसे के बाद कांग्रेस ने पिछले विधानसभा में फ़तह हासिल की थी, लेकिन यह जीत मामूली अंतर की जीत थी, इसलिए इस बार अगर कांग्रेस की सीटिंग एमएलए रश्मि सिंह को टिकट मिल भी जाती है तो कांग्रेस के लिए तखतपुर बचाना आसान नहीं होगा। वहीं कोटा विधानसभा क्षेत्र में पिछली बार जेसीसीजे की प्रत्याशी रेणु जोगी ने त्रिकोणीय मुकाबले में शानदार वोटों से जीत हासिल की थी। यह जीत इसलिए भी ऐतिहासिक मानी जाती है क्योंकि यह सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है। पहली बार कांग्रेस पार्टी को यहां झटका लगा था
वहीं बिल्हा विधानसभा प्रदेश के हाईप्रोफाइल सीटों में से एक है। यहां बीते कई कार्यकाल से भाजपा के दिग्गज नेता धरमलाल कौशिक चुनाव लड़ते आए हैं। वर्तमान में भी इस सीट पर भाजपा का ही कब्जा है। विधायक रहते हुए धरमलाल कौशिक विधानसभा अध्यक्ष, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। 2018 के चुनाव में समीकरण बदले। कांग्रेस का दामन छोड़कर सियाराम कौशिक जोगी कांग्रेस से चुनाव मैदान में उतरे, जिसके जवाब में कांग्रेस ने राजेंद्र शुक्ला को अपना प्रत्याशी बनाया। त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा के धरमलाल कौशिक एक बार फिर कांग्रेस और जोगी कांग्रेस को शिकस्त देने में कामयाब हो गए। कांग्रेस यहां से किसी नए उम्मीदवार को मौका दे सकती है। तीसरे मोर्चे के तौर पर आम आदमी पार्टी ने भी यहां से पार्टी के कोषाध्यक्ष जसबीर सिंह को अपना कैंडिडेट घोषित कर दिया है।
कुल मिलाकर बिलासपुर जिले के 6 विधानसभा सीटों पर नजर दौड़ाए तो इस विधानसभा चुनाव में दोनों बड़ी पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस की राजनीतिक ताकत बराबर की आंकी जा रही है। यानी न कांग्रेस 20 है ना बीजेपी 19। हालांकि कहीं बीजेपी कमजोर तो कहीं कांग्रेस की स्थिति पतली नजर आ रही है। इस प्रकार कह सकते हैं कि यहां पर बीेजेपी कांग्रेस की स्थिति मजबूत होने से दोनों में कांटे की टक्कर हो सकती है।